Wednesday, July 16, 2014

ये मेरे बचपन की बगिया है

ये मेरे बचपन की बगिया है
जिसको मैंने अपने सपनो से सींचा है
कुछ ख्वाब देखे इस आँगन में
जिसमे गिरते सम्भलते बहुत कुछ सीखा है
है कुछ बेगाने तो कुछ अपने भी
जिनके संग जीवन बीता है
कुछ अश्रु मिले कुछ खुशिया भी
जब हारके  सब कुछ जीता है
है अब तो पुराना खंडहर सा
नयनो का झुरमुट रूठ गया
जो साथ चलता  था उस पगडण्डी पे
अब साथ नही है बात नही
बस यादे  है बस यादे है
अब मन में नही कोई सपना है
और नहीं कोई अब अपना है
हाय मेरी इस बगिया को
जाने कौन लूट गया
जाने कौन लूट गया 

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