Friday, July 25, 2014

यही जीवन का  सत्य है की मनुष्य के हर कर्म का फल यही मिल जाता है उसके कर्मो के अनुसार किसी को ख़ुशी के रूप में तो किसी को गम के रूप में 
तन्हा होते है हमेशा दूर जब भी होते है तुमसे 
फिर भी जाने कौन साथ रहता है जो मुझसे बात करता है हर पल 
दिखती नही है वो न देख पता मै उसे
फिर भी जाने कैसे उससे मुलाकात होती है हर पल
दूर से यादे बेसब्र करती है हमे 
पास जो होते है तो हमेशा नोक झोक होती है
जिसको बताना था उस तक बात पहुंच गयी
चाहे लब्जो से या फिर दिल के रस्ते से
जानकार भी वो अनजान बनते है कभी कभी 
सायद ये अदा भी नशीली लगती है मुझे उनकी
और क्या हो रहा है वो जब भी मुझसे पूछते है 
हाल ए दिल का कोई पल भी छुपा नही है उनसे
बाते कुछ अटपटी सी लगती है उनकी 
जान कर अनजान बनने की जो आदत हो गयी है
खुद बुलाते है वो महफ़िल में हमे
और बात करने का बहाना ढूंढते रहते है वो 
हम भी इतने हिम्मतवाले नही है 
क्योकि दिल खो दिया है उसी रस्ते में कही
ढूढ़ता है दिल बेचारा कभी ढूढ़ते है हम उसे
सामने रहकर भी मुझको वो दिखाई देता नही
वो कहते है की अपने सारे गम देदो 
और मेरी सारी खुसिया लेलो 
लेकिन क्या वो नही जानते 
की मेरी खुसी भी वोही है
और गम वोही
तुझसे शुरू
तुझसे खत्म
ये जिंदगी का
हर लम्हा
तू साथ है 
तो हर सवेरा मेरा
जो तू नही 
तो क्या है मेरा
वाइफ और पत्नी का सम्बोधन तुम्हे जमाने ने दिया 
इसी बहाने मैंने भी इक नाम तुम्हारा रख दिया
तुम हो साँसे तुम हो बाहे 
मेरे दिन 
और
मेरी राते

संगिनी हो जीवन की मेरे

संगिनी हो जीवन की मेरे

वजूद मेरा ही कहा है 
जब इस गली से गुजरा तो जाना 
पैमाने मोहब्बते के अजमाए नही थे 
लेकिन चले जो आजमाने तो 
अस्तित्वहीन हो गये 
राहो में ढूढ़ने निकले थे कुछ 
और मिल गया वो 
जिसको सोचा नही था कभी
वो वक़्त की बेरहमी थी
जिसके हर पल संग मै सहमी थी
वो आता मेरे पास जब जब
तो इक बेचैनी बढ़ती थी
मुझको उसने ही दूर किया
और हर पल मुझको मजबूर किया
हर लम्हा मुझको डसने लगा
और मुझसे जाने क्या कहने कहा

Thursday, July 24, 2014

सावन घुमड़ घुमड़ बरसे
मेघा ये घम घम घम गरजे
बूंदे भी नृत्य करे छम छम
मन में जैसे प्रेम रस बरसे
नैनो में नसा सा छाने लगा
कोई बेगाना अपना बनाने  लगा
उस बारिश में ऐसे भीगी
जैसे सारी दुनिया लगे फीकी
एक वो है संग मै भी हु
और सारे जहां में कोई नही
इस प्रीत की रीत को कैसे कहे
जैसे प्रेम में हो गयी मै बावरी
लत इत उत डोले
कैसी रुत ये चले
नैनो का दरवज्जा न खोले
ये कुँढि लाज की लग गई
इसको कैसे खोले कैसे खोले
सावन घुमड़ घुमड़ बरसे
मेघा ये घम घम घम गरजे
बूंदे भी नृत्य करे छम छम
मन में जैसे प्रेम रस बरसे  

