कभी कभी मन बहुत आहत होता है की मात्र कुछ नोटों के आ जाने से आदमी के अचार व्यवहार में परिवर्तन आ जाता है वो अभिमान के सागर में जैसे नहा लेता है और ऐसा काला चस्मा उसकी आँखों पर चढ़ जाता है की उसके अपने ही उसे नही दिखाई देते है अपनों को ही बर्बाद करने की धमकी देने लगता है जब उसकी जिद पूरी नही होती है तो यही जिद उसके बदले की भावना में बदलने लगती है इसी से उस व्यक्ति विशेष में अहंकार से उत्पन्न माया ,,,मोह ,,,ईर्ष्या ,,और जलन का ऐसा तूफ़ान उठता है जिसमे अंततः वह खुद ही भष्म हो जाता है ,,,,और समय रहते उसे कितना भी समझाया जाए पर उसे समझ ही नही आता है इसीलिए लोगो ने सच ही कहा है की विनाश काले विपरीत बुद्धि
ऐसे ही मेरे भी कुछ अपने है ,,,,जो समाज के सामने बहुत प्रतिष्ठित बनने का ढोंग रचाते है पर घरेलू स्तर पर नपुंसकता का परिचय देते है
ऐसे ही मेरे भी कुछ अपने है ,,,,जो समाज के सामने बहुत प्रतिष्ठित बनने का ढोंग रचाते है पर घरेलू स्तर पर नपुंसकता का परिचय देते है
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