Wednesday, October 29, 2014
यु ही गुमनाम शब्दों में खोके जाने कहा खो जाते है खुद से बेगाने होते होते जाने कब तेरे हो जाते है
यु ही गुमनाम शब्दों में खोके
जाने कहा खो जाते है
खुद से बेगाने होते होते
जाने कब तेरे हो जाते है
इक नयी सी दुनिया लगती है
जिसमे जाने किससे बात करता हु
चलते चलते अनजान राहो में
उस हंसी ख्वाब से मुलाकात करता हु
मद्धम मद्धम थमती साँसों से
तेरे आगोश में खो जाते है
यु ही गुमनाम शब्दों में खोके
जाने कहा खो जाते है
खुद से बेगाने होते होते
जाने कब तेरे हो जाते है
कलम चलती रहती है
पर यादे नही थकती है
वो आती रहती है
मेरे एहसासों की दुनिया में कभी कभी
कभी खुसिया आती है इस दिल में
तो कभी विरह के बदल छाते है
जाने ये मन के पन्ने
क्यों ओझल से हो जाते है
यु ही गुमनाम शब्दों में खोके
जाने कहा खो जाते है
खुद से बेगाने होते होते
जाने कब तेरे हो जाते है
जाने कहा खो जाते है
खुद से बेगाने होते होते
जाने कब तेरे हो जाते है
इक नयी सी दुनिया लगती है
जिसमे जाने किससे बात करता हु
चलते चलते अनजान राहो में
उस हंसी ख्वाब से मुलाकात करता हु
मद्धम मद्धम थमती साँसों से
तेरे आगोश में खो जाते है
यु ही गुमनाम शब्दों में खोके
जाने कहा खो जाते है
खुद से बेगाने होते होते
जाने कब तेरे हो जाते है
कलम चलती रहती है
पर यादे नही थकती है
वो आती रहती है
मेरे एहसासों की दुनिया में कभी कभी
कभी खुसिया आती है इस दिल में
तो कभी विरह के बदल छाते है
जाने ये मन के पन्ने
क्यों ओझल से हो जाते है
यु ही गुमनाम शब्दों में खोके
जाने कहा खो जाते है
खुद से बेगाने होते होते
जाने कब तेरे हो जाते है
Tuesday, October 28, 2014
क्या मन इस पर्वत से भी विशाल है क्या ये आँखे समंदर से भी गहरी है क्या ये दिल धडकता है सिर्फ उनके लिए
क्या मन इस पर्वत से भी विशाल है
क्या ये आँखे समंदर से भी गहरी है
क्या ये दिल धडकता है सिर्फ उनके लिए
क्या ये नदी के किनारे बने है
हमेशा जुदा रहने के लिए
क्यों ये सूरज हमेशा तपता है
क्यों ये अम्बर नही बरसता है
क्यों ये धड़कन उनको देखकर के
कभी मद्धम होकर के रुक जाती है
क्यों पास रहके खुशियों का जहां मिल जाता
और दूर जाते ही सारा जहां लुट जाता
क्यों विरह में पीड़ा होती है
ये आँखे रह रह के क्यू रोती हैं
क्यों मुझे तोड़ करके शीशे सा
बेरहम वक़्त होके गुजरा है
क्यों इस क्यों का सवाल ढूंढे ये दिल
क्या खत्म होगी नही इसकी कहानी
अनजान राहो में क्यों खोया मेरा निर्मल मन
तन्हा तन्हा लगता क्यों तुम बिन जीवन
तन्हा तन्हा लगता क्यों तुम बिन जीवन
तन्हा तन्हा लगता क्यों तुम बिन जीवन
क्या ये आँखे समंदर से भी गहरी है
क्या ये दिल धडकता है सिर्फ उनके लिए
क्या ये नदी के किनारे बने है
हमेशा जुदा रहने के लिए
क्यों ये सूरज हमेशा तपता है
क्यों ये अम्बर नही बरसता है
क्यों ये धड़कन उनको देखकर के
कभी मद्धम होकर के रुक जाती है
क्यों पास रहके खुशियों का जहां मिल जाता
और दूर जाते ही सारा जहां लुट जाता
क्यों विरह में पीड़ा होती है
ये आँखे रह रह के क्यू रोती हैं
क्यों मुझे तोड़ करके शीशे सा
बेरहम वक़्त होके गुजरा है
क्यों इस क्यों का सवाल ढूंढे ये दिल
क्या खत्म होगी नही इसकी कहानी
अनजान राहो में क्यों खोया मेरा निर्मल मन
तन्हा तन्हा लगता क्यों तुम बिन जीवन
तन्हा तन्हा लगता क्यों तुम बिन जीवन
तन्हा तन्हा लगता क्यों तुम बिन जीवन
कई सपने सजोये बैठे है दिल के एक छोटे से कोने में
कई सपने सजोये बैठे है
दिल के एक छोटे से कोने में
और सीने से लगा रखे है
रखते है तकिये के नीचे ख़त को तेरे
आँख में जब नींद नही आती है
धीरे धीरे रात जब तडपाती है
मन के सिरहाने रखके ख़त को तेरे
टुकुर टुकुर यु ही हम जो देखते है
और सीने से लगा रखे है
रखते है तकिये के नीचे ख़त को तेरे
ठंडी ठंडी हवा के उन झोको से
बाते जाने कितनी करता हु
है मेरा एक ये संदेसा उनको
कहेना उनसे मैंने भेजा है
और सीने से लगा रखे है
रखते है तकिये के नीचे ख़त को तेरे
हर शब्द में छुपा है अक्स तेरा
जिनको निहारता रहता हु
कभी कभी भूल जाता हु पलकों से कहना
दो घडी तुम भी आराम कर लेते सही
पलके छपकना भूल जाती है
जब यादे तुम्हारी आती है
हर वक़्त दीदार तेरा होता है
तू नही सही तेरा ख़त मेरे पास होता है
आ जाओ मन के सूने आँगन में मेरे
और सीने से लगा रखे है
रखते है तकिये के नीचे ख़त को तेरे
और सीने से लगा रखे है
रखते है तकिये के नीचे ख़त को तेरे..............................
