Wednesday, October 15, 2014

मैं यही हु 
मैं यही हु 
लेकिन वो कहा है 
जो इसी राह पर 
कुछ कदम मेरा साथ देते थे 
हमसफ़र नही थे मेरे 
लेकिन कुछ सफ़र तय करते थे
कुछ वो कहते थे
कुछ हम सुनते थे
कभी कभी उनके कदम लडखडाते थे
तो कभी कभी हम उनकी कांपती हथेलियों को थामते थे
उस छुअन से मुझे जाने कैसा एहसास होता था
जैसे कोई खोया हुआ जमाने का मेरे पास होता था
एक अनछुए प्यार का एहसास होता था
लेकिन आज मन उदास है जो मेरे पास वो नही है
हां कुछ कदम आगे गये तो उनकी वो छड़ी दिखी मुझे
और टूटा ऐनक पड़ा था जिसके सीसे बिखरे से पड़े थे
मन में जाने कैसे ख्याल आने लगे
कुछ दूर फटे कपडे और वो शायद हमसे दूर बहुत दूर जा चुके थे
उनसे कोई रिश्ता नही था मेरा
फिर भी जाने क्यों मन उदास था
ये हमारे एहसास ही हमे एक दुसरे से कब अनजाने में
हमे एक दुसरे से जोड़ देते है
की हम एक दुसरे से दिल से जुड़ जाते है

या खुदा
या मेरे मौला
ए मेरे भगवान्
इन एहसासों को ना कभी मरने देना
कुछ इंसानियत हमारे दिल में जिन्दा रखना
बस और बस यही है आपसे गुजारिस
बस और बस इतनी ही छोटी सी है मेरी ख्वाहिस

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