Thursday, July 3, 2014

क्यों

क्यों अपने कुछ स्वार्थ में वशीभूत होकर हम अपने धर्म को अपने आत्मा को अपने मैं को भी दाव पर लगा देते है क्या यही मनुष्यता है क्या यही हमारे पूर्वजो ने हमे सिखाया है क्या यही हमारी संस्कृति है जिसके लिए हम संपूर्ण संसार में जाने जाते है ....

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