मेरे प्रियवर मेरे साथी

मेरे प्रियतम ,

समझ नही आता मै क्या कहु तुमसे और क्या लिखू वक़्त जो आपके साथ बिताना था इतनी जल्दी बीत गया और अब जो समय अलग रहकर गुजारना है वो पता नही कैसे बीतेगा ये नही जानते है हम ,हर पल तुम्हारे संग जो गुजरा है वही हर पल अब तुम्हारे बिन गुजरेगा
                    अब मुझे ये एहसास हो रहा है की कभी कभी जिंदगी हमे गुमराह करती रही और हम समझ ही नही पाये। या फिर ये हमारे कर्मो की सजा है। क्या सोचा था हमने और क्या मिला हमे ज्यादा कुछ नही बस थोड़ी सी जिंदगी में उम्र भर का साथ माँगा था पर किस्मत ने हमे यही पर जुड़ा कर दिया आगे का सफर कैसा होगा ये नही जानते हम
अनजाने में ही सही पर न जाने कब आपसे बेइंतहा मुहब्बत कर बैठी  पता ही नही चला लोगो को इस दर्द से गुजरते देखती थी तो मै ये सोचती थी की हमारी जिंदगी में ये क्षण आएगा ही नही लेकिन मेरा भृम टूट गया प्यार कैसा भी हो तकलीफ देता ही है ये ऐसा दर्द जो किसी को दिखा भी नही सकते और नाही कोई इसे कम कर  सकता है सिवाय इसके जिसने ये दर्द दिया है बहुत तकलीफ हो रही है इतना दर्द तो सायद कभी नही हुआ जिंदगी एक बोझ की तरह लग रही है अब ऐसी स्थिति है मेरे सामने की न मई जी सकती हु नाही मै मर सकती हु



मेरे प्रियवर
मेरे साथी
तुम जैसे दिया हो
मैं उसकी बाती
मेरे नैनो का श्रृंगार है तुझसे
ये तेरा आभार है मुझपे
कुछ मेरा भी अधिकार है तुझपे
ये जानकर एक निवेदन है
तुमसे प्यार में अनुमोदन है
मत जाओ मुझसे दूर सखी
मत जाओ मुझसे दूर सखी
तुम बिन  कैसे कटेंगे दिन
सूना सूना मन का उपवन
दिन रेन की सुध न रही सखी
मेरे पल पल लागे कई कई जीवन
कस्तूरी मेरे कुण्डल में
मै फिर भी भटकू इस वन में
आ जाओ मेरे पास सखी
मत जाओ मुझसे दूर सखी
मत जाओ मुझसे दूर सखी
मत जाओ मुझसे दूर सखी

Wednesday, July 16, 2014

उनकी महफ़िल में हम बेगाने हो गए

उनकी महफ़िल में हम बेगाने हो गए

उनकी महफ़िल में हम बेगाने  हो गए
जबसे   वो किसी और के दीवाने हो गए
समय  के ये सिलसिले   पुराने  हो गए
उनकी महफ़िल में हम बेगाने  हो गए
कोशिशे   बहुत  की हमने समझाने की
मन्नते भी की उनको  मनाने  की
वो न समझे   हमारे   दिल  के हालात  को
न समझे हमारे वो जज्बात को
वक़्त के हाथ   खिलोने बन गए
उनकी महफ़िल में हम बेगाने  हो गए

ये मेरे बचपन की बगिया है

ये मेरे बचपन की बगिया है
जिसको मैंने अपने सपनो से सींचा है
कुछ ख्वाब देखे इस आँगन में
जिसमे गिरते सम्भलते बहुत कुछ सीखा है
है कुछ बेगाने तो कुछ अपने भी
जिनके संग जीवन बीता है
कुछ अश्रु मिले कुछ खुशिया भी
जब हारके  सब कुछ जीता है
है अब तो पुराना खंडहर सा
नयनो का झुरमुट रूठ गया
जो साथ चलता  था उस पगडण्डी पे
अब साथ नही है बात नही
बस यादे  है बस यादे है
अब मन में नही कोई सपना है
और नहीं कोई अब अपना है
हाय मेरी इस बगिया को
जाने कौन लूट गया
जाने कौन लूट गया 

Sunday, July 13, 2014

जीने की चाहत न थी इस दिल में

जीने की चाहत न थी इस दिल में
तुम्हे देखकर जीने का मकसद मिल गया
हजारो सपने थे जहन में मेरे
लेकिन अब हकीकत से ये दिल रूबरू हो गया

