Thursday, July 10, 2014

क्यों हम इनकी बात करे जो हमारी नही सोचते है

क्यों  हम  इनकी बात करे जो हमारी नही सोचते है
जो सिर्फ और सिर्फ स्वार्थ से जुड़े हुए है
इनका धर्म इनका कर्म इनका ईमान
और यह तक इनकी रोजी रोटी भी स्वार्थ से सनी हुई है
ये सिर्फ अपनी कुर्सी से प्यार करते है नाही हमसे नाही हमारे देश से
ये सफ़ेद कपड़ो में लुटेरे है
तो हम क्यों इनका विस्वास करे
हर पल हर लम्हा इन्होने हमारे सपनो को चकनाचूर किया है
तो हम क्यों इनसे  प्यार करे
ये राजनेता है इनको तुच्छ और गन्दी राजनीती करनी है
बस और कुछ नही
नहीं इनको अपने शब्दों पर नियंत्रण है नाही अपनी वाणी पर
ये हर शब्द पर राजनीती करते है
तो क्यों न हम इनका तिरस्कार करे 

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