Saturday, October 11, 2014

कुछ हौसले टूट रहे है उनकी निगाहों को देख कर

कुछ हौसले टूट रहे है उनकी निगाहों को देख कर 
कुछ ख्व्वाब मेरे टूट गये सिसकती आँखों को देखकर 
कुछ हम टूट से गये वो कापती बाहों को देखकर 
की दर्द दिया किसने मेरे मांझी को लूटकर 
मेरा रोम रोम कांप गया उनके बारे में सोचकर 
की कुछ पल को दूर जाऊ
ंगा तो हो जायेगा ऐसे
की छुट जाएँगी मेरी साँसे मुझसे ही यु रूठकर

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