Friday, July 11, 2014

मुझे दर दर मरने छोड़ दिया

क्यों हमारे सपने को चकनाचूर किया
हमने भी कुछ सोचा था पाने लिए
लेकिन उसने हमारी अस्मिता को झकझौर दिया
चंद लम्हों के सुकून की खातिर
हमारे सपनो को तोड़ दिया
अब अन्धकार है चारो तरफ मेरे
भविष्यहीन हो गया ये जीवन
उस बहसी दरिंदे ने मेरे
तन मन को छोड़ दिया
अब नही है जीने की आस मुझे
अब कोई नही है मेरे लिए
क्या क्या सोचा था हमने
उसने ख्वाबोको तोड़ दिया
उसने जिस्म की भूख मिटाई
मुझे दर दर मरने छोड़ दिया
मुझे दर दर मरने छोड़ दिया 

ये क्या हुआ इन सफेदपोशो को

ये क्या हुआ इन सफेदपोशो को
क्यों हमारी डूबी लुटिया डुबोना चाहते है
हम तो उठ नही सकते है ये मालूम है हमे
फिर ये क्यों हद से ज्यादा अपने को गिराना चाहते है
वादो को करना और तोडना तो इनकी फितरत है
हमे दर्द बहुत मिला है जमाने से
फिर ये क्यों तड़पाना चाहते है हमे


एक चाय मिल जाती तो शाम और दिलनशी हो जाती

एक चाय  मिल जाती तो
शाम और दिलनशी हो जाती
यहाँ मौसमी बारिस तो नही है
लेकिन ये मन फिर भी भीग  गया
जो तू नही मिली मुझे
गर तेरी यादे मिल जाती तो
सायद ये जिंदगी रंगीन हो जाती
हाँ तुमसे दूर हूँ मै फिर भी
पास यादें है तुम्हारी
और तन्हा ये आलम है
चांदनी रात भी कुछ याद दिला रही है मुझे
कुछ तो है और कुछ जो नही है
बस इसी कस्मकस में तड़पता है ये दिल
हाँ सुकु है थोड़ा ही सही
देखते है ये इंतज़ार कितना सितम ढाता है
ऐसी ही कुछ उन्सुल्झी पहेली है
तभी जिंदगी मेरी इतनी अकेली है
तो चलो अपनी चाय का ही सहारा लेते है
कुछ पल ही सही इसीके बहाने कुछ यादो को अपना बनाते है 

Thursday, July 10, 2014

क्यों हम इनकी बात करे जो हमारी नही सोचते है

क्यों  हम  इनकी बात करे जो हमारी नही सोचते है
जो सिर्फ और सिर्फ स्वार्थ से जुड़े हुए है
इनका धर्म इनका कर्म इनका ईमान
और यह तक इनकी रोजी रोटी भी स्वार्थ से सनी हुई है
ये सिर्फ अपनी कुर्सी से प्यार करते है नाही हमसे नाही हमारे देश से
ये सफ़ेद कपड़ो में लुटेरे है
तो हम क्यों इनका विस्वास करे
हर पल हर लम्हा इन्होने हमारे सपनो को चकनाचूर किया है
तो हम क्यों इनसे  प्यार करे
ये राजनेता है इनको तुच्छ और गन्दी राजनीती करनी है
बस और कुछ नही
नहीं इनको अपने शब्दों पर नियंत्रण है नाही अपनी वाणी पर
ये हर शब्द पर राजनीती करते है
तो क्यों न हम इनका तिरस्कार करे 

मेरे कान्हा

मेरे कान्हा भी कभी कभी मेरे साथ सरारत करते है कभी कभी मुझे सताते है आज सुबह मई मंदिर में उन्हें स्नान करा रहा था उसके पहले उनका मुकुट और माला और उनके कपडे उतार रहा  था की स्नान कर लो  लेकिन कभी वो अपना माला खीच रहे  कभी अपना मुकुट नही दे रहे कभी इधर कभी उधर भाग रहे मुझे भी इनकी ये सरारत देख कर मन ही मन आनंद मिल रहा था और मै बार बार पुकार रहा कान्हा कान्हा इधर आइये मुझे और भी काम है लेकिन वो कहा मानने वाले वो आगे आगे मै पीछे पीछे आखिर  थककर मई एक तरफ बैठ गया तो अपनी मनमोहक मुस्कान के साथ मुस्कराते हुए मेरे पास आकर बैठ गए मैंने भी कहा की आप मुझे सताना चाहते थे ना
भाइयो ऐसा रोज होता है मेरे और मेरे कृष्णा के बीच क्या आप भी कभी बात करने की कोशिश किये अगर नही तो एक बार करके देखिये मै सच कहता हु इतना आनंद आपको कही नही मिलेगा
जय श्री कृष्णा
जय जय श्री कृष्णा

