Wednesday, December 28, 2016

प्यार ,,से,,प्यार,,को,,मैंने,,,प्यार कर लिया,,, और,, ना,, ना,,,करते ,,,करते ,,,इकरार ,,,कर ,,लिया,,, सच में,,,मैंने,,प्यार,,को,,मैंने,, प्यार,,से,,,प्यार,,कर,,, लिया, Love you hmesha,,,,,💝💝💝💝💝😘😘😘😘🎊🎊🎊🎊🎊💝💝💝

प्यार ,,से,,प्यार,,को,,मैंने,,,प्यार कर लिया,,,

और,,
ना,, ना,,,करते ,,,करते ,,,इकरार ,,,कर ,,लिया,,,
सच में,,,मैंने,,प्यार,,को,,मैंने,,
प्यार,,से,,,प्यार,,कर,,, लिया,

Love you hmesha,,,,,💝💝💝💝💝😘😘😘😘🎊🎊🎊🎊🎊💝💝💝

Monday, December 26, 2016

a little step can able to won a dangerous battle

a little step can able to won a dangerous battle

आज दिल टूट रहा है क्यों ऐसा होता

आज दिल टूट रहा है
क्यों ऐसा होता है
और अगर ऐसा ही होना था
तो अपनों से बढ़कर क्यों बने हमारे लिये
लोग कहते है ये दुनिया है
ये सदा की रीत है
आने वाले का जाना निश्चित है
लेकिन इस तरह शायद नही
ये हमारे पापो का फल है ठीक
पर इतना असहनीय
इतना दर्दनाक
क्यों तुम मेरे भौ नही थे
लेकिन भाई से कही बढ़कर
उस नन्हे मासूम का क्या दोष
जो अभी एक महीने का भी नही हुआ
तुम तो चले गए
पर एक बच्चे से उसके पिता का हक़ छीन लिया
वो रोती बिलखती जिसे अर्धांगिनी का हक दिया
उसे अकेला क्यों कर गए
वो माँ जिसका आँचल आज सूना है
जो दया का सागर है
उनका दिल क्यों तोड़ गए
हे ईश्वर मुझे आज भी विस्वास नही हो रहा
अभी भी मुझे झूठा सपना लग रहा है
चारो तरफ आंसुओ का सागर है
उसमे सभी डूबे हुए है
धैर्य और विस्वास नष्ट हो गया है
ऐसे तुम छल कर चल गए
ऐसे तुम छल कर चले गए

हे राम।।।।।।।।।।।।।

रिश्तो का बंधन भी कैसा होता है जो एक कच्चे धागे में हमे अपनों से जोड़े रखती है और हमारे मन में भी हर लम्हे जाने कितने प्रेम के सागर उमड़ते रहते है जो हमारे एहसासों को और हमारे सपनो को असीम ऊर्जा से संचारित करता है जिससे ना सिर्फ हमे जीने की शक्ति मिलती है अपितु हमे एक अच्छा इंसान बनाने में सहायक होती है और मानवता की राह में चलने को हर पल प्रेरित करती है जय श्री कृष्णा ???????????????????? निर्मल मन

रिश्तो का बंधन भी कैसा होता है जो एक कच्चे धागे में हमे अपनों से जोड़े रखती है
और हमारे मन में भी हर लम्हे जाने कितने प्रेम के सागर उमड़ते रहते है जो हमारे एहसासों को और हमारे सपनो को असीम ऊर्जा से संचारित करता है जिससे ना सिर्फ हमे जीने की शक्ति मिलती है अपितु हमे एक अच्छा इंसान बनाने में सहायक होती है और मानवता की राह में चलने को हर पल प्रेरित करती है

जय श्री कृष्णा ????????????????????

निर्मल मन

जाने क्यों सांझ होते ही यादों के आने का सिलसिला ,,,कुछ बढ़ सा जाता है,,

जाने क्यों सांझ होते ही
यादों के आने का सिलसिला ,,,कुछ बढ़ सा जाता है,,
हम्म,,,तुमसे दूर जो हूं,,,
हम्म,,,मजबूर जो हूं,,,
कुछ कर नही सकते,,
पर इस मन का क्या करे,,
जिनमे बिन रोक टोक की ,,
तुम्हारी यादे चली आती है,,,
और मैं इनमे खोकर,,,
इकटक आवाज लगाता हु,,,
अजी सुनती हो,,,
और बाहे कुछ हरकत करे ,,,उससे पहले
ये एहसास हो जाता है,,
की तुम मेरे पास नही हो,,,
की तुम मेरे साथ नही हो,,,
और आँखे,,स्तब्ध सी,,,
किवाड़ के बाहर एकटक देखती रहती है,,
की शायद कोई आवाज आये,,,
कोई मेरे पास आये,,,
धीरे धीरे सांझ ढल जाती है,,,
धुंधले से अँधेरे में
कुछ तारे टिमटिमाने लगते है,,,
आंखमिचौली खेलते हुए ,,,
एक दुसरे से रूठने,,,
तो एक दुसरे को मनाने लगते है,,,
सच में ये एहसास,,,
और मेरे मिलान की प्यास,,
ना कभी खत्म हुई है,,,
और ना शायद होगी,,,
और इसी इंतज़ार के साथ
हर रात,,,,इक नयी सुबह की तलाश,,,
इक अंजान मुसाफिर,,,,
,,,,,,,भटकते हुए ,,,बस,,,और,,,
घुमते रहते है कुछ पद्चिन्हों,,, के इर्द गिर्द,,,

