Friday, July 25, 2014

वो वक़्त की बेरहमी थी
जिसके हर पल संग मै सहमी थी
वो आता मेरे पास जब जब
तो इक बेचैनी बढ़ती थी
मुझको उसने ही दूर किया
और हर पल मुझको मजबूर किया
हर लम्हा मुझको डसने लगा
और मुझसे जाने क्या कहने कहा

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