एक लेखक का जीवन भी कुम्हार से कितना मिलता जुलता है,,,बस अपने में ही रमे रहते है ,,,मेरे विचार,,कुम्हार की मिट्टी की तरह है,,जिनको कभी अपने कोमल मन में उठे भावो से मिलाता हु ,,,तो कभी ख़ुशी के आंसुओं से उस मिटटी को सानता हु,,,,जब कभी व्यग्र होता है मन तो बस बरसती आँखों से मन मथता रहता है,,,और उसके ताप से कई अनकहे शब्दों की उत्पत्ति होती है,,,,जिन्हें मैं कुम्हार की चाक रुपी कोरी किताब पर ढालने की कोशिश में लग जाता हूं,,कभी कभी जैसा चाहता हु ,,,वैसा ही आकार लेती है,,,मेरे विचारों की मिट्टी,,,और कभी कभी टेढ़ी मेढ़ी,, सरंचना बनकर रह जाती है ,,,मेरी कविता,,,
तो कभी कभी कल्पना से परे कुछ ऐसा रच जाता है ,,जो आश्चर्यजनक होता है मेरे लिए,,,उसको धीरे धीरे मन के ताप,,,तो कभी उठने वाले भयानक ज्वार से पकाता हु,,,और फिर क्या तैय्यार हो जाती है एक रचना,,,जो खरीददार पर निर्भर करती है ,,,वो जांचता है ,,,परखता है,,फिर कभी घूरती हुई आँखों से चला जाता है,,तो कभी मुस्करा कर कह देता है कि वाह,,, वाह ,,,,पर मेरे लिए मेरी हर रचना अमूल्य धरोहर की तरह होती है ,,,और सच में जैसे कुम्हार भाई के लिए उसकी सारी पूँजी,,,उसके सुख दुख,,,उसकी मिट्टी,,, वो पानी,,और उसकी चाक ,,,सबकुछ है,,,ठीक उसी प्रकार,, हमारा निश्छल मन,,,,उसमे उठने वाले विचार,,,और उन विचारों को पिरोकर या गूंथकर बनी हुई मेरी कल्पना,,,मेरी रचना,,,मुझे अत्यंत ही प्रिय है,,,इसीके साथ साथ बचपन से ही मेरी सामाजिक कार्यों में रुचि रही,,पहले अपनी समझ के अनुसार मैं करता रहता था,,कभी किसी रोते को हंसाकर,,तो कभी किसी अज़नबी को अपना बनाकर ,,कभी किसी सूने आंगन में नन्हें नन्हे,,पौधों को लगाकर ,,और ये सिलसिला आज भी चल रहा है ,,और ये बात सच है कि अकेले किसी मंजिल को तय करना आसान नही,,लोगों का साथ मिल जाये तो मजेदार हो जाती है ,,इसीलिए मैंने अपनी NGO रजिस्टर कराई ,, EARTHCARE FOUNDATION NGO (A PROMISE TO KEEP OUR PLANET CLEAN AND GREEN) , इससे मेरा हौसला भी बढ़ा और लोगों का प्यार भी मिला ,,अब यही मेरा सपना है जिसको साथ लेकर चलना है अपनी धरती को हरा भरा रखने के लिए जो भी संभव प्रयास होंगे वो करना है,,,बस यही है मेरी कहानी,,,
Thanking you
With best regards
Nirmal kumar awasthi
Executive (QA-HIL)
GOLAN, Gujarat
FOUNDER
EARTHCARE FOUNDATION NGO
(A PROMISE TO KEEP OUR PLANET CLEAN AND GREEN)
www.earthcarengo.org
https://www.facebook.com/earthcarengo/