यही मेरी कहानी है,,,

निर्मल अवस्थी

फिर भी जाने क्यों निर्मल मन,,, तन्हा सा है तुम बिन जीवन,,,

तुम पर सर्वस्व लुटाया मैंने,,,
यादो में हर पल बुलाया मैंने,,,
मनुहार किया,,,मन से मैंने,,
तुम्हे,,,प्यार किया दिल से मैंने,,,
फिर भी जाने क्यों निर्मल मन,,,
तन्हा सा है तुम बिन जीवन,,,

देखा है तुझे बस सपनो में,,,
लगते हो कुछ तुम अपने से,,,
हां चांदनी सी इन रातो में,,,
रिमझिम रिमझिम बरसातों में,,,
ख्वाबो में तुझे सजाया मैंने,,
फिर भी जाने क्यों निर्मल मन,,,
तन्हा सा है तुम बिन जीवन,,,

हो कोई परी,,, या हो रानी,,
सपनो में सुनी हुई कोई कहानी,,,
कभी इठलाती,,कभी शर्माती,,
कभी चुपके,,चुपके आकरके ,,,
मेरे सूने मन से कुछ कह जाती,,
क्या है ये,,,क्यों है ये
सच है ,,,या,,
सिर्फ ,,,आभास मात्र,,,
जो भी है ,,,अपना लगता है
इक प्यारा सपना लगता है

फिर भी जाने क्यों निर्मल मन,,,
तन्हा सा है तुम बिन जीवन,,,

Sunday, December 25, 2016

Sunday, December 4, 2016

SOME MAGICAL MOMENTS HAPPENED IN OUR LIFE THATS NEVER BE ERASE IN OUR MIND

SOME MAGICAL MOMENTS HAPPENED IN OUR LIFE THATS NEVER BE ERASE IN OUR MIND

कुछ चमत्कारी क्षण हमारे जीवन से ऐसे गुजरते है ,,,जिनको सोचकर हमारी जिन्दगी गुजर जाती है ,,,पर वो हमारे एहसासों में हमेशा जिन्दा रहते है

कुछ चमत्कारी क्षण हमारे जीवन से ऐसे गुजरते है ,,,जिनको सोचकर हमारी जिन्दगी गुजर जाती है ,,,पर वो हमारे एहसासों में हमेशा जिन्दा रहते है


Thursday, December 1, 2016

लबो पे मुस्कान लिए ,,, कुछ आँखों में नमी थी ,,, पर सरहद पे हम थे ,, थी अपनों की यादे ,,,

लबो पे मुस्कान लिए ,,,
कुछ आँखों में नमी थी ,,,
पर सरहद पे हम थे ,,
थी अपनों की यादे ,,,
पर हमारे अपनो (देशवासियों)की भी चिंता थी ,,हमे
इसीलिए कुछ अपनों को छोड़ा मैंने,,,
त्याग दिया अपने सपनो को ,,,
त्याग दिया मैंने अपनों को ,,,
भूल गया अपनी यादो को ,,,
इसीलिए आँखों में ,,,कुछ नमी थी ,,
हाँ मैं देश का सिपाही हूँ ,,


पर सीने में मेरे दिल भी होता है ,,
माँ बाबा की यादे भी आती है
जब तन्हाई में हम होते है ,,
तुम्हारी यादे भी सताती है ,,
हाँ वो मेरे बच्चे की हंसी ,,
जिसके लिए मैं भी बाबा बनने वाला हूँ
उसकी मुस्कान को ,,अपनी मुस्कान बना लिए ,,
पर शायद मैं रहूँ या ना रहूँ ,,,
तो कल शायद मेरी ही कमी हो ,,,
बस यही सोच कर ,,
मेरी आँखों में कुछ नमी है
मेरी जन्मभूमि ही मेरी माँ है
माँ भारती में मेरी साँसे रहती है
सवा अरब मेरे भाई बहन है
तो मुझे क्या कमी है
बस तिरंगा बने मेरे माथे का सेहरा
तू ही मेरा आसमा मेरी जमी है ,,,