Wednesday, July 9, 2014

यूं टूट कर न रो मेरे दिल इस क़द्र

यूं टूट कर न रो मेरे दिल इस क़द्र
यहाँ कोई नही है तेरी सुनने वाला
रो रो के सायद ही आत्मा भीग जाये तेरी
रूह  काँप जाये चाहे  देखने  वालो  की
लेकिन नही कोई तेरी मुहब्बत को चाहने वाला

क्यों अपनी ही राह में हम मुसाफिर की तरह है

क्यों अपनी ही राह में हम मुसाफिर की तरह है
मुहब्बत को अपना आशियाना बना ले गर
मंजिले है बहुत इस राह में
कुछ सीधी है कुछ टेढ़ी है
कुछ का नहीं है पता तो
कुछ खुद ढूंढ  रही  है अपने पते को
मुहब्बत को अपना आशियाना बना ले गर
मंजिले है बहुत इस राह में
कुछ सीधी है कुछ टेढ़ी है
कुछ का नहीं है पता तो
कुछ खुद ढूंढ  रही  है अपने पते को 

ये जिंदगी क्यों इतनी नीरस हो गयी

ये जिंदगी क्यों इतनी नीरस हो गयी यहाँ तो मेरे पास सब कुछ है सिर्फ तुम्हारे सिवा फिर भी मन  में आज ऐसा क्यों प्रतीत हो रहा है क्या ये प्रेम   में  विरह की पीड़ा  है  या  फिर और  कुछ। कुछ भी समझ नही आ  रहा है न ही कुछ करने  को  मन हो रहा है न ही कही आने  का  न ही कही जाने का ये क्या है क्या मै प्रेम से परिचित हो रहा हु  या ये समय  मुझे  इस  से अपना परिचय कराना  चाह  रहा है
और क्या है प्रेम की वास्तविकता  क्या हम एक  दूसरे  से जुदा होते  है तभी हमे वास्तविक प्रेम का एहसास होता है या हमारा छोटी छोटी बातो पर लड़ना झगड़ना रूठना फिर मनाना ये भी प्रेम का ही स्वरुप है हाँ मैंने  कभी कभी ये एहसास जरूर किया है की जब थोड़े  थोड़े  अंतराल  पर हम अपने  परिवार  से दूर  होते है तो हमे अपनी कमियों का भी एहसास होता है और अपनों के प्यार  का भी एहसास होता है लेकिन दूर होकर  ही क्यों मै ये जानना चाहता हूँ
की वास्तविक रूप  क्या है प्रेम का कैसे  उस  से साक्षात्कार  होगा  हमारा

वो लड़ना झगड़ना वो रूठना मनाना

वो लड़ना झगड़ना वो रूठना मनाना
वो रूठ के जाना मेरा घंटो मनाना
कभी कान पकड़ते तो कभी इसारो में कहते
की मान जाओ सनम मान जाओ
अब हम न करेंगे सरारत
बस करेंगे मुहब्बत
उन पलो में भी क्या था
जो आज नही है
तब मेरे सपने ही हकीकत थे
लेकिन आज ख्वाब भी नही है
तंग गालिया  हुई  अब
अब रहा न वो बचपन
उम्र के इस सफर ने
ढाया है ये सितम

दम घुटता है इस आशियाने में कभी कभी

दम घुटता है इस आशियाने में कभी कभी
क्योकि सब कुछ है इसमें पर तुम नही
आती है हर पल वो आहट तुम्हारी
जब चुपके आके कान में कुछ कह जाती थी
कुछ आता था समझ में कुछ धुंधला जाता था
कभी कभी अँधेरे में भी नजर आती थी मेरी जानशी

There is a difference between love and attraction, why not let him forget that today's generation

There is a difference between love and attraction, why not let him forget that today's generation
Love is as vast as the ocean
It is very subtle attraction
Love is compassion, in kindness
If there is a desire to charm
Love is Paphin
Attraction is absorbed in sin
Love teaches us to live
Drops into a ditch so deep attraction
Why do we not recognize the address
The difference in both ground Asman

प्यार और आकर्षण में बहुत अंतर होता है न जाने आज की पीढ़ी इसको पहचान ने में क्यों भूल करती है प्रेम सागर की तरह विशाल है

