जाने क्यों विलुप्त से हो रहे है,,,,
पोखर,,,ताल,,तलैया,,,
जीवन डोर थी बंधी जो इनसे,,,
ना जाने कैसे छूट गयी,,,,
जाने कैसी लहर है ये,,,
चारो तरफ छाया तमस है,,,
जाने क्यों विलुप्त से हो रहे है,,,,
पोखर,,,ताल,,तलैया,,,
जीवन डोर थी बंधी जो इनसे,,,
ना जाने कैसे छूट गयी,,,,
जाने कैसी लहर है ये,,,
चारो तरफ छाया तमस है,,,
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