जय हिन्द
जय भारत

Sunday, November 27, 2016

कश्मीर से ,,कन्याकुमारी तक ,,, ,गूंजेगा जन गण मन ,,,

वीर भूमि ये भगत सिंह की 
वीर शिवाजी यही  हुए 
नेता जी सुभाष चन्द्र जी ,
भारत माता की जय जय जय 
नही झुका ,,,है ,,,नही झुकेगा,,,
कट जाए सर ,,,,कोई गम नही ,,,
कश्मीर से ,,कन्याकुमारी तक ,,,
,गूंजेगा जन गण मन ,,,
हो आतंक चाहे जितना ,,,
भ्रष्ट हो जाए चाहे राजतन्त्र,,
कश्मीर से ,,कन्याकुमारी तक ,,,
,गूंजेगा जन गण मन ,,,
साफ़ करेंगे ,,,न माफ़ करेंगे 
आजाद हिन्द के फौजी हम,,
है कतरे कतरे में भारत माँ ,,
मेरा रोम रोम गाये ,,,वन्दे मातरम ,,,
कश्मीर से ,,कन्याकुमारी तक ,,,
,गूंजेगा जन गण मन ,,,
कश्मीर से ,,कन्याकुमारी तक ,,,
,गूंजेगा जन गण मन ,,,

विरोध जल्द ही होगा ऐसे लोगों का ,,जो दो तरह के चश्मे लगाकर लोगो को बेवकूफ बना रहे है

विरोध जल्द ही होगा ऐसे लोगों का ,,जो दो तरह के चश्मे लगाकर लोगो को बेवकूफ बना रहे है

मन की बात

कभी कभी मन बहुत आहत होता है की मात्र कुछ नोटों के आ जाने से आदमी के अचार व्यवहार में परिवर्तन आ जाता है वो अभिमान के सागर  में जैसे नहा लेता है और ऐसा काला चस्मा उसकी आँखों पर चढ़ जाता है की उसके अपने ही उसे नही दिखाई देते है अपनों को ही बर्बाद करने की धमकी देने लगता है जब उसकी जिद पूरी नही होती है तो यही जिद उसके बदले की भावना में बदलने लगती है इसी से उस व्यक्ति विशेष में अहंकार से उत्पन्न माया ,,,मोह ,,,ईर्ष्या ,,और जलन का ऐसा तूफ़ान उठता है जिसमे अंततः वह खुद ही भष्म हो जाता है ,,,,और समय रहते उसे कितना भी समझाया जाए पर उसे समझ ही नही आता है इसीलिए लोगो ने सच ही कहा है की विनाश काले विपरीत बुद्धि 
ऐसे ही मेरे भी कुछ अपने है ,,,,जो समाज के सामने बहुत प्रतिष्ठित बनने का ढोंग रचाते है पर घरेलू स्तर पर नपुंसकता का परिचय देते है

रिश्तों का विखंडन है ,,,,ये या,,अटूट बंधन है,,, ये

रिश्तों का विखंडन है ,,,,ये
या,,अटूट बंधन है,,, ये
जो पल पल मुझे ,,,अन्दर ही अंदर
तोड़ते रहते है ,,,तो कभी कभी जोड़ते रहते है

मेरे ,,,शब्द,,,ही ,,मेरी ,,सहेली है ,,,,या ,,,मेरे सखा है ,,,

जब मन उदास होता है मेरा ,,,,
तो मेरे शब्द ही जैसे हथियार बन जाते है ,,,
जो मन में उठने वाले तूफानों को शांत करते है ,,,,,,,,,
जो मेरे ,,,सखा भी है ,,
मेरी सहेली भी है ,,,,
जिनसे मैं कुछ भी लिख सकता हूँ ,,,
जो भी मुझे अच्छा लगता है ,,,
इनसे मैं राम भी लिख सकता हूँ ,,,
और रहीम भी ,,,
ये मेरे हृदय की धडकनों से खेलते रहते है 
और मेरे मन के आकाश में 
बिना ठहरे स्वछन्द रूप से
बिचरते रहते है 
इसीलिए ,,जब मन उदास होता है मेरा ,,,,
तो मेरे शब्द ही जैसे हथियार बन जाते है ,,,
कुछ भी होता है 
वो अच्छा हो ,,,
या बुरा हो ,,,
मैं अपनी नुकीली कलम ,,,और स्याही भरी दवात 
कोने में रखी मेज,,,,धीमी धीमी जलती लालटेन के साथ 
घने रात एक अँधेरे को चीरते हुए 
एक अनजानी यात्रा पर निकल पड़ते है 
जहां चारो तरफ तन्हाई होती है ,,,
फिर भी मेरे शब्दों का अटूट साथ 
इसीलिए कोरे कागज की मांग
मैं नीली स्याही से भर देता हूँ ,,,
मेरे एहसास कुछ कुछ कहते है 
और मैं उनको सुनता हु 

जब,,मन उदास होता है मेरा ,,,,
तो मेरे शब्द ही जैसे हथियार बन जाते है ,,,

जय हिन्द जय भारत

भारत बंद करने की ये राजनीती है ,,,राजनेताओ की ,,भले कुछ ही समय के लिए लेकिन बेचैनी तो है ही की अब क्या होगा ,,,,
मेरा सभी मित्रो से आग्रह है की भारत बंद का सहयोग कतई ना करे
जय हिन्द जय भारत