निर्मल मन ....................................
दिल के एक छोटे से कोने में
और सीने से लगा रखे है
रखते है तकिये के नीचे ख़त को तेरे
आँख में जब नींद नही आती है
धीरे धीरे रात जब तडपाती है
मन के सिरहाने रखके ख़त को तेरे
टुकुर टुकुर यु ही हम जो देखते है
और सीने से लगा रखे है
रखते है तकिये के नीचे ख़त को तेरे
ठंडी ठंडी हवा के उन झोको से
बाते जाने कितनी करता हु
है मेरा एक ये संदेसा उनको
कहेना उनसे मैंने भेजा है
और सीने से लगा रखे है
रखते है तकिये के नीचे ख़त को तेरे
हर शब्द में छुपा है अक्स तेरा
जिनको निहारता रहता हु
कभी कभी भूल जाता हु पलकों से कहना
दो घडी तुम भी आराम कर लेते सही
पलके छपकना भूल जाती है
जब यादे तुम्हारी आती है
हर वक़्त दीदार तेरा होता है
तू नही सही तेरा ख़त मेरे पास होता है
आ जाओ मन के सूने आँगन में मेरे
और सीने से लगा रखे है
रखते है तकिये के नीचे ख़त को तेरे
और सीने से लगा रखे है
रखते है तकिये के नीचे ख़त को तेरे..............................
निर्मल मन ....................................
हु पथिक मैं अनजान राहो का है सिलसिला ये थकती निगाहों का
हु पथिक मैं अनजान राहो का
है सिलसिला ये थकती निगाहों का
है होठ थरथराते इस भवर में कही
धुंधला सा आसमा तेरी बाहों का
हु पथिक मैं अनजान राहो का
है सिलसिला ये थकती निगाहों का
राहे होती नही खत्म जिन्दगी की कही
इक डोर जो टूटी कई है भी जुडी
तपता सूरज भी लेता परीक्षा हर घडी
कब तक तन्हा चलू,मंजर है हुबहू
तुमने छोड़ दिया दामन तडपती आहो का
हु पथिक मैं अनजान राहो का
है सिलसिला ये थकती निगाहों का
मैं चलता रहा और चलता गया
समय भी हरपल मुझको छलता गया
मैंने माँगा नही था सिवा कुछ पल सुकून के
फूल की नही थी अभिलाषा मुझे
मन में ना ही कोई थी आशा नई
पग पग वो कांटे ही बिछाता गया
हु पथिक मैं अनजान राहो का
है सिलसिला ये थकती निगाहों का
है सिलसिला ये थकती निगाहों का
है होठ थरथराते इस भवर में कही
धुंधला सा आसमा तेरी बाहों का
हु पथिक मैं अनजान राहो का
है सिलसिला ये थकती निगाहों का
राहे होती नही खत्म जिन्दगी की कही
इक डोर जो टूटी कई है भी जुडी
तपता सूरज भी लेता परीक्षा हर घडी
कब तक तन्हा चलू,मंजर है हुबहू
तुमने छोड़ दिया दामन तडपती आहो का
हु पथिक मैं अनजान राहो का
है सिलसिला ये थकती निगाहों का
मैं चलता रहा और चलता गया
समय भी हरपल मुझको छलता गया
मैंने माँगा नही था सिवा कुछ पल सुकून के
फूल की नही थी अभिलाषा मुझे
मन में ना ही कोई थी आशा नई
पग पग वो कांटे ही बिछाता गया
हु पथिक मैं अनजान राहो का
है सिलसिला ये थकती निगाहों का
Monday, October 27, 2014
this is my page direct dil se
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Wednesday, October 15, 2014
मैं यही हु
मैं यही हु
लेकिन वो कहा है
जो इसी राह पर
कुछ कदम मेरा साथ देते थे
हमसफ़र नही थे मेरे
लेकिन कुछ सफ़र तय करते थे
कुछ वो कहते थे
कुछ हम सुनते थे
कभी कभी उनके कदम लडखडाते थे
तो कभी कभी हम उनकी कांपती हथेलियों को थामते थे
उस छुअन से मुझे जाने कैसा एहसास होता था
जैसे कोई खोया हुआ जमाने का मेरे पास होता था
एक अनछुए प्यार का एहसास होता था
लेकिन आज मन उदास है जो मेरे पास वो नही है
हां कुछ कदम आगे गये तो उनकी वो छड़ी दिखी मुझे
और टूटा ऐनक पड़ा था जिसके सीसे बिखरे से पड़े थे
मन में जाने कैसे ख्याल आने लगे
कुछ दूर फटे कपडे और वो शायद हमसे दूर बहुत दूर जा चुके थे
उनसे कोई रिश्ता नही था मेरा
फिर भी जाने क्यों मन उदास था
ये हमारे एहसास ही हमे एक दुसरे से कब अनजाने में
हमे एक दुसरे से जोड़ देते है
की हम एक दुसरे से दिल से जुड़ जाते है
या खुदा
या मेरे मौला
ए मेरे भगवान्
इन एहसासों को ना कभी मरने देना
कुछ इंसानियत हमारे दिल में जिन्दा रखना
बस और बस यही है आपसे गुजारिस
बस और बस इतनी ही छोटी सी है मेरी ख्वाहिस
मैं यही हु
लेकिन वो कहा है
जो इसी राह पर
कुछ कदम मेरा साथ देते थे
हमसफ़र नही थे मेरे
लेकिन कुछ सफ़र तय करते थे
कुछ वो कहते थे
कुछ हम सुनते थे
कभी कभी उनके कदम लडखडाते थे
तो कभी कभी हम उनकी कांपती हथेलियों को थामते थे
उस छुअन से मुझे जाने कैसा एहसास होता था
जैसे कोई खोया हुआ जमाने का मेरे पास होता था
एक अनछुए प्यार का एहसास होता था
लेकिन आज मन उदास है जो मेरे पास वो नही है
हां कुछ कदम आगे गये तो उनकी वो छड़ी दिखी मुझे
और टूटा ऐनक पड़ा था जिसके सीसे बिखरे से पड़े थे
मन में जाने कैसे ख्याल आने लगे
कुछ दूर फटे कपडे और वो शायद हमसे दूर बहुत दूर जा चुके थे
उनसे कोई रिश्ता नही था मेरा
फिर भी जाने क्यों मन उदास था
ये हमारे एहसास ही हमे एक दुसरे से कब अनजाने में
हमे एक दुसरे से जोड़ देते है
