क्या मन इस पर्वत से भी विशाल है
क्या ये आँखे समंदर से भी गहरी है
क्या ये दिल धडकता है सिर्फ उनके लिए
क्या ये नदी के किनारे बने है
हमेशा जुदा रहने के लिए
क्यों ये सूरज हमेशा तपता है
क्यों ये अम्बर नही बरसता है
क्यों ये धड़कन उनको देखकर के
कभी मद्धम होकर के रुक जाती है
क्यों पास रहके खुशियों का जहां मिल जाता
और दूर जाते ही सारा जहां लुट जाता
क्यों विरह में पीड़ा होती है
ये आँखे रह रह के क्यू रोती हैं
क्यों मुझे तोड़ करके शीशे सा
बेरहम वक़्त होके गुजरा है
क्यों इस क्यों का सवाल ढूंढे ये दिल
क्या खत्म होगी नही इसकी कहानी
अनजान राहो में क्यों खोया मेरा निर्मल मन
तन्हा तन्हा लगता क्यों तुम बिन जीवन
तन्हा तन्हा लगता क्यों तुम बिन जीवन
तन्हा तन्हा लगता क्यों तुम बिन जीवन
क्या ये आँखे समंदर से भी गहरी है
क्या ये दिल धडकता है सिर्फ उनके लिए
क्या ये नदी के किनारे बने है
हमेशा जुदा रहने के लिए
क्यों ये सूरज हमेशा तपता है
क्यों ये अम्बर नही बरसता है
क्यों ये धड़कन उनको देखकर के
कभी मद्धम होकर के रुक जाती है
क्यों पास रहके खुशियों का जहां मिल जाता
और दूर जाते ही सारा जहां लुट जाता
क्यों विरह में पीड़ा होती है
ये आँखे रह रह के क्यू रोती हैं
क्यों मुझे तोड़ करके शीशे सा
बेरहम वक़्त होके गुजरा है
क्यों इस क्यों का सवाल ढूंढे ये दिल
क्या खत्म होगी नही इसकी कहानी
अनजान राहो में क्यों खोया मेरा निर्मल मन
तन्हा तन्हा लगता क्यों तुम बिन जीवन
तन्हा तन्हा लगता क्यों तुम बिन जीवन
तन्हा तन्हा लगता क्यों तुम बिन जीवन
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