प्यार और आकर्षण में बहुत अंतर होता है न जाने आज की पीढ़ी इसको पहचान ने में क्यों भूल करती है
प्रेम सागर की तरह विशाल है
तो आकर्षण बहुत ही सूक्ष्म है
प्रेम में दया है करुणा है
तो आकर्षण में वासना है
प्रेम पापहीन है
आकर्षण पाप में लीन है
प्रेम हमे जीना सिखाता है
तो आकर्षण गहरे खड्डे में गिराता है
फिर हम क्यों नही पहचान पते है
दोनों में जमीन आस्मां का अंतर है

Saturday, July 5, 2014

एक अधूरा जहां अधूरे लोग अधूरी नियत अधूरी इंसानियत

एक अधूरा जहां अधूरे लोग अधूरी नियत अधूरी इंसानियत
ये कहा आ गए ख़ुदा जहा न लोगो के पास दिल है
न ही इंसानियत न ही एक दूसरे से बोलना चाहते है
सिर्फ और सिर्फ पत्थर की मूर्ती है
सब अपने अहम में खोये हुए है
यह मै ही मै है हम नही है
झूठा संसार है झूठे लोग
इस से तो अच्छी थी अपनी मिटटी
अपना घर अपना सहर अपनी धरती अपना देश
नही चाहिए मुझे धन
नहीं चाहिए मुझे दौलत
मुझे चाहिए दिल का जहां
दिलवाले लोग
सच्चे दोस्त

चाहत अभी अधूरी है दोस्तa

चाहत अभी अधूरी है दोस्त
क्योकि चाँद खेल रहा है आंखमिचौली
आजाओ फलक पे ये इल्तेजा है मेरी
मत सताओ मेरी मुहब्बत को
प्यासी वो है तो बेचैन है हम भी
आ जाओ आ जाओ आ जाओ
बस कुछ साँसे है अधूरी 

चाहत अभी अधूरी है दोस्त

चाहत अभी अधूरी है दोस्त
क्योकि चाँद खेल रहा है आंखमिचौली
आजाओ फलक पे ये इल्तेजा है मेरी
मत सताओ मेरी मुहब्बत को
प्यासी वो है तो बेचैन है हम भी
आ जाओ आ जाओ आ जाओ
बस कुछ साँसे है अधूरी 

Friday, July 4, 2014

वो इसारे से समझाना

वो इसारे से समझाना
अंजानी भाषा में बात करना
कुछ भी कहने में असमर्थ शब्दों से
लेकिन इसारो से बया करना
वो तुतलाती हुई जुबा से
नन्हे नन्हे कदमो पे आना
कभी गिरना कभी सम्भलना
फिर उठके मेरी गोदी में आना
वो मासूमियत वो मुस्कान
याद रहेगी मेरे दिल हमेसा
मेरा नन्हा सा दिल
जाने मुझसे क्या कहता
इन पलो में जैसे सारा जहां समय है
जन्नत की शैर से काम नही ये पल मेरे लिए
मेरे लाल तू जुग जुग जिए
मेरे लाल तू जुग जुग जिए
मेरे लाल तू जुग जुग जिए 

So why do we have so much crime

Never in thanking the same
How were we going to ask them questions
We never used to talk to the moon in lonely nights
Just what we think we were right then or now
Then there was nothing to me except the heart
Today, everything else is just heart
Then we'd find a few money from happiness
happiness earn millions thirsting for now is too small
Relationships were then used as the friend of man
Now just means that the partner
The only time when there was no work for yourself
There is time for work and loved ones today
Never mind gets sad sometimes sobbing sobbing cries of
Nobody is listening to my voice today to the
If the above prey
If we can not tolerate such atrocities you
So why do we have so much crime
So why do we have so much crime

तो इतने गुनाह क्यों हमने किये

कभी ख्यालो में ऐसे ही
उन से जाने कैसे सवाल पूछते थे हम
कभी तन्हा रातो में चाँद से बाते करते थे हम
अभी सोचते है हम की क्या हम तब ठीक  थे या  अब  हम
तब कुछ भी नही था मेरे पास इस दिल के सिवा
आज सब कुछ है बस दिल के सिवा
तब हमे खुसी मिल जाती थी चंद पैसो से
अब लाखो कमा कर भी छोटी सी खुसी के लिए तरसते है
तब रिश्ते थे नाते थे यार थे दोस्त थे
अब बस मतलब के साथी है
तब समय ही समय था अपने लिए कोई काम न था
आज काम ही काम है समय नही है अपनों के लिए
कभी उदास हो जाता है मन तो कभी सिसक सिसक के  रोने लगता है
आज कोई नही है मेरी आवाज को सुन ने के लिए
करते है गुजारिस ऊपर वाले से
अगर हम सह नही सकते है इतने जुल्म तुम्हारे
तो इतने गुनाह क्यों हमने किये
तो इतने गुनाह क्यों हमने किये