की हम एक दुसरे से दिल से जुड़ जाते है
या खुदा
या मेरे मौला
ए मेरे भगवान्
इन एहसासों को ना कभी मरने देना
कुछ इंसानियत हमारे दिल में जिन्दा रखना
बस और बस यही है आपसे गुजारिस
बस और बस इतनी ही छोटी सी है मेरी ख्वाहिस
खैरख्वाह उनके हुए तो दुनिया जलने लगी
हम मुफ्त में ही बदनाम हुए तो कुसूर है मेरा क्या
तबस्सुम में उनकी खो दिए हम खुद को ही
तमाम इल्जाम लगे हमपे तो कुसूर है मेरा क्या
नूर ने उनके बेनूर कर दिया हमको
खवाबो में अपने घरौंदा बना लिया मैंने उनकी बाहों का
सारी सारी रात जागते रहते तो सारा सारा दिन हम सोने लगे अपने ख्वाबो में
अब जमाने ने दीवाना करार कर दिया तो मेरा कुसूर है क्या
हम मुफ्त में ही बदनाम हुए तो कुसूर है मेरा क्या
तबस्सुम में उनकी खो दिए हम खुद को ही
तमाम इल्जाम लगे हमपे तो कुसूर है मेरा क्या
नूर ने उनके बेनूर कर दिया हमको
खवाबो में अपने घरौंदा बना लिया मैंने उनकी बाहों का
सारी सारी रात जागते रहते तो सारा सारा दिन हम सोने लगे अपने ख्वाबो में
अब जमाने ने दीवाना करार कर दिया तो मेरा कुसूर है क्या
एक अनूठी पहेल हर कोई कर सकता है
बस और बस दिल में जज्बा होना चाहिए
मुहब्बत होनी चाहिए अपनी मुहब्बत की तरहा
चाहत होनी चाहिए पूरी सिद्दत से हर लम्हे
उन नन्हे पदों से बात करो उनको निहारो
प्रकृति के साथ भी तो अपने कुछ लम्हे गुजारो
ये जिन्दगी बहुत छोटी है मेरे दोस्त
इसको यु मत उजाडो इसको यु मत उजाडो
हम अगर अनदेखी करेंगे इनकी
तो ये हमको मिटा देंगे इतिहास के पन्ने से
और सुबूत भी है इसके लाखो गवाह भी है
जप्पन की सुआमी याद कर लो
भोपाल की त्रासदी
केदारनाथ की तबाही याद कर लो
अगर ये भी ना याद आये तो
तो बहार निकल कर अपने चारो और देख लो
एड्स वायरस की कहानी याद कर लो
अफ्रीका में अभी ताज़ी ताज़ी एबोला वायरस की जवानी याद कर लो
जिसने अपने आगोश में जाने कितनो को ही ले लिया
कितने मासूमो को अपनी भूख का ग्रास बना लिया
संभल जाओ ऐ दुनिया वालो
नही वक़्त पल में सदियों को बदल देता है तो
तो हम क्या चीज है
धन्यवाद .शुक्रिया,
बस और बस दिल में जज्बा होना चाहिए
मुहब्बत होनी चाहिए अपनी मुहब्बत की तरहा
चाहत होनी चाहिए पूरी सिद्दत से हर लम्हे
उन नन्हे पदों से बात करो उनको निहारो
प्रकृति के साथ भी तो अपने कुछ लम्हे गुजारो
ये जिन्दगी बहुत छोटी है मेरे दोस्त
इसको यु मत उजाडो इसको यु मत उजाडो
हम अगर अनदेखी करेंगे इनकी
तो ये हमको मिटा देंगे इतिहास के पन्ने से
और सुबूत भी है इसके लाखो गवाह भी है
जप्पन की सुआमी याद कर लो
भोपाल की त्रासदी
केदारनाथ की तबाही याद कर लो
अगर ये भी ना याद आये तो
तो बहार निकल कर अपने चारो और देख लो
एड्स वायरस की कहानी याद कर लो
अफ्रीका में अभी ताज़ी ताज़ी एबोला वायरस की जवानी याद कर लो
जिसने अपने आगोश में जाने कितनो को ही ले लिया
कितने मासूमो को अपनी भूख का ग्रास बना लिया
संभल जाओ ऐ दुनिया वालो
नही वक़्त पल में सदियों को बदल देता है तो
तो हम क्या चीज है
धन्यवाद .शुक्रिया,
To save lovely and beautiful nature and adopt natural things live in the heart of nature then we are healthy and long live and we can find from this awesome peace and happiness ,yes this is true my dears now a days too much pollution we are involve to create concrete construction and fighting with each other in a blind race ,we are actind just as a selfish person and for thats like activities we are also getting their result in the form of storm,lot of dengerous diseases,pollution,heavy rainfall,but why we are not caring ourselves and our nature
this is my humble request to my dear frnds to pay attention for this this is a very serious matter when we are not awaken then anything not remain in our hands everything slipped
please plant one cute and beautiful tree,and care this as like tiny child
plaease spent your some unique time in gardeninng
please live some time with nature and talk with this
please save energy resources which is the base of our life like as water ,air,power(electricity),papers.fire,nature.
please spread this message each and everyone and kindly follow this
this is my humble request to my dear frnds to pay attention for this this is a very serious matter when we are not awaken then anything not remain in our hands everything slipped
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please save energy resources which is the base of our life like as water ,air,power(electricity),papers.fire,nature.
