कुछ हमारे अपनों के साथ होती है ,,,वो दुखी कर जाती है ,,,,तो कुछ दूसरो के साथ होती है ,,वो भी हमारे मन में कई असंकाओ को जन्म दे जाती है ,दुखी तो वो भी करती है ,,,पर ज्यादा फर्क हमे इसलिए नही पड़ता है ,,,की कौन सा वो अपने है ,,,,बस यही सोच कर हम भूलने की कोशिश मात्र करते है ,,,लेकिन भूल नही पाते है ,,,,इसीलिए कभी कभी लगता है की हम मन को छल रहे है या मन हमको
क्योकि देश भी एक है ,,,,,,
हम भी एक है ,,,,
हमारा मन भी एक है ,,
तो क्यों हम बटे है,,,
,,अपनी विचारधाराओ में,,,,
,,,,फिर क्यों बंटे है हम हिन्दू मुश्लिम में....
,,,,,फिर क्यों बटे है अपनी भाषाओ में ,,
अमीर गरीब में ....
क्यों ये जात पात का आडम्बर है
क्यों नही हम अपने देश की समस्याओ को अपनी नही समझते है
और फिर किस आधार पर हम ये कहते है की हम राष्ट्र निर्माण करेंगे
ये सब व्यर्थ नही लगता ,,,
ये सब देखकर सच में ये मन उदास हो जाता है ,,,,,की हम कितने स्वार्थी होते जा रहे है
और सच में ये विनाश का प्रथम चरण है
इसलिए कृपया भारत निर्माण के लिए आइये हम सब एक हो
ना हिन्दू
ना मुश्लिम
ना ईर्ष्या
ना जलन
जय हिन्द
जय भारत
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