he smiles miss Evening When sunset came yawning

he smiles miss Evening
When sunset came yawning
A voice came from the mind of
Get a cup of tea
We used to say in a low tone gingerly
O listen to the evening's set!
The voice was sharp and Bhunbhunati
Ya know what I need you more than me
We were also a little amused were Fuslate
He grabbed his ears were occasionally observed
I put a smile on your face melt hearts
You do get the occasional cry too
We both seemed to flow into the flow of emotions
May your tea brought two right moment
She walked back into the kitchen we
It calls to mind some mischief
Go back to your arms, and took over the
It is not just the story of a tea
This aspect of our lives haseen
Sometimes we laugh at the Loneliness
Are sometimes laugh laugh then cry
Strange Love it love it
In love tease and Srart

वो मुस्कराती हुई शाम याद आती है जब शाम ढलते ही जम्हाई आती थी

वो मुस्कराती हुई शाम याद आती है
जब शाम ढलते ही जम्हाई आती थी
मन से एक आवाज आती थी की
एक चाय की प्याली मिल जाए
हम भी धीमी आवाज में डरते डरते कहते थे
अजी सुनती हो शाम ढलने को है
उधर से तेज और कुछ भुनभुनाती हुई आवाज आती
हां पता है मुझे मुझसे ज्यादा किसकी जरुरत है तुम्हे
हम भी थोड़ा बहलाते थे थोड़ा फुसलाते थे
कभी कभी अपने कान पकड़कर उनको मनाते थे
लगा दिल पिघला चेहरे पे एक मुस्कान आई
जाओ आप भी रुला देते हो कभी कभी
हम दोनों भावनाओ के प्रवाह में बहने लगते थे
ठीक है ठीक है आपकी चाय मई दो पल में लाई
वो रसोई में जाती हम पीछे से पहुंच जाते
मन ये कहता कुछ शरारत करे
पीछे जाके भर लेते थे अपनी बाहो में
सिर्फ ये एक चाय की कहानी नही है
ये हमारे जिंदगी के हसीं पहलू है
जो तन्हाई में कभी हमको हँसते है
तो कभी कभी हँसाते हँसाते रुला जाते है
अजीब है ये प्यार ये मुहब्बत
प्यार में चिढ़ाना और ये सरारत

हमे काफ़िर समझे दुनिया तो समझने दो पर हम तुम्हारी इबादत करेंगे

हमे काफ़िर समझे दुनिया तो समझने दो
पर हम तुम्हारी इबादत करेंगे
टूट जाये चाहे जितने महल सपनो के
लेकिन दिल न टूटने देंगे अपनों के
हर तूफ़ान से लड़ेंगे
कभी गिरेंगे कभी संभलेंगे
आसमा पे उड़ने की ख्वाइश नही है मेरे दोस्तों
उनको मुमताज तो हम मुहब्बत के शाहजहाँ बनेंगे
बंदगी करेंगे हमेसा हर दिल की
जो मुहब्बत को जिंदगी समझते है
हमे काफ़िर समझे दुनिया तो समझने दो
पर हम तुम्हारी इबादत करेंगे

Thursday, July 3, 2014

आमीन आमीन

आज खुद मेहरबान है मुझपर
उसकी इनायत कुछ ज्यादा ही आज है
कुछ तो बात है आज में
की मुकद्दर आसमा पे है
छु लेने का मन आज चाँद और तारो को है
क्योकि आज गुलसिता ही मेरे पास है
आमीन आमीन