please spread this message each and everyone and kindly follow this
बहुत दिन हो गये तुम्हारा कोई हाल चाल नही मिला
ना ही कोई ख़त ना ही कोई संदेसा
सोच रही की एक ख़त लिखू
लेकिन मै उसमे क्या लिखू
कैसे हो तुम मेरे बिन
कैसे रहते है हम तुम बिन
ना वक़्त गुजरता है ना लम्हे कटते है
तेरी याद में हम सारी सारी रात जगते है
कैसे गुजरा है तुम बिन ये सावन
कितना तडपा है विरह में मेरा मन
दो दिन से ये ख़त लिखती हु
बाते है की रूकती ही नही है
तुम एहसासों में सूनी बाहों में
फिर से सजा दो ये सूना मन
अब आ जाओ अब आ जाओ
खत मिलते ही तुम आ जाओ
तुम से जुदा अब रहना है मुस्किल
फिर से सजा दो ये सूना मन
ना ही कोई ख़त ना ही कोई संदेसा
सोच रही की एक ख़त लिखू
लेकिन मै उसमे क्या लिखू
कैसे हो तुम मेरे बिन
कैसे रहते है हम तुम बिन
ना वक़्त गुजरता है ना लम्हे कटते है
तेरी याद में हम सारी सारी रात जगते है
कैसे गुजरा है तुम बिन ये सावन
कितना तडपा है विरह में मेरा मन
दो दिन से ये ख़त लिखती हु
बाते है की रूकती ही नही है
तुम एहसासों में सूनी बाहों में
फिर से सजा दो ये सूना मन
अब आ जाओ अब आ जाओ
खत मिलते ही तुम आ जाओ
तुम से जुदा अब रहना है मुस्किल
फिर से सजा दो ये सूना मन
मै तो बेजुबान हु , पर तुम तो इंसान हो मत मारो मुझे तिल तिल मै भी तुम्हारी तरह एक जान हु
भाइयो आप सभी से एक बात के लिए गुजारिस करता हु कृपया अगर मेरे सहयोग कर सकते है तो जरूर करे मैंने कुछ व्यापारियों और कुछ किसानो को बहुत ही निर्ममता से बेजुबान जानवरों पर अत्याचार करते हुए देखा है जो मात्र अपने निजी स्वार्थ के लिए उनकी जिन्दगीसे खेलते है और हम सब जान कर भी कुछ नही कहते है जो बेजुबान जानवरों को एक हर्मोन का इंजेक्शन लगाते है जिससे दुधारू पशूओ की दूध देने की क्षमता बढ़ जाती है लेकिन वो मात्र कुछ महीनो के लिए ही होती है और इस harmonal injection की वजह से दूध भी जहरीला हो जाता है और और बेजान पशु का शरीर भी धीरे धीरे कमजोर होने लगता है क्योकि वो दूध की मात्र जो बढती है वो उसके शरीर में उपस्थित पोषक तत्वों से बनती है जो उसके शरीर के लिए जरूरी होते है आजकल तो ये प्रयोग सब्जियों और फलो पर भी हो रहा है उनकी growth को बढाने के लिए अपने निहित स्वार्थ के लिए बेजुबान पशुओ के साथ साथ हमारी जिन्दगी से भी खिलवाड़ कर रहे है तो कृपया मेरे भाइयो मै अपने गाववालो को और अपने जाननेवालो को बताता हु और आप भी ऐसा करने वालो को रोकने का उनको समझाने का प्रयास कीजिये क्योकि बूँद बूँद से सागर भरता है और इससे आपको भी फायदा होगा और बेजुबान की मदद भी होगी
मै तो बेजुबान हु ,
पर तुम तो इंसान हो
मत मारो मुझे तिल तिल
मै भी तुम्हारी तरह एक जान हु
मै तो बेजुबान हु ,
पर तुम तो इंसान हो
मत मारो मुझे तिल तिल
मै भी तुम्हारी तरह एक जान हु
ये जान चली जाएगी तुम बिन
तुम्ही हो राधा तुम्ही हो मीरा
तुम्ही हो दिन मेरा तुम्ही सवेरा
हर लम्हा मेरा बीत रहा तुम बिन
तुम ही हो मेरे विरह की पीड़ा
वृन्दावन की हर गली मेरा मन
गौए गोपी मेरे दिल की धड़कन
कैसे तुम्हे सताए कैसे रास रचाए
मन की सूनी अब राह है तुम बिन
हर लम्हा मेरा बीत रहा तुम बिन
मन की सूनी अब राह है तुम बिन
हर लम्हा मेरा बीत रहा तुम बिन
आ जाओ मेरे अब प्रियतम तुम
मत भटकाओ मत तरसाओ
मत पल पल हर पल
मुझको तडपाओ
ये जान चली जायेगी तुम बिन
ये जान चली जाएगी तुम बिन
तुम्ही हो दिन मेरा तुम्ही सवेरा
हर लम्हा मेरा बीत रहा तुम बिन
तुम ही हो मेरे विरह की पीड़ा
वृन्दावन की हर गली मेरा मन
गौए गोपी मेरे दिल की धड़कन
कैसे तुम्हे सताए कैसे रास रचाए
मन की सूनी अब राह है तुम बिन
हर लम्हा मेरा बीत रहा तुम बिन
मन की सूनी अब राह है तुम बिन
हर लम्हा मेरा बीत रहा तुम बिन
आ जाओ मेरे अब प्रियतम तुम
मत भटकाओ मत तरसाओ
मत पल पल हर पल
मुझको तडपाओ
ये जान चली जायेगी तुम बिन
ये जान चली जाएगी तुम बिन
इकरार
आज एहसास हो रहा है की कितना प्यार है और कितना दर्द होता है बिछड़ने में
लेकिन कुछ पल बहुत ख़ास होते है जो विशेष रूप से एहसास कराते है
आज आंखे भी नम है और दिल में दर्द भी है लाख बाते करने का मन हो रहा है ये रात तुम्हारे साथ गुजरने का मन कर रहा है लेकिन सिर्फ सोच तक ही सीमित हु
