मन के चितवन में रहती हो
क्यों दर्द दिलो के सहती हो
धड़कन हो जाती जब मद्धम
धीरे से जाने क्या कहती हो ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
हौले हौले से शामे ढली
जब रात की आहट होने लगी
उस धुंधले धुंधले अंधियारे में
जुगनू सी टिम टिम करती हो
मन के चितवन में रहती हो
क्यों दर्द दिलो के सहती हो ,,,,,,,,,,,,,,,,,,
नैनों से सराहा है हर पल
तुम बिन बहता ये गंगाजल
नित अश्रुधारा में नहाते हम
फिर भी तुम मुहब्बत करती हो
मन के चितवन में रहती हो
क्यों दर्द दिलो के सहती हो
धड़कन हो जाती जब मद्धम
धीरे से जाने क्या कहती हो ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
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