मनुष्यता पर प्रहार

आजकल हम क्यों मनुष्यता पर प्रहार करने से नही चूकते है क्यों कभी कभी हम मासूमियत का भी गाला घोटने से हिचकिचाते नही है आजकल की दिनचर्या अपनी संस्कृति से खिलवाड़ ये क्या है क्यों हम इतने क्रुद्ध और निर्मम होते जा रहे है क्या दया भाव का लोप होता जा रहा है ऐसा क्यों सायद हम अत्यधिक स्वार्थी हो गए है और इतना की सिर्फ मै ही मैं दिखाई देता है और कछ दीखता ही नही हमारे आँखों के सामने उजाला होते हुए भी हम अन्धकार में ही जीना चाहते है या आदी हो गए है ऐसी दिनचर्या के लिए क्यों हम बदल नही सकते है क्या ये इतना कठिन कार्य है हमे बदलना होगा
सायद बदलाव ही उपाय है लेकिन ऐसा नही जैसा आजकल है
बदलाव सार्थक होना चाहिए

वृन्दावन की गलिन में न आना सखी मुरली वाले को तुम न बुलाना सखी

वृन्दावन की गलिन में न आना सखी
मुरली वाले को तुम न बुलाना सखी
वो तो है ही चितचोर सखी
बावरा हम को वो तो कर जायेगा
फिरती रहूंगी फिर मई गली गली
वृन्दावन की गलिन में न आना सखी
मुरली वाले को तुम न बुलाना सखी 

क्यों

क्यों अपने कुछ स्वार्थ में वशीभूत होकर हम अपने धर्म को अपने आत्मा को अपने मैं को भी दाव पर लगा देते है क्या यही मनुष्यता है क्या यही हमारे पूर्वजो ने हमे सिखाया है क्या यही हमारी संस्कृति है जिसके लिए हम संपूर्ण संसार में जाने जाते है ....

धर्म और दया सबसे बड़े हथियार है

धर्म और दया सबसे बड़े हथियार है जिनसे हम संपूर्ण विस्वा को अपना बना सकते है
Righteousness and mercy which is the biggest weapon that we can complete your world

ek muskaan: जब जब आईने में देखा हमने उनको

ek muskaan: जब जब आईने में देखा हमने उनको: जब जब आईने में देखा हमने उनको तो लाखो बार मदहोश क्यों हुए हम हम अपन आप को तो देखते रोज आईने में लेकिन एक बार भी हम बेहोश ना हुए हम यही ...

when we saw him in the mirror Why then slew a million times, we

when we saw him in the mirror
Why then slew a million times, we
If you see of yourself in the mirror everyday we
But we were not too faint
That is the question we are asking ourselves
He Nur heaven or no Khksha
The prayer of the heart every moment that beauty
We think the same is staring in the mirror
We would love to get myself one day
But challenged every moment by yourself
Why is this so in love

क्यों

क्यों अपने कुछ स्वार्थ में वशीभूत होकर हम अपने धर्म को अपने आत्मा को अपने मैं को भी दाव पर लगा देते है क्या यही मनुष्यता है क्या यही हमारे पूर्वजो ने हमे सिखाया है क्या यही हमारी संस्कृति है जिसके लिए हम संपूर्ण संसार में जाने जाते है ....

We also passengers on the road my friend

We also passengers on the road my friend
See you then walk a few steps with me
Will realize the sun shade
Between stranger be with loved ones
Be broken, no matter how the Orangery
But the heart will always palace Dream

ek muskaan: बाहो की अंजुमन में इक बार चले आओ

ek muskaan: बाहो की अंजुमन में इक बार चले आओ: बाहो की अंजुमन में इक बार चले आओ  इस बिरह की वेदना कुछ तो कम होगी

लेकिन दिल में हमेशा सपनो का ताजमहल होगा

हम भी इस राह के मुसाफिर है मेरे दोस्त
कुछ कदम मेरे संग तो चल के तो  देखिये
धुप में भी छाँव का एहसास होगा
बेगानो के  बीच भी अपनों का साथ होगा
चाहे कितने ही टूट जाये शीशमहल
लेकिन दिल में हमेशा सपनो का ताजमहल होगा

Wednesday, July 2, 2014

बाहो की अंजुमन में इक बार चले आओ

बाहो की अंजुमन में इक बार चले आओ 
इस बिरह की वेदना कुछ तो कम होगी

अंजामे मुहब्बत की परवाह नही है हमे

अंजामे मुहब्बत की परवाह नही है हमे
हम तो तुफानो से रोज लड़ते है
दिल में जज्बा है और साथ है तुम्हारा तो
खुद से भी लड़ने की ताकत हम रखते है

गमो की बारिशे बहुत है

गमो की बारिशे बहुत  है
इस अँधेरे समाज में
जो  देख नही  सकते
वो भी इल्जाम लगाते है  हम पर