बंधन है समय का मजबूर किया है उसने हम दोनों को दूर करके देखते है इस समय में ताकत है या हमारे प्यार में कब तक हमे हम से दूर रखता है वो बहुत खुशनसीब है जिन्हें ये पल नसीब हुए हम भी इंतज़ार करेंगे उस लम्हे का जब वो हमारी जिन्दगी से ,हमारी धडकनों से ,हमारी साँसों से वो दीदार कराएगी
ये मेरी तन्हा मुहब्बत है जिसने हमे तन्हा किया है इस अनजाने दर्द का एहसास कराया है हमे दूर करके
लेकिन इसके साथ ही दूरिया बढ़ी तो प्यार भी बहुत बढ़ा
हमे तुमसे हुआ है प्यार हम क्या करे
आप ही बताओ हम कैसे जिए
लेकिन कुछ पल बहुत ख़ास होते है जो विशेष रूप से एहसास कराते है
आज आंखे भी नम है और दिल में दर्द भी है लाख बाते करने का मन हो रहा है ये रात तुम्हारे साथ गुजरने का मन कर रहा है लेकिन सिर्फ सोच तक ही सीमित हु
बंधन है समय का मजबूर किया है उसने हम दोनों को दूर करके देखते है इस समय में ताकत है या हमारे प्यार में कब तक हमे हम से दूर रखता है वो बहुत खुशनसीब है जिन्हें ये पल नसीब हुए हम भी इंतज़ार करेंगे उस लम्हे का जब वो हमारी जिन्दगी से ,हमारी धडकनों से ,हमारी साँसों से वो दीदार कराएगी
ये मेरी तन्हा मुहब्बत है जिसने हमे तन्हा किया है इस अनजाने दर्द का एहसास कराया है हमे दूर करके
लेकिन इसके साथ ही दूरिया बढ़ी तो प्यार भी बहुत बढ़ा
हमे तुमसे हुआ है प्यार हम क्या करे
आप ही बताओ हम कैसे जिए
Monday, October 13, 2014
ek muskaan: मै तो बेजुबान हु , पर तुम तो इंसान हो
ek muskaan: मै तो बेजुबान हु , पर तुम तो इंसान हो: भाइयो आप सभी से एक बात के लिए गुजारिस करता हु कृपया अगर मेरे सहयोग कर सकते है तो जरूर करे मैंने कुछ व्यापारियों और कुछ किसानो को बहुत ही ...
मै तो बेजुबान हु , पर तुम तो इंसान हो
भाइयो आप सभी से एक बात के लिए गुजारिस करता हु कृपया अगर मेरे सहयोग कर सकते है तो जरूर करे मैंने कुछ व्यापारियों और कुछ किसानो को बहुत ही निर्ममता से बेजुबान जानवरों पर अत्याचार करते हुए देखा है जो मात्र अपने निजी स्वार्थ के लिए उनकी जिन्दगीसे खेलते है और हम सब जान कर भी कुछ नही कहते है जो बेजुबान जानवरों को एक हर्मोन का इंजेक्शन लगाते है जिससे दुधारू पशूओ की दूध देने की क्षमता बढ़ जाती है लेकिन वो मात्र कुछ महीनो के लिए ही होती है और इस harmonal injection की वजह से दूध भी जहरीला हो जाता है और और बेजान पशु का शरीर भी धीरे धीरे कमजोर होने लगता है क्योकि वो दूध की मात्र जो बढती है वो उसके शरीर में उपस्थित पोषक तत्वों से बनती है जो उसके शरीर के लिए जरूरी होते है आजकल तो ये प्रयोग सब्जियों और फलो पर भी हो रहा है उनकी growth को बढाने के लिए अपने निहित स्वार्थ के लिए बेजुबान पशुओ के साथ साथ हमारी जिन्दगी से भी खिलवाड़ कर रहे है तो कृपया मेरे भाइयो मै अपने गाववालो को और अपने जाननेवालो को बताता हु और आप भी ऐसा करने वालो को रोकने का उनको समझाने का प्रयास कीजिये क्योकि बूँद बूँद से सागर भरता है और इससे आपको भी फायदा होगा और बेजुबान की मदद भी होगी
मै तो बेजुबान हु ,
पर तुम तो इंसान हो
मत मारो मुझे तिल तिल
मै भी तुम्हारी तरह एक जान हु
मै तो बेजुबान हु ,
पर तुम तो इंसान हो
मत मारो मुझे तिल तिल
मै भी तुम्हारी तरह एक जान हु
Saturday, October 11, 2014
ये जान चली जाएगी तुम बिन
तुम्ही हो राधा तुम्ही हो मीरा
तुम्ही हो दिन मेरा तुम्ही सवेरा
हर लम्हा मेरा बीत रहा तुम बिन
तुम ही हो मेरे विरह की पीड़ा
वृन्दावन की हर गली मेरा मन
गौए गोपी मेरे दिल की धड़कन
कैसे तुम्हे सताए कैसे रास रचाए
मन की सूनी अब राह है तुम बिन
हर लम्हा मेरा बीत रहा तुम बिन
मन की सूनी अब राह है तुम बिन
हर लम्हा मेरा बीत रहा तुम बिन
आ जाओ मेरे अब प्रियतम तुम
मत भटकाओ मत तरसाओ
मत पल पल हर पल
मुझको तडपाओ
ये जान चली जायेगी तुम बिन
ये जान चली जाएगी तुम बिन
तुम्ही हो दिन मेरा तुम्ही सवेरा
हर लम्हा मेरा बीत रहा तुम बिन
तुम ही हो मेरे विरह की पीड़ा
वृन्दावन की हर गली मेरा मन
गौए गोपी मेरे दिल की धड़कन
कैसे तुम्हे सताए कैसे रास रचाए
मन की सूनी अब राह है तुम बिन
हर लम्हा मेरा बीत रहा तुम बिन
मन की सूनी अब राह है तुम बिन
हर लम्हा मेरा बीत रहा तुम बिन
आ जाओ मेरे अब प्रियतम तुम
मत भटकाओ मत तरसाओ
मत पल पल हर पल
मुझको तडपाओ
ये जान चली जायेगी तुम बिन
ये जान चली जाएगी तुम बिन
आज दिल बेचैन है तुम बिन
आज दिल बेचैन है तुम बिन
आज के दिन भी जो दूर हु तुमसे मै
