Thursday, July 3, 2014

आमीन आमीन

आज खुद मेहरबान है मुझपर
उसकी इनायत कुछ ज्यादा ही आज है
कुछ तो बात है आज में
की मुकद्दर आसमा पे है
छु लेने का मन आज चाँद और तारो को है
क्योकि आज गुलसिता ही मेरे पास है
आमीन आमीन

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