वो वक़्त की बेरहमी थी
जिसके हर पल संग मै सहमी थी
वो आता मेरे पास जब जब
तो इक बेचैनी बढ़ती थी
मुझको उसने ही दूर किया
और हर पल मुझको मजबूर किया
हर लम्हा मुझको डसने लगा
और मुझसे जाने क्या कहने कहा
जिसके हर पल संग मै सहमी थी
वो आता मेरे पास जब जब
तो इक बेचैनी बढ़ती थी
मुझको उसने ही दूर किया
और हर पल मुझको मजबूर किया
हर लम्हा मुझको डसने लगा
और मुझसे जाने क्या कहने कहा
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