ये सात समंदर कई दीवारों की तरह है
जिन्हें तोडना आज मेरे बस में नही है
मन भारी भारी लग रहा है
आज दिल बेचैन है तुम बिन
गिला है आज खुदा से मुझे
जो उसने दूर किया खुद से
ये विरह की पीड़ा कैसी है
की इसमें जल रहे हर दिन
की इसमें जल रहे दिन दिन
थी बाहों में पनाहों में राहो में निगाहों में
हर लम्हों में तुम होती थी
मेरे दिन मेरी रातो में
आज खुद ही पडा तन्हा
हर मंजर हर लम्हा सूना
ये सिर्फ और सिर्फ मेरी अर्धांगिनी के लिए है जिससे इस पावन पर्व (करवा चौथ ) के अवसर पर उससे दूर हु और सायद मै मजबूर भी जो आज के दिन उससे मिल नही सकता सिर्फ और सिर्फ दीदार कर सकता हु वो भी दूर से मीलो दूर से आज मेरा मन भारी भारी भी लग रहा है और ये एहसास भी हो रहा की पहले छोटी छोटी बातो पर लड़ते झगड़ते थे लेकिन आज उस असीमित और एक दर्द भरे प्यार का एहसास हो रहा है
फिर भी वक़्त के आगे किसका जोर चलता है
लव दिल से
इ लव यू
आज के दिन भी जो दूर हु तुमसे मै
ये सात समंदर कई दीवारों की तरह है
जिन्हें तोडना आज मेरे बस में नही है
मन भारी भारी लग रहा है
आज दिल बेचैन है तुम बिन
गिला है आज खुदा से मुझे
जो उसने दूर किया खुद से
ये विरह की पीड़ा कैसी है
की इसमें जल रहे हर दिन
की इसमें जल रहे दिन दिन
थी बाहों में पनाहों में राहो में निगाहों में
हर लम्हों में तुम होती थी
मेरे दिन मेरी रातो में
आज खुद ही पडा तन्हा
हर मंजर हर लम्हा सूना
ये सिर्फ और सिर्फ मेरी अर्धांगिनी के लिए है जिससे इस पावन पर्व (करवा चौथ ) के अवसर पर उससे दूर हु और सायद मै मजबूर भी जो आज के दिन उससे मिल नही सकता सिर्फ और सिर्फ दीदार कर सकता हु वो भी दूर से मीलो दूर से आज मेरा मन भारी भारी भी लग रहा है और ये एहसास भी हो रहा की पहले छोटी छोटी बातो पर लड़ते झगड़ते थे लेकिन आज उस असीमित और एक दर्द भरे प्यार का एहसास हो रहा है
फिर भी वक़्त के आगे किसका जोर चलता है
लव दिल से
इ लव यू
हमे तुमसे हुआ है प्यार हम क्या करे आप ही बताओ हम कैसे जिए
आज एहसास हो रहा है की कितना प्यार है और कितना दर्द होता है बिछड़ने में
लेकिन कुछ पल बहुत ख़ास होते है जो विशेष रूप से एहसास कराते है
आज आंखे भी नम है और दिल में दर्द भी है लाख बाते करने का मन हो रहा है ये रात तुम्हारे साथ गुजरने का मन कर रहा है लेकिन सिर्फ सोच तक ही सीमित हु
बंधन है समय का मजबूर किया है उसने हम दोनों को दूर करके देखते है इस समय में ताकत है या हमारे प्यार में कब तक हमे हम से दूर रखता है वो बहुत खुशनसीब है जिन्हें ये पल नसीब हुए हम भी इंतज़ार करेंगे उस लम्हे का जब वो हमारी जिन्दगी से ,हमारी धडकनों से ,हमारी साँसों से वो दीदार कराएगी
ये मेरी तन्हा मुहब्बत है जिसने हमे तन्हा किया है इस अनजाने दर्द का एहसास कराया है हमे दूर करके
लेकिन इसके साथ ही दूरिया बढ़ी तो प्यार भी बहुत बढ़ा
हमे तुमसे हुआ है प्यार हम क्या करे
आप ही बताओ हम कैसे जिए
लेकिन कुछ पल बहुत ख़ास होते है जो विशेष रूप से एहसास कराते है
आज आंखे भी नम है और दिल में दर्द भी है लाख बाते करने का मन हो रहा है ये रात तुम्हारे साथ गुजरने का मन कर रहा है लेकिन सिर्फ सोच तक ही सीमित हु
बंधन है समय का मजबूर किया है उसने हम दोनों को दूर करके देखते है इस समय में ताकत है या हमारे प्यार में कब तक हमे हम से दूर रखता है वो बहुत खुशनसीब है जिन्हें ये पल नसीब हुए हम भी इंतज़ार करेंगे उस लम्हे का जब वो हमारी जिन्दगी से ,हमारी धडकनों से ,हमारी साँसों से वो दीदार कराएगी
ये मेरी तन्हा मुहब्बत है जिसने हमे तन्हा किया है इस अनजाने दर्द का एहसास कराया है हमे दूर करके
लेकिन इसके साथ ही दूरिया बढ़ी तो प्यार भी बहुत बढ़ा
हमे तुमसे हुआ है प्यार हम क्या करे
आप ही बताओ हम कैसे जिए
सोलह श्रृंगार से सजूँगी आज मै
सोलह श्रृंगार से सजूँगी आज मै
माथे पे चमकीली बिंदी और मांग में कुमकुम भरूँगी
इंतज़ार पल पल करूंगी निर्मोही चन्दा का
आज अपने पिया के बाहों का हार मै बनूंगी
आज अपने पिया के बाहों का हार मै बनूंगी
आस्था और विस्वास का प्रतीक है ये मिलन
आज इस नदी का होगा अपने सागर से संगम
अपने अंगना को सुन्दर रंगोली से सजाऊँगी
नन्ही बेले चारो कोनो में लगाउंगी
सारा दिन मै मंत्रोच्चार करूंगी
धैर्य की नदी बन के आज मै बहुंगी
आज अपने पिया के बाहों का हार मै बनूंगी
माथे पे चमकीली बिंदी और मांग में कुमकुम भरूँगी
