लबो पे मुस्कान लिए ,,,
कुछ आँखों में नमी थी ,,,
पर सरहद पे हम थे ,,
थी अपनों की यादे ,,,
पर हमारे अपनो (देशवासियों)की भी चिंता थी ,,हमे
इसीलिए कुछ अपनों को छोड़ा मैंने,,,
त्याग दिया अपने सपनो को ,,,
त्याग दिया मैंने अपनों को ,,,
भूल गया अपनी यादो को ,,,
इसीलिए आँखों में ,,,कुछ नमी थी ,,
हाँ मैं देश का सिपाही हूँ ,,
पर सीने में मेरे दिल भी होता है ,,
माँ बाबा की यादे भी आती है
जब तन्हाई में हम होते है ,,
तुम्हारी यादे भी सताती है ,,
हाँ वो मेरे बच्चे की हंसी ,,
जिसके लिए मैं भी बाबा बनने वाला हूँ
उसकी मुस्कान को ,,अपनी मुस्कान बना लिए ,,
पर शायद मैं रहूँ या ना रहूँ ,,,
तो कल शायद मेरी ही कमी हो ,,,
बस यही सोच कर ,,
मेरी आँखों में कुछ नमी है
मेरी जन्मभूमि ही मेरी माँ है
माँ भारती में मेरी साँसे रहती है
सवा अरब मेरे भाई बहन है
तो मुझे क्या कमी है
बस तिरंगा बने मेरे माथे का सेहरा
तू ही मेरा आसमा मेरी जमी है ,,,
जय हिन्द
जय भारत
No comments:
Post a Comment