जन हित में जारी,,, #नोटबंदीएकसाहसिककदम

लेकिन इसमें कोई शक नही है की बैंक वालो ने काफी हद तक राजनेताओ और बड़े उद्योगपतियों का बड़ी इमानदारी से साथ दिया है तभी तो बड़ी बड़ी गाडिया कैश लेने के लिए देर रात बैंक के आस पास चक्कर लगाती दिखती है और हम लोग रोज बैंक के चक्कर काटते है और रोज एक ही जवाब की कैश नही है ,,,,फिर इन राजनेताओ और बड़े उद्योगपतियों के पास कैसे बड़ी बड़ी नोट आ गयी
जन हित में जारी

#नोटबंदीएकसाहसिककदम,,,,,कुछ भी हो लेकिन कुछ बैंक वाले जरूर ,,,जरूरत से ज्यादा काले धन को सफ़ेद करने में आगे निकले है ,,,,,क्या इनके लिए भी कोई जांच आयोग गठित होगा

कुछ भी हो लेकिन कुछ बैंक वाले जरूर ,,,जरूरत से ज्यादा काले धन को सफ़ेद करने में आगे निकले है ,,,,,क्या इनके लिए भी कोई जांच आयोग गठित होगा

#नोट बंदी ,,,,,,,,,,एकसाहसिककदम ,,,, जो लोग कल रोते थे की धंधे में घाटा हो रहा है ,,,,,वही आज कह रहे है अरे कोई तो ले लो एक -दो लाख रूपये ,,,आज नही साल बाद दे देना ,,,,इतना एहसान तो कर दो

जो लोग कल रोते थे की धंधे में घाटा हो रहा है ,,,,,वही आज कह रहे है अरे कोई तो ले लो एक -दो लाख रूपये ,,,आज नही साल बाद दे देना ,,,,इतना एहसान तो कर दो
#नोटबंदीएकसाहसिककदम

Friday, November 25, 2016

लेखक मन का कोई हिसाब किताब नही होता है ,,,,,जो मन को अच्छा लगता है वो भी लिख देता है ,,,,,,जो मन को व्यथित कर जाता है ,,,उसको भी अपनी संवेदनाओ में व्यक्त कर देता है ,,,,,शायद इसीलिए कभी कभी लोग इसे असहिष्णु भी कह देते है ,,, #निर्मलमनकीकल्पना

लेखक मन का कोई हिसाब किताब नही होता है ,,,,,जो मन को अच्छा लगता है वो भी लिख देता है ,,,,,,जो मन को व्यथित कर जाता है ,,,उसको भी अपनी संवेदनाओ में व्यक्त कर देता है ,,,,,शायद इसीलिए कभी कभी लोग इसे असहिष्णु भी कह देते है ,,,

#निर्मलमनकीकल्पना 

ये घटनाए भी अजीब होती है ,,,जब अपनों के साथ घटती है तो हम विलाप करते है ,,,,जब दूसरो के साथ तो प्रलाप,,,

कुछ हमारे अपनों के साथ होती है ,,,वो दुखी कर जाती है ,,,,तो कुछ दूसरो के साथ होती है ,,वो भी हमारे मन में कई असंकाओ को जन्म दे जाती है ,दुखी तो वो भी करती है ,,,पर ज्यादा फर्क हमे इसलिए नही पड़ता है ,,,की कौन सा वो अपने है ,,,,बस यही सोच कर हम भूलने की कोशिश मात्र करते है ,,,लेकिन भूल नही पाते है ,,,,इसीलिए कभी कभी लगता है की हम मन को छल रहे है या मन हमको
क्योकि देश भी एक है ,,,,,,
हम भी एक है ,,,,
हमारा मन भी एक है ,,
तो क्यों हम बटे है,,,
,,अपनी विचारधाराओ में,,,,
,,,,फिर क्यों बंटे है हम हिन्दू मुश्लिम में....
,,,,,फिर क्यों बटे है अपनी भाषाओ में ,,
अमीर गरीब में ....
क्यों ये जात पात का आडम्बर है
क्यों नही हम अपने देश की समस्याओ को अपनी नही समझते है
और फिर किस आधार पर हम ये कहते है की हम राष्ट्र निर्माण करेंगे
ये सब व्यर्थ नही लगता ,,,
ये सब देखकर सच में ये मन उदास हो जाता है ,,,,,की हम कितने स्वार्थी होते जा रहे है
और सच में ये विनाश का प्रथम चरण है
इसलिए कृपया भारत निर्माण के लिए आइये हम सब एक हो
ना हिन्दू
ना मुश्लिम
ना ईर्ष्या
ना जलन

जय हिन्द
जय भारत

बहुत कुछ गलत हमारे सामने होता ,,,,पर परिस्थितिवस हम उसका विरोध नही कर पाते #एकजटिलप्रश्न

बहुत कुछ गलत हमारे सामने होता ,,,,पर परिस्थितिवस हम उसका विरोध नही कर पाते
#एकजटिलप्रश्न