इंतज़ार पल पल करूंगी निर्मोही चन्दा का
आज अपने पिया के बाहों का हार मै बनूंगी
आज अपने पिया के बाहों का हार मै बनूंगी
आस्था और विस्वास का प्रतीक है ये मिलन
आज इस नदी का होगा अपने सागर से संगम
अपने अंगना को सुन्दर रंगोली से सजाऊँगी
नन्ही बेले चारो कोनो में लगाउंगी
सारा दिन मै मंत्रोच्चार करूंगी
धैर्य की नदी बन के आज मै बहुंगी
आज अपने पिया के बाहों का हार मै बनूंगी
हमे तुझसे कितनी मुहब्बत है ये हम जानते नही है मगर
हमे तुझसे कितनी मुहब्बत है
ये हम जानते नही है मगर
लेकिन तुझकोअपने
हर लम्हों में तलाश करते रहते है
जब सामने आते तो घबरा जाते है हम कुछ इस कदर
लेकिन तेरे जाने के बाद तेरी तस्वीर से बात करते है
तसव्वर में रहते हो मेरे हमेशा ही
साथ हो नही मेरे
फिर भी परछाई बनके साथ चलते हो
होता है जब अँधेरा दूर होता है जब सवेरा मुझसे
जब लगता है तन्हाई में डर मुझको
आके धीरे से चुपके से
मेरी बाहों के हार बनते हो
हमे तुझसे कितनी मुहब्बत है
ये हम जानते नही है मगर
लेकिन तुझकोअपने
हर लम्हों में तलाश करते रहते है
ये हम जानते नही है मगर
लेकिन तुझकोअपने
हर लम्हों में तलाश करते रहते है
जब सामने आते तो घबरा जाते है हम कुछ इस कदर
लेकिन तेरे जाने के बाद तेरी तस्वीर से बात करते है
तसव्वर में रहते हो मेरे हमेशा ही
साथ हो नही मेरे
फिर भी परछाई बनके साथ चलते हो
होता है जब अँधेरा दूर होता है जब सवेरा मुझसे
जब लगता है तन्हाई में डर मुझको
आके धीरे से चुपके से
मेरी बाहों के हार बनते हो
हमे तुझसे कितनी मुहब्बत है
ये हम जानते नही है मगर
लेकिन तुझकोअपने
हर लम्हों में तलाश करते रहते है
एहसासों की चिलमन भी क्या कमाल होती है
एहसासों की चिलमन भी क्या कमाल होती है
जो हमारे दिल से जाने कितने बवाल करती है
इसके लिए मन में रोज कोहराम मचता है
इस मुहब्बत की वजह से मेरा तमाशा ए आम होता है
फिर भी लगता है मेरी यही रोजी रोटी है
क्योकि इससे ही मेरा दिन शुरू होता है
और इसके संग ही रात गुजरती है
What is also amazing drapery of feelings
When our heart is so organically
The daily mayhem breaks out of mind
My show is a common result of the mash
That is my bread and butter is still the
Because it starts my day
And pass the night with
जो हमारे दिल से जाने कितने बवाल करती है
इसके लिए मन में रोज कोहराम मचता है
इस मुहब्बत की वजह से मेरा तमाशा ए आम होता है
फिर भी लगता है मेरी यही रोजी रोटी है
क्योकि इससे ही मेरा दिन शुरू होता है
और इसके संग ही रात गुजरती है
What is also amazing drapery of feelings
When our heart is so organically
The daily mayhem breaks out of mind
My show is a common result of the mash
That is my bread and butter is still the
Because it starts my day
And pass the night with
Friday, October 10, 2014
मै पत्थर हु
मै राह में पड़ा रहा कई सदियों से
कितने आये कितने चले गये
किसी ने ठोकर मारी मुझको
तो किसी ने रस्ते से ही हटा दिया
किसीको ठोकर लगी मुझसे
तो कोई ठोकर मार कर चला गया
लेकिन मै था तन्हा तन्हा
और हर पल अकेला ही चलता गया
लोग कहते है बहुत ही हीन भावना से की मै पत्थर हु
हाँ मै पत्थर हु तो मेरी खता है क्या इसमें
किसी ने मारा मुझे किसी ने हटा दिया
मै तो बस इधर से उधर उधर से इधर लुढकता रहा
किसी को कुछ हुआ किसी ने कुछ किया तो मेरी संज्ञा दे दी गयी की वो पत्थर दिल है
लेकिन क्या मुझको दर्द नही होता
मुझे भी अकेलेपन का एहसास होता है
मुझे भी तन्हाइया तन्हा रातो में डराती है
मेरा भी मन होता है की मेरा कोई अपना हो
मै भी जिसका सपना बनू
किन्तु ये समाज संवेदनहीन हो गया
मुझ पत्थर में तो जान आ गयी
लेकिन ये जिन्दगी वाले कब पत्थर बन गये इसका संज्ञान इनको ही नही
चलो देखता हु कब तक दर्द सहता हु
कब तक तन्हा तडपता हु
कब तक लोग तड़पाते है
मै पत्थर नही हु ये बताना है
कुछ करके दिखाना है
श्री राम का इन्तजार कब तक करू मै
मै इंसान बन गया पत्थर से और ये जीते जागते पत्थर बन गये ये बताना है
कितने आये कितने चले गये
किसी ने ठोकर मारी मुझको
तो किसी ने रस्ते से ही हटा दिया
किसीको ठोकर लगी मुझसे
तो कोई ठोकर मार कर चला गया
लेकिन मै था तन्हा तन्हा
और हर पल अकेला ही चलता गया
लोग कहते है बहुत ही हीन भावना से की मै पत्थर हु
