Monday, December 26, 2016

आज दिल टूट रहा है क्यों ऐसा होता

आज दिल टूट रहा है
क्यों ऐसा होता है
और अगर ऐसा ही होना था
तो अपनों से बढ़कर क्यों बने हमारे लिये
लोग कहते है ये दुनिया है
ये सदा की रीत है
आने वाले का जाना निश्चित है
लेकिन इस तरह शायद नही
ये हमारे पापो का फल है ठीक
पर इतना असहनीय
इतना दर्दनाक
क्यों तुम मेरे भौ नही थे
लेकिन भाई से कही बढ़कर
उस नन्हे मासूम का क्या दोष
जो अभी एक महीने का भी नही हुआ
तुम तो चले गए
पर एक बच्चे से उसके पिता का हक़ छीन लिया
वो रोती बिलखती जिसे अर्धांगिनी का हक दिया
उसे अकेला क्यों कर गए
वो माँ जिसका आँचल आज सूना है
जो दया का सागर है
उनका दिल क्यों तोड़ गए
हे ईश्वर मुझे आज भी विस्वास नही हो रहा
अभी भी मुझे झूठा सपना लग रहा है
चारो तरफ आंसुओ का सागर है
उसमे सभी डूबे हुए है
धैर्य और विस्वास नष्ट हो गया है
ऐसे तुम छल कर चल गए
ऐसे तुम छल कर चले गए

हे राम।।।।।।।।।।।।।

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