Tuesday, November 8, 2016

विचार कीजिये,,,,,

थोड़ी शाम ढल चुकी थी मैं भी ड्यूटी से निकल चुका था हाँ याद आया की सब्जी भी लेनी है मैं पहुच गया बाज़ार में काफी चीजे लेली थी मैंने तभी एक बुजुर्ग औरत मेरे सामने आ गयी काफी बुजुर्ग थी चेहरे पर सिकन थी उन्होंने थोडा कांपते हुए स्वर में कहा बेटा ये साग ले लो भगवान् आपका भला करेगा मुझे भी थोडा अटपटा लगा पर पता नही क्यों एक अपनापन सा लगा मैंने ले लिया और पुछा अम्मा कितने पैसे दे दूं उन्होंने कहा दस रुपये और लेकर जैसे ही चला उन्होंने कहा भगवान आपका भला करे बेटा सच में वो शब्द जैसे मेरे मन को छू गये और मैं मन ही मन सोचने लगा की हे ईश्वर आप इतना मजबूर किसी को क्यों बनाते है, पर अब मैं जब भी जाता हु तो उन अम्मा के पास सब्जी जरूर लेता हूँ और सच में एक लगाव भी हो गया है उनसे जैसे इसीलिए कभी कभी लगता है की रिश्ते बनाने के लिए हमे किसी वजह की जरूरत नही होती है ,,होना चाहिए तो एहसास जो दुसरे के दुःख को अनुभव करके उसको दूर करके अपना बना सके ,,,,इसलिए सभी से मेरा हादिक आग्रह है की आप भी कई ऐसे सच्चे रिश्ते बना सकते है जो आपको तो सुकून देंगे,,,और नये रिश्ते भी ,,,और दूसरो की जरूरत भी पूरी हो जायेगी ,,,

 


विचार कीजिये,,,,,

Sunday, November 6, 2016

कहते है मुझको नारी,,,,,,, जो अपनों से है हारी ,,,,,,,,

मैं स्तब्ध हूँ ,,,,,,,

मैं निशब्द हूँ,,,,,

हाँ इक इंसान हूँ,,,,,

पर खुद से मैं अनजान हूँ ,,,,,,

हूँ मैं अबला,,,,

जिसको हर किसी ने छला,,,,

कहते है मुझको नारी,,,,,,,

जो अपनों से है हारी ,,,,,,,,,

कोई कहता बोझ मुझको,,,

कोई कहता शोक मुझको ,,,,,,,

मैं तो हु आँगन की चिड़िया,,,,,,,

पर नही पहचान कोई,,,,

मैं स्तब्ध हूँ ,,,,,,,

मैं निशब्द हूँ,,,,,

हाँ इक इंसान हूँ,,,,,

पर खुद से मैं अनजान हूँ ,,,,,,

किसी ने कब्जा करना चाहा मुझपर

तो कोई चाहा हथियाना

कोई जबरन मेरी इज्जत से खेलता

कोई मेरी अस्मिता को तार तार करता

नही मानी मैं बेचारी तो ,,,

एसिड अटैक कर जीवन बर्बाद किया

ये है प्रतिरोध ,,,

का कैसा प्रतिशोध ,,,

जिसमे दोषी कोई और,,

और सजा पाए निर्दोष ,,,

बस इसीलिए ,,,

मैं स्तब्ध हूँ ,,,,,,,

मैं निशब्द हूँ,,,,,

हाँ इक इंसान हूँ,,,,,

पर खुद से मैं अनजान हूँ ,,,,,,

हूँ मैं अबला,,,,

जिसको हर किसी ने छला,,,,

कहते है मुझको नारी,,,,,,,

जो अपनों से है हारी ,,,,,,,,,

 

,

 

 

 

 

 

 

 

 

 


 

Thursday, October 27, 2016

बस खत्म हो गयी मेरी अधूरी कहानी

नदी के इस छोर पर बैठा था मैं,,
रोज जाता था उस ढलते हुए सूरज को देखने,,,,
एक दिन अचानक मेरी नजर दुसरे छोर पर गयी ,,
जहां एक धुंधली सी तस्वीर दिखी मुझे ,,,
शायद वो कोई परी थी 
कुछ पल मैं उसे देखता रहा 
निहारता रहा 
फिर मुझे लगा की वो भी मुझे देख रही ,,,
ये सिलसिला चलने लगा
कुछ दिनों तक चलता रहा 
हम एक दुसरे से आँखों से बात करते 
जैसे एक दूसरे के एहसास मिश्री की तरह 
हममे घुल गये हो 
लेकिन हम नदी के दो किनारों से बढ़कर कुछ नही थे 
धीरे धीरे बेचैनी सी होने लगी 
शायद अब मिलने की इच्छा हमारे
ह्रदय में जाग्रत होने लगी थी 
पर नदी बहुत ही विशाल थी 
नाही कोई नाव ,,,नाही कोई सहारा ,,
पल ही पल में ह्रदय स्नेह से भर जाता 
बेसब्री सताने लगती 
एक दिन सोचा की कैसे भी हम मिलकर रहेंगे 
चल दिए मटकी को सहारा बनाकर 
एक अबोध बालक की तरह 
बस खत्म हो गयी मेरी अधूरी कहानी 
बस खत्म हो गयी मेरी अधूरी कहानी 

ek muskaan: #कृपयाचीनीवस्तुओकाबहिस्कारकरे

ek muskaan: #कृपयाचीनीवस्तुओकाबहिस्कारकरे: अजीब है हमारी मानशिकता की हमअपनी आदतोंसे इतना ग्रस्तहै  भ्रष्ट,गंदे,लापरवाह जैसा तमगा चीनसे लेनापड़ रहाहै  # कृपयाचीनीवस्तुओकाबहिस्कारकरे ...