हाँ मै पत्थर हु तो मेरी खता है क्या इसमें
किसी ने मारा मुझे किसी ने हटा दिया
मै तो बस इधर से उधर उधर से इधर लुढकता रहा
किसी को कुछ हुआ किसी ने कुछ किया तो मेरी संज्ञा दे दी गयी की वो पत्थर दिल है
लेकिन क्या मुझको दर्द नही होता
मुझे भी अकेलेपन का एहसास होता है
मुझे भी तन्हाइया तन्हा रातो में डराती है
मेरा भी मन होता है की मेरा कोई अपना हो
मै भी जिसका सपना बनू
किन्तु ये समाज संवेदनहीन हो गया
मुझ पत्थर में तो जान आ गयी
लेकिन ये जिन्दगी वाले कब पत्थर बन गये इसका संज्ञान इनको ही नही
चलो देखता हु कब तक दर्द सहता हु
कब तक तन्हा तडपता हु
कब तक लोग तड़पाते है
मै पत्थर नही हु ये बताना है
कुछ करके दिखाना है
श्री राम का इन्तजार कब तक करू मै
मै इंसान बन गया पत्थर से और ये जीते जागते पत्थर बन गये ये बताना है
एहसासों की चिलमन भी क्या कमाल होती है
जो हमारे दिल से जाने कितने बवाल करती है
इसके लिए मन में रोज कोहराम मचता है
इस मुहब्बत की वजह से मेरा तमाशा ए आम होता है
फिर भी लगता है मेरी यही रोजी रोटी है
क्योकि इससे ही मेरा दिन शुरू होता है
और इसके संग ही रात गुजरती है
What is also amazing drapery of feelings
When our heart is so organically
The daily mayhem breaks out of mind
My show is a common result of the mash
That is my bread and butter is still the
Because it starts my day
And pass the night with
जो हमारे दिल से जाने कितने बवाल करती है
इसके लिए मन में रोज कोहराम मचता है
इस मुहब्बत की वजह से मेरा तमाशा ए आम होता है
फिर भी लगता है मेरी यही रोजी रोटी है
क्योकि इससे ही मेरा दिन शुरू होता है
और इसके संग ही रात गुजरती है
What is also amazing drapery of feelings
When our heart is so organically
The daily mayhem breaks out of mind
My show is a common result of the mash
That is my bread and butter is still the
Because it starts my day
And pass the night with
बिखरा ख्वाब
रेत की जमी पर इक मकान हमने भी बनाया था
अपने यादो के खूबसूरत लम्हों से उसको सजाया था
बड़ी ताकीद की थी उनको उसमे लाने की
कई तन्हा राते गुजारी थी बिन चंदा संग अँधेरी रातो में
पल पल हर पल इक इक लम्हा मैंने संजोया था
अपने प्यार के हर इक पल को प्यार की मोतियों संग पिरोया था
ना ही खबर थी हमे नाही मालूम था
की ढह जायेगा ये रेत का महल जिसपे हमने आसिया बनाया था
की ढह जायेगा ये रेत का महल जिसपे हमने आसिया बनाया था
पल हम खेलते थे पल में झूमते थे अपने ख्वाबो के संग
कभी वो मेरी बाहों में होंगे इस झरोखे के पास
कभी आंखमिचौली खेलेंगे उस दरवज्जे के पीछे हम
कभी चुपके से आवाज दे के हम बुलाएँगे
तो कभी कभी अपनी ही यादो में खो जायेंगे
फिर कानो में धीरे से आवाज एक आएगी
हम उनको वो हमको और हम एक दूजे में खो जायेंगे
लेकिन ये क्या आँख खुली नींद टूटी
हाय ये क्या मेरी किस्मत मुझसे रूठी
बिन पानी के मेरी क्यों लुटिया डूबी
बिन पानी के मेरी क्यों लुटिया डूबी
खूबसूरत वो ख्वाबो का गुलिस्ता हमने सजाया था
रेत की जमी पर इक मकान हमने भी बनाया था
अपने यादो के खूबसूरत लम्हों से उसको सजाया था
अपने यादो के खूबसूरत लम्हों से उसको सजाया था
बड़ी ताकीद की थी उनको उसमे लाने की
कई तन्हा राते गुजारी थी बिन चंदा संग अँधेरी रातो में
पल पल हर पल इक इक लम्हा मैंने संजोया था
अपने प्यार के हर इक पल को प्यार की मोतियों संग पिरोया था
ना ही खबर थी हमे नाही मालूम था
की ढह जायेगा ये रेत का महल जिसपे हमने आसिया बनाया था
की ढह जायेगा ये रेत का महल जिसपे हमने आसिया बनाया था
पल हम खेलते थे पल में झूमते थे अपने ख्वाबो के संग
कभी वो मेरी बाहों में होंगे इस झरोखे के पास
कभी आंखमिचौली खेलेंगे उस दरवज्जे के पीछे हम
कभी चुपके से आवाज दे के हम बुलाएँगे
तो कभी कभी अपनी ही यादो में खो जायेंगे
फिर कानो में धीरे से आवाज एक आएगी
हम उनको वो हमको और हम एक दूजे में खो जायेंगे
लेकिन ये क्या आँख खुली नींद टूटी
हाय ये क्या मेरी किस्मत मुझसे रूठी
बिन पानी के मेरी क्यों लुटिया डूबी
बिन पानी के मेरी क्यों लुटिया डूबी
खूबसूरत वो ख्वाबो का गुलिस्ता हमने सजाया था
रेत की जमी पर इक मकान हमने भी बनाया था
अपने यादो के खूबसूरत लम्हों से उसको सजाया था
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