Thursday, October 27, 2016

मन के मकडजाल में उलझा ये कभी शांत तो कभी विक्षिप्त गाव की पगडंडियों पर अकेला ही चला जा रहा या छला जा रहा,,,, #नासमझीदिलकी

मन के मकडजाल में उलझा ये
कभी शांत तो कभी विक्षिप्त
गाव की पगडंडियों पर 
अकेला ही चला जा रहा 
या
छला जा रहा,,,,
#नासमझीदिलकी

No comments: