प्यार ,,से,,प्यार,,को,,मैंने,,,प्यार कर लिया,,,
और,,
ना,, ना,,,करते ,,,करते ,,,इकरार ,,,कर ,,लिया,,,
सच में,,,मैंने,,प्यार,,को,,मैंने,,
प्यार,,से,,,प्यार,,कर,,, लिया,
Love you hmesha,,,,,💝💝💝💝💝😘😘😘😘🎊🎊🎊🎊🎊💝💝💝
प्यार ,,से,,प्यार,,को,,मैंने,,,प्यार कर लिया,,,
और,,
ना,, ना,,,करते ,,,करते ,,,इकरार ,,,कर ,,लिया,,,
सच में,,,मैंने,,प्यार,,को,,मैंने,,
प्यार,,से,,,प्यार,,कर,,, लिया,
Love you hmesha,,,,,💝💝💝💝💝😘😘😘😘🎊🎊🎊🎊🎊💝💝💝
आज दिल टूट रहा है
क्यों ऐसा होता है
और अगर ऐसा ही होना था
तो अपनों से बढ़कर क्यों बने हमारे लिये
लोग कहते है ये दुनिया है
ये सदा की रीत है
आने वाले का जाना निश्चित है
लेकिन इस तरह शायद नही
ये हमारे पापो का फल है ठीक
पर इतना असहनीय
इतना दर्दनाक
क्यों तुम मेरे भौ नही थे
लेकिन भाई से कही बढ़कर
उस नन्हे मासूम का क्या दोष
जो अभी एक महीने का भी नही हुआ
तुम तो चले गए
पर एक बच्चे से उसके पिता का हक़ छीन लिया
वो रोती बिलखती जिसे अर्धांगिनी का हक दिया
उसे अकेला क्यों कर गए
वो माँ जिसका आँचल आज सूना है
जो दया का सागर है
उनका दिल क्यों तोड़ गए
हे ईश्वर मुझे आज भी विस्वास नही हो रहा
अभी भी मुझे झूठा सपना लग रहा है
चारो तरफ आंसुओ का सागर है
उसमे सभी डूबे हुए है
धैर्य और विस्वास नष्ट हो गया है
ऐसे तुम छल कर चल गए
ऐसे तुम छल कर चले गए
हे राम।।।।।।।।।।।।।
रिश्तो का बंधन भी कैसा होता है जो एक कच्चे धागे में हमे अपनों से जोड़े रखती है
और हमारे मन में भी हर लम्हे जाने कितने प्रेम के सागर उमड़ते रहते है जो हमारे एहसासों को और हमारे सपनो को असीम ऊर्जा से संचारित करता है जिससे ना सिर्फ हमे जीने की शक्ति मिलती है अपितु हमे एक अच्छा इंसान बनाने में सहायक होती है और मानवता की राह में चलने को हर पल प्रेरित करती है
जय श्री कृष्णा ????????????????????
निर्मल मन
जाने क्यों सांझ होते ही
यादों के आने का सिलसिला ,,,कुछ बढ़ सा जाता है,,
हम्म,,,तुमसे दूर जो हूं,,,
हम्म,,,मजबूर जो हूं,,,
कुछ कर नही सकते,,
पर इस मन का क्या करे,,
जिनमे बिन रोक टोक की ,,
तुम्हारी यादे चली आती है,,,
और मैं इनमे खोकर,,,
इकटक आवाज लगाता हु,,,
अजी सुनती हो,,,
और बाहे कुछ हरकत करे ,,,उससे पहले
ये एहसास हो जाता है,,
की तुम मेरे पास नही हो,,,
की तुम मेरे साथ नही हो,,,
और आँखे,,स्तब्ध सी,,,
किवाड़ के बाहर एकटक देखती रहती है,,
की शायद कोई आवाज आये,,,
कोई मेरे पास आये,,,
धीरे धीरे सांझ ढल जाती है,,,
धुंधले से अँधेरे में
कुछ तारे टिमटिमाने लगते है,,,
आंखमिचौली खेलते हुए ,,,
एक दुसरे से रूठने,,,
तो एक दुसरे को मनाने लगते है,,,
सच में ये एहसास,,,
और मेरे मिलान की प्यास,,
ना कभी खत्म हुई है,,,
और ना शायद होगी,,,
और इसी इंतज़ार के साथ
हर रात,,,,इक नयी सुबह की तलाश,,,
इक अंजान मुसाफिर,,,,
,,,,,,,भटकते हुए ,,,बस,,,और,,,
घुमते रहते है कुछ पद्चिन्हों,,, के इर्द गिर्द,,,
यही मेरी कहानी है,,,
निर्मल अवस्थी
तुम पर सर्वस्व लुटाया मैंने,,,
यादो में हर पल बुलाया मैंने,,,
मनुहार किया,,,मन से मैंने,,
तुम्हे,,,प्यार किया दिल से मैंने,,,
फिर भी जाने क्यों निर्मल मन,,,
तन्हा सा है तुम बिन जीवन,,,
देखा है तुझे बस सपनो में,,,
लगते हो कुछ तुम अपने से,,,
हां चांदनी सी इन रातो में,,,
रिमझिम रिमझिम बरसातों में,,,
ख्वाबो में तुझे सजाया मैंने,,
फिर भी जाने क्यों निर्मल मन,,,
तन्हा सा है तुम बिन जीवन,,,
हो कोई परी,,, या हो रानी,,
सपनो में सुनी हुई कोई कहानी,,,
कभी इठलाती,,कभी शर्माती,,
कभी चुपके,,चुपके आकरके ,,,
मेरे सूने मन से कुछ कह जाती,,
क्या है ये,,,क्यों है ये
सच है ,,,या,,
सिर्फ ,,,आभास मात्र,,,
जो भी है ,,,अपना लगता है
इक प्यारा सपना लगता है
फिर भी जाने क्यों निर्मल मन,,,
तन्हा सा है तुम बिन जीवन,,,