Sunday, January 29, 2017

चाहे जो कुछ भी हो मेरी माँ तेरे आँचल का मन प्यासा,,,

कुछ तो हो रहा है,,,
जाने क्यों,,,
फिर भी चेहरे पे मुस्कान है,,,
है कोई रिश्ता नही तुमसे,,
पर जाने क्यों,,,
तेरी ही ओर खिंचा,,, चला आता है,,,
ये मेरा पागल मन,,,
मैंने शब्दों से कुछ नही बोला,,,
ना ही माँ,,,ना ही,,कुछ और,,
फिर भी तुम सबसे बढ़कर लगी,,,
जैसे सूना है तुम बिन जीवन,,,
आपके माथे की रेखा,,,
लड़खड़ाते से ये कदम,,,
जिनको जब जब मैं देखूँ,,,
भावुक हो जाए क्यों ये मन
,,,आपसे मुझको है आशा,,,
जाने कैसी ये परिभाषा,,,
या है कोई तमाशा,,,
चाहे जो कुछ भी हो मेरी माँ
तेरे आँचल का मन प्यासा,,,
तेरे आँचल का मन प्यासा,,

निर्मल अवस्थी
Earth Care foundation

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