ek muskaan: सच में अतीत के पन्ने ,,है वो ,, या मेरे निश्छल मन ...

ek muskaan: सच में अतीत के पन्ने ,,है वो ,, या मेरे निश्छल मन ...: सच में अतीत के पन्ने ,,है वो ,, या मेरे निश्छल मन ,,की पुकार ,,, जिनकी राह तकते रहते है ,,नैन हमारे ,, की तुम आओगी मिलने ,,,मुझसे,, ...

सच में अतीत के पन्ने ,,है वो ,, या मेरे निश्छल मन ,,की पुकार ,,, जिनकी राह तकते रहते है ,,नैन हमारे ,,

सच में अतीत के पन्ने ,,है वो ,,
या मेरे निश्छल मन ,,की पुकार ,,,
जिनकी राह तकते रहते है ,,नैन हमारे ,,
की तुम आओगी मिलने ,,,मुझसे,,
यही सोचते रहते है ,,,,बस यही सोचते रहते है ,,,
तुम बदल गयी हो ,,
या समय,,
या ये भाग्य,,,,
दीपक धुंधला हो रहा ,,,आशाओं का 
या मन के स्नेह का ,,,मन से हुआ विलुप्त,,
कुछ तो है जो रह रह कर,,,
बाट तके ,,,ये नैन के द्वारे ,,
अनुभव भी है ,,,
जो अनभिज्ञ है शायद,,
तुमसे या तुम्हारे स्नेह से 
किन्तु फिर भी ,,,वही आँचल,,
वही सावन,,,
वही मौसम,,
वही है हम 
बस आ जाओ तुम ,,,
मेरे सपनो के मंदिर में 
मेरी सूनी तन्हा राह में ,,,ओ मेरे सावरे 
मैं तेरी राधिका और ये नयन बावरे ,,,
सच में अतीत के पन्ने ,,है वो ,,
या मेरे निश्छल मन ,,की पुकार ,,,
जिनकी राह तकते रहते है ,,नैन हमारे ,,

मेरी सूनी तन्हा राह में ,,,ओ मेरे सावरे 
मैं तेरी राधिका और ये नयन बावरे ,,,

#कृपयाचीनीवस्तुओकाबहिस्कारकरे

अजीब है हमारी मानशिकता
की हमअपनी आदतोंसे इतना ग्रस्तहै 
भ्रष्ट,गंदे,लापरवाह जैसा तमगा चीनसे लेनापड़ रहाहै 
#कृपयाचीनीवस्तुओकाबहिस्कारकरे

मोहब्बत की बेरुखी भी क्या अजीब हुई हमपर की जिन्हें भी चाहा दिलसे वो बेवफा ही निकले #बेवफामुहब्बत

मोहब्बत की बेरुखी भी क्या अजीब हुई हमपर 
की जिन्हें भी चाहा दिलसे 
वो बेवफा ही निकले
#बेवफामुहब्बत

मन में आशाओ के झुरमुट कभी बनते है कभी ओझल हो जाते है सच में आजाद पंछी की तरह है ये जो मस्त गगन में झूमते रहते है

मन में आशाओ के झुरमुट
कभी बनते है
कभी ओझल हो जाते है
सच में आजाद पंछी की तरह है ये 
जो मस्त गगन में झूमते रहते है

मिटा देंगे तेरा नामोनिशान,,,,,,,,,,,पकिस्तान ,,,,,,,,,,,

बाँध टूटता जा रहा है सब्र का
लहू आँखों में उतर के जो आया है
सौगंध है माँ भारती की
रक्तरंजित करदेंगे
सम्पूर्ण धराको 
मिटा देंगे तेरा नामोनिशान,,,,,,,,,,,पकिस्तान ,,,,,,,,,,,

मन के मकडजाल में उलझा ये कभी शांत तो कभी विक्षिप्त गाव की पगडंडियों पर अकेला ही चला जा रहा या छला जा रहा,,,, #नासमझीदिलकी

मन के मकडजाल में उलझा ये
कभी शांत तो कभी विक्षिप्त
गाव की पगडंडियों पर 
अकेला ही चला जा रहा 
या
छला जा रहा,,,,
#नासमझीदिलकी

कभी कुछ ख़ुशी के पल उनको भी दीजिये जिन्होंने हमेशा आपको दुःख दिए ,,,,,,,

कभी कुछ ख़ुशी के पल उनको भी दीजिये जिन्होंने हमेशा आपको दुःख दिए ,,,,,,,

लोग हमेशा वाद -विवाद में ही क्यों उलझे रहते है,,हम ऐसे रिश्तों से भी तो रिश्ते बना सकते है,,जिनसे हमारा कोई रिश्ता नही है,,या जिनका कोई नही

