सच में अतीत के पन्ने ,,है वो ,,
या मेरे निश्छल मन ,,की पुकार ,,,
जिनकी राह तकते रहते है ,,नैन हमारे ,,
की तुम आओगी मिलने ,,,मुझसे,,
यही सोचते रहते है ,,,,बस यही सोचते रहते है ,,,
तुम बदल गयी हो ,,
या समय,,
या ये भाग्य,,,,
दीपक धुंधला हो रहा ,,,आशाओं का
या मन के स्नेह का ,,,मन से हुआ विलुप्त,,
कुछ तो है जो रह रह कर,,,
बाट तके ,,,ये नैन के द्वारे ,,
अनुभव भी है ,,,
जो अनभिज्ञ है शायद,,
तुमसे या तुम्हारे स्नेह से
किन्तु फिर भी ,,,वही आँचल,,
वही सावन,,,
वही मौसम,,
वही है हम
बस आ जाओ तुम ,,,
मेरे सपनो के मंदिर में
मेरी सूनी तन्हा राह में ,,,ओ मेरे सावरे
मैं तेरी राधिका और ये नयन बावरे ,,,
सच में अतीत के पन्ने ,,है वो ,,
या मेरे निश्छल मन ,,की पुकार ,,,
जिनकी राह तकते रहते है ,,नैन हमारे ,,
मेरी सूनी तन्हा राह में ,,,ओ मेरे सावरे
मैं तेरी राधिका और ये नयन बावरे ,,,
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