Wednesday, October 15, 2014

खैरख्वाह उनके हुए तो दुनिया जलने लगी 
हम मुफ्त में ही बदनाम हुए तो कुसूर है मेरा क्या 
तबस्सुम में उनकी खो दिए हम खुद को ही 
तमाम इल्जाम लगे हमपे तो कुसूर है मेरा क्या 
नूर ने उनके बेनूर कर दिया हमको 
खवाबो में अपने घरौंदा बना लिया मैंने उनकी बाहों का 
सारी सारी रात जागते रहते तो सारा सारा दिन हम सोने लगे अपने ख्वाबो में 
अब जमाने ने दीवाना करार कर दिया तो मेरा कुसूर है क्या

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