जब मन उदास होता है मेरा ,,,,
तो मेरे शब्द ही जैसे हथियार बन जाते है ,,,
जो मन में उठने वाले तूफानों को शांत करते है ,,,,,,,,,
जो मेरे ,,,सखा भी है ,,
मेरी सहेली भी है ,,,,
जिनसे मैं कुछ भी लिख सकता हूँ ,,,
जो भी मुझे अच्छा लगता है ,,,
इनसे मैं राम भी लिख सकता हूँ ,,,
और रहीम भी ,,,
ये मेरे हृदय की धडकनों से खेलते रहते है
और मेरे मन के आकाश में
बिना ठहरे स्वछन्द रूप से
बिचरते रहते है
इसीलिए ,,जब मन उदास होता है मेरा ,,,,
तो मेरे शब्द ही जैसे हथियार बन जाते है ,,,
कुछ भी होता है
वो अच्छा हो ,,,
या बुरा हो ,,,
मैं अपनी नुकीली कलम ,,,और स्याही भरी दवात
कोने में रखी मेज,,,,धीमी धीमी जलती लालटेन के साथ
घने रात एक अँधेरे को चीरते हुए
एक अनजानी यात्रा पर निकल पड़ते है
जहां चारो तरफ तन्हाई होती है ,,,
फिर भी मेरे शब्दों का अटूट साथ
इसीलिए कोरे कागज की मांग
मैं नीली स्याही से भर देता हूँ ,,,
मेरे एहसास कुछ कुछ कहते है
और मैं उनको सुनता हु
जब,,मन उदास होता है मेरा ,,,,
तो मेरे शब्द ही जैसे हथियार बन जाते है ,,,
तो मेरे शब्द ही जैसे हथियार बन जाते है ,,,
जो मन में उठने वाले तूफानों को शांत करते है ,,,,,,,,,
जो मेरे ,,,सखा भी है ,,
मेरी सहेली भी है ,,,,
जिनसे मैं कुछ भी लिख सकता हूँ ,,,
जो भी मुझे अच्छा लगता है ,,,
इनसे मैं राम भी लिख सकता हूँ ,,,
और रहीम भी ,,,
ये मेरे हृदय की धडकनों से खेलते रहते है
और मेरे मन के आकाश में
बिना ठहरे स्वछन्द रूप से
बिचरते रहते है
इसीलिए ,,जब मन उदास होता है मेरा ,,,,
तो मेरे शब्द ही जैसे हथियार बन जाते है ,,,
कुछ भी होता है
वो अच्छा हो ,,,
या बुरा हो ,,,
मैं अपनी नुकीली कलम ,,,और स्याही भरी दवात
कोने में रखी मेज,,,,धीमी धीमी जलती लालटेन के साथ
घने रात एक अँधेरे को चीरते हुए
एक अनजानी यात्रा पर निकल पड़ते है
जहां चारो तरफ तन्हाई होती है ,,,
फिर भी मेरे शब्दों का अटूट साथ
इसीलिए कोरे कागज की मांग
मैं नीली स्याही से भर देता हूँ ,,,
मेरे एहसास कुछ कुछ कहते है
और मैं उनको सुनता हु
जब,,मन उदास होता है मेरा ,,,,
तो मेरे शब्द ही जैसे हथियार बन जाते है ,,,
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