लोग हमेशा वाद -विवाद में ही क्यों उलझे रहते है,,हम ऐसे रिश्तों से भी तो रिश्ते बना सकते है,,जिनसे हमारा कोई रिश्ता नही है,,या जिनका कोई नही

हम हमेशा उस व्यक्ति,वस्तु ,,या और कुछ को क्यों नकार देते है जो सच बोलता है ,,पर वो हमारे विरोध में बोलता है ,,,एक निंदक की तरह

हम हमेशा उस व्यक्ति,वस्तु ,,या और कुछ को क्यों नकार देते है जो सच बोलता है ,,पर वो हमारे विरोध में बोलता है ,,,एक निंदक की तरह

कई लम्हों शांत समंदर की तरह ,,,, पर अब धैर्य तोड दिया हमने ,, है अब अशांत सा ये मन ,,,जाने कुछ कहने को आतुर ,,

कई लम्हों शांत समंदर की तरह ,,,, पर अब धैर्य तोड दिया हमने ,,
है अब अशांत सा ये मन ,,,जाने कुछ कहने को आतुर ,,

हाँ कोशिश जरूर की ,,,जुदा रहने की उनसे मगर ,, कभी वक़्त ने की बेवफाई ,,, कभी उनको मेरी वफा ना रास आई ,,,

हाँ कोशिश जरूर की ,,,जुदा रहने की उनसे मगर ,,
कभी वक़्त ने की बेवफाई ,,,
कभी उनको मेरी वफा ना रास आई ,,,

दर्द तो बस कुछ लम्हों का ही था,,, मगर,,,, गुजरने में इसे जाने क्यों सदियाँ बीत गयी ,

दर्द तो बस कुछ लम्हों का ही था,,,
मगर,,,,
गुजरने में इसे जाने क्यों सदियाँ बीत गयी ,

हम भी सोचते थे की कैद में रख लेंगे ,,,अपने दिल को,, मगर ..

हम भी सोचते थे की कैद में रख लेंगे ,,,अपने दिल को,,
मगर ..
बेफिक्र पंछी की तरह ये उड़ता ही चला गया
अब नादान है 
या
अनजान
या
बुद्धिमान
पतानही

मैं हमेशा उस परछाई के संग रहना चाहते है ,,, जिन्हें कुछ लोग आज के प्रतिस्पर्धात्मक युग में ,,,,अनदेखा कर देते है हमारे,,,,,,, माता-पिता

मैं हमेशा उस परछाई के संग रहना चाहते है ,,,
जिन्हें कुछ लोग आज के प्रतिस्पर्धात्मक युग में ,,,,अनदेखा कर देते है 
हमारे,,,,,,, माता-पिता

विचार ,,,,,,,,,,,

क्योंना हम एक ऐसी सार्थक कोशिश करे जो हमारी भारत भूमि को जाति और धर्मो में बंटने से रोके और जिनकी पहचान मात्र भारतवासी के नाम से हो
नाकि
हिन्दू
मुश्लिम से

मुहब्बत किताब के वो पन्ने है जो हर किसी को नसीब नही होते है

मुहब्बत किताब के वो पन्ने है जो हर किसी को नसीब नही होते है
#एकजटिलप्रश्न

संवाद ,,,,

कुरीतिया कैसी भी हो उनका अंत होना चाहिए और इनपर कुछ समाज के ठेकेदारों की व्यर्थ की बहस नही होनी चाहिए जिससे किसी की जिन्दगी जुडी हो किसी की जिन्दगी का सवाल हो क्योकि कुछ समाज के ठेकेदारों को ये दर लगा रहता है की अगर कुछ गलत परम्पराए और कुरीतिया ख़त्म हो गयी तो इनको कौन पूछेगा और फिर जब हम अछि तरह जानते है की ये सिर्फ स्वार्थी है और अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए किसी भी हद तक गिर सकते है तो कुछ पब्लिसिटी के लिए कुछ भी करने या कुछ भी बोलने से गुरेज नही करते है चाहे वो दहेज़ प्रथा हो तीन तलाक हो किसी की बेटी की प्रताड़ना हो या किसी मजबूर और कमजोर की इज्जत पर हमला या बहुत से कुछ और है जिनका जवाब सबके पास है पर हिम्मत कुछ में ही है इसलिए एक देश एक भाषा और एक ही कानून होना चाहिए सभी धर्मो के लिए जय हिन्द जय भारत

LOVE YOU HMESHA

हाय इस मुस्कराती शाम में इन लडखडाते लबो को सहारा मिल जाता
 एक कप चाय की चुस्की के साथ कुछ लम्हों को हम गुनगुना लेते तेरे संग बैठ कर यु ही कुछ लम्हों को बिता लेते लेकिन सौख चर्राया था विदेश की रोटी कमाने का अब ना ही वो शाम है ना ही लडखडाते लबो को आराम है न वो चुस्किया है चाय के प्यालो की एक ही बात आज है हम कल भी लुटते थे और आज भी लुटते है हाय मेरी तन्हा मुहब्बत ये पैगाम मैंने भेजा है अपनी मुहब्बत के नाम 
LOVE YOU HMESHA

