Saturday, January 14, 2017

मेरी इतनी तनख्वाह नही ,,,,, कि बना सकूँ,,, लाखों के महल,,,, इसिलिए इन सिक्कों से,,, कुछ खुशियाँ खरीदता हूँ,,,,, और इनको रखकर दिल की बैंक में ,,,,ऐ जिंदगी,, हज़ारों खुशियों में बाँट देता हूं,,,,, किसी के सामने खुद बनकर,,,मजाक,, उसके होंठो,,,की हंसी बन जाता हूँ,,,, कभी कभी उनके आँखों पर रखकर हाँथ,, उनके गम भी मैं पोंछ लेता हूँ,,, और इनको रखकर दिल की बैंक में ,,,,ऐ जिंदगी,, हज़ारों खुशियों में बाँट देता हूं,,,,, मेरे पास भी है कुछ ख़ास नही,,,, पर दिल की दौलत भी क्या खूब दी है ख़ुदा ने,,,, जिसमे मैं खुद को भूल जाता हूँ जब थामता हूँ मैं उन कांपते हांथो को,, जाने किस छुअन को एहसास करता हूँ,,, कल कोई नही था जहां में मेरा,,,,, इन ढेरों रिश्तों के साथ रहता हूँ और इनको रखकर दिल की बैंक में ,,,,ऐ जिंदगी,, हज़ारों खुशियों में बाँट देता हूं,,,,, मेरी इतनी तनख्वाह नही ,,,,, कि बना सकूँ,,, लाखों के महल,,,, इसिलिए इन सिक्कों से,,, कुछ खुशियाँ खरीदता हूँ,,,,,

मेरी इतनी तनख्वाह नही ,,,,,
कि बना सकूँ,,, लाखों के महल,,,,
इसिलिए इन सिक्कों से,,,
कुछ खुशियाँ खरीदता हूँ,,,,,
और इनको रखकर दिल की बैंक में ,,,,ऐ जिंदगी,,
हज़ारों खुशियों में बाँट देता हूं,,,,,
किसी के सामने खुद बनकर,,,मजाक,,
उसके होंठो,,,की हंसी बन जाता हूँ,,,,
कभी कभी उनके आँखों पर रखकर हाँथ,,
उनके गम भी मैं पोंछ लेता हूँ,,,
और इनको रखकर दिल की बैंक में ,,,,ऐ जिंदगी,,
हज़ारों खुशियों में बाँट देता हूं,,,,,

मेरे पास भी है कुछ ख़ास नही,,,,
पर दिल की दौलत भी क्या खूब दी है ख़ुदा ने,,,,
जिसमे मैं खुद को भूल जाता हूँ
जब थामता हूँ मैं उन कांपते हांथो को,,
जाने किस छुअन को एहसास करता हूँ,,,
कल कोई नही था जहां में मेरा,,,,,
इन ढेरों रिश्तों के साथ रहता हूँ
और इनको रखकर दिल की बैंक में ,,,,ऐ जिंदगी,,
हज़ारों खुशियों में बाँट देता हूं,,,,,

मेरी इतनी तनख्वाह नही ,,,,,
कि बना सकूँ,,, लाखों के महल,,,,
इसिलिए इन सिक्कों से,,,
कुछ खुशियाँ खरीदता हूँ,,,,,
और इनको रखकर दिल की बैंक में ,,,,ऐ जिंदगी,,
हज़ारों खुशियों में बाँट देता हूं,,,,,

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