Saturday, October 11, 2014

हमे तुझसे कितनी मुहब्बत है ये हम जानते नही है मगर

हमे तुझसे कितनी मुहब्बत है 
ये हम जानते नही है मगर
लेकिन तुझकोअपने 
हर लम्हों में तलाश करते रहते है 
जब सामने आते तो घबरा जाते है हम कुछ इस कदर 
लेकिन तेरे जाने के बाद तेरी तस्वीर से बात करते है 
तसव्वर में रहते हो मेरे हमेशा ही
साथ हो नही मेरे
फिर भी परछाई बनके साथ चलते हो
होता है जब अँधेरा दूर होता है जब सवेरा मुझसे
जब लगता है तन्हाई में डर मुझको
आके धीरे से चुपके से
मेरी बाहों के हार बनते हो
हमे तुझसे कितनी मुहब्बत है
ये हम जानते नही है मगर
लेकिन तुझकोअपने
हर लम्हों में तलाश करते रहते है

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