रूठना मनाना और फिर से रूठ जाना हाँ यारो इसी का नाम जिन्दगी है

रूठना मनाना और फिर से रूठ जाना हाँ यारो इसी का नाम जिन्दगी है

हाँ इक शाम बाकी है ............जो मिल जाओ मुझको तुम

हाँ इक शाम बाकी है ............जो मिल जाओ मुझको तुम
 नयनो का जाम बाकी है ,,,,,,कुछ लम्हे बिताओ मेरे संग 
साँसे है कितनी किसके जहन में ,,,,,,ये कोई क्या जाने
 हाँ इक रात मुझको ,,,अजनबी बना जाओ मुझको तुम
 हाँ इक शाम बाकी है ............जो मिल जाओ मुझको तुम
 नयनो का जाम बाकी है ,,,,,,कुछ लम्हे बिताओ मेरे संग
 तेरे बिन कुछ तो बाकी है ,,,मेरा मुझमे अधूरा है 
था दिल तडपा था तेरे बिन ,,,हुआ सपना ना जो पूरा है 
वही तन्हा मेरी राते ,,, सिसकता था हर लम्हा मेरा
 हाँ बुझते हुए इस मन का ,,,,इक दीपक बन जाओ तुम
 हाँ इक शाम बाकी है ............जो मिल जाओ मुझको तुम
 नयनो का जाम बाकी है ,,,,,,कुछ लम्हे बिताओ मेरे संग

रघुकुल रीती सदा चली आई प्राण जाये पर वचन न जाई

रघुकुल रीती सदा चली आई प्राण जाये पर वचन न जाई प्रभु राम चन्द्र जी के अनुसार हमारे आचरण ही हमारी पहचान बनाते है कुछ बोलिए बोलने से पहले ये जरूर सोचिए की उसका परिणाम क्या होगा केवल आप पर ही नही पूरे समाज पर और आपका हर एक शब्द मानव मात्र के कल्याण के लिए होना चाहिए वो किसी भी जाती  विशेष या वर्ग से समबन्धित नही होना चाहिए क्योकि मैं एक सवाल पूछना चाहता हु उसका जवाब आप सब सोच कर दीजिये की कोई नवजात बच्चा अगर किसी रास्ते पर लावारिस की तरह पड़ा है रो रहा है १-तो उससे आप उसकी जाती पूछेंगे फिर उसको फिर उसको सहारा देंगे या २-फिर ये सोचेंगे की बच्चे तो भगवान् का रूप होते है ये मानकर उसको सहारा देंगे प्रतीक्षा आपके जवाब की मित्रो बोलो सियावर राम चन्द्र की जय

Tuesday, October 25, 2016

वो समय मेरे लिए अत्यंत ही कठिन होगा जब मेरे अपने ही मेरा विरोध करेंगे

वो समय मेरे लिए अत्यंत ही कठिन होगा जब मेरे अपने ही मेरा विरोध करेंगे 

विचार कीजिये,,,,,

थोड़ी शाम ढल चुकी थी मैं भी ड्यूटी से निकल चुका था हाँ याद आया की सब्जी भी लेनी है मैं पहुच गया बाज़ार में काफी चीजे लेली थी मैंने तभी एक बुजुर्ग औरत मेरे सामने आ गयी काफी बुजुर्ग थी चेहरे पर सिकन थी उन्होंने थोडा कांपते हुए स्वर में कहा बेटा ये साग ले लो भगवान् आपका भला करेगा मुझे भी थोडा अटपटा लगा पर पता नही क्यों एक अपनापन सा लगा मैंने ले लिया और पुछा अम्मा कितने पैसे दे दूं उन्होंने कहा दस रुपये और लेकर जैसे ही चला उन्होंने कहा भगवान आपका भला करे बेटा सच में वो शब्द जैसे मेरे मन को छू गये और मैं मन ही मन सोचने लगा की हे ईश्वर आप इतना मजबूर किसी को क्यों बनाते है, पर अब मैं जब भी जाता हु तो उन अम्मा के पास सब्जी जरूर लेता हूँ और सच में एक लगाव भी हो गया है उनसे जैसे इसीलिए कभी कभी लगता है की रिश्ते बनाने के लिए हमे किसी वजह की जरूरत नही होती है ,,होना चाहिए तो एहसास जो दुसरे के दुःख को अनुभव करके उसको दूर करके अपना बना सके ,,,,इसलिए सभी से मेरा हादिक आग्रह है की आप भी कई ऐसे सच्चे रिश्ते बना सकते है जो आपको तो सुकून देंगे,,,और नये रिश्ते भी ,,,और दूसरो की जरूरत भी पूरी हो जायेगी ,,,

 


विचार कीजिये,,,,,