Monday, October 1, 2018
प्रेम मार्ग श्रेष्ठ अथवा भक्ति मार्ग,, ये प्रश्न अत्यन्त ही जटिल अथवा सरल????? ये युगों युगों से पूछा जाता रहा है कभी किसी से तो कभी किसी से????? इसमें विरह भी है,,, और मिलन भी,, तड़प भी है,, आस भी,, जिनके लिए इसके सिवा ना कोई काम है,,, शायद इन्ही का नाम,,, कोई राधे कहता है,, तो कोई कहता श्याम है ,,, इसमें स्नेह है,, प्यार है,, निश्छलता है ना क्रोध,,ना इर्श्या,,नाही जलन,,, एक आस,,, एक विस्वास,,, इसी उधेड़बुन में उलझा है मन कि प्रेम श्रेष्ठ अथवा भक्ति ??????? तभी मन से निकले कुछ स्वर,,,, राधे कृष्ण,,, राधे कृष्ण,,,, राधे,,राधे,, कृष्ण,,कृष्ण,,, Nirmal EARTHCARE FOUNDATION www.earthcarengo.org
Thursday, September 20, 2018
शूल चुभाए मन मे मेरे।।। नित जीवन मे घने अँधेरे।। सपनों का प्रतिकार किया।। ना मुझे कोई कभी प्यार मिला।। जीवन मरण का खेल यहाँ।। मेरा मन अब निरुत्तर है।। जैसे हृदय नही,, मेरा पत्थर है।। नित जिसको हर क्षण अपमान मिला,, इस धरा में कभी ना सम्मान मिला,, जीवन कुंठित,,मन भारी है।। मेरे कर्मो का क्या मिला सिला।। दुनिया से सहमा मैं पल पल।। तन मन कापे भय से थर थर,, अँखियों से बहता नीरस जल,, मेरा मन अब निरुत्तर है।। जैसे हृदय नही,, मेरा पत्थर है।। Nirmal EARTHCARE FOUNDATION www.earthcarengo.org
Wednesday, September 19, 2018
Sunday, September 2, 2018
Thursday, August 30, 2018
इससे अच्छा तो अपना बचपन था,,, जहाँ कुछ नही था पर अपनो के लिए समय तो था,,,
छोटी सी चिरैया ,,आती थी कभी इस आंगन में,,
जब होते थे वो घास फूस वाले छप्पर,,
जिनमे बारिस में टिप टिप कर गिरता था पानी हर कोने से
उसमे हम भी तलासते रहते थे जगह छोटी सी,,
वो पोखरों में पानी भरकर,, जब आ जाता था पगडंडियों पर,,
सम्भलकर चलकर भी ,,फिसलकर गिर जाते थे कभी कभी,,
वो बगिया हरी भरी अमोली वाली,,
जिसको हम नाम से पुकारते थे गंगा बगिया,,
वो आम की डाली जो झूले की तरहा थी,,
जो जमीन को छूकर कभी उठ जाती थी हवा के झोंके के संग,,
वो तपती दोपहरी में घर से नमक रोटी ले जाकर,,
पकी अम्बिया के संग खाना,, छप्पनभोग से कम ना था,,
दिन के तीनों पहर पर हो जाते थे हंसी ठिठोली में,,
फिर घर पर आकर डाँट सुनते थे बड़ो की,,
जो चारो तरफ तालाबों से घिरा था मेरा गाँव,,
आज कुछ लोगों के कंक्रीट के महल बन गए है,,
ना आती अब वो चिरैया,,,
ना ही यारों के पास समय अब,,
अब हम भी अलग हो गए मैं में,,
ये अहम की दुनिया कैसी है,,,
इससे अच्छा तो अपना बचपन था,,,
जहाँ कुछ नही था पर अपनो के लिए समय तो था,,,
इससे अच्छा तो अपना बचपन था,,,
जहाँ कुछ नही था पर अपनो के लिए समय तो था,,,
Wednesday, August 15, 2018
ऐसी प्रतिभा के धनी होना शायद हर किसी के लिए संभव नही ,,जो हर हृदय में रमने की क्षमता रखता हो,,जो हर किसी का आदर्श हो ,,फिर चाहे पक्ष हो या विपक्ष ,,अपना हो या पराया,,,जो हर किसी के मन मे निश्छल रूप से बसने की क्षमता रखते हो ऐसे हैं हमारे अटल जी,,, आज सुबह समाचार देखा सहसा पता चला कि उनका स्वास्थ्य ठीक नही है जैसे आँखों मे नमी सी आ गयी क्योकि उनके चाहने वालों में मैं भी हूँ ,,,मुझे याद है मैं लगभग 13 वर्ष का था उस समय तुलसी उद्यान गीतापल्ली आलमबाग लखनऊ में एक सभा को संबोधित करने वो आये थे तभी मैने उनको सबसे करीब से देखा था उनके कहे हुए एक एक शब्द को सुना था बस तभी से जैसे एक आदर्श के रूप में मेरे जीवन मे वो विद्यमान हैं,,, शायद मैं ही नही हर भरवासी उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करेगा।।।। हे ईश्वर।।।। Nirmal Earthcarefoundation Vriksharopan Ekabhiyaan
ऐसी प्रतिभा के धनी होना शायद हर किसी के लिए संभव नही ,,जो हर हृदय में रमने की क्षमता रखता हो,,जो हर किसी का आदर्श हो ,,फिर चाहे पक्ष हो या विपक्ष ,,अपना हो या पराया,,,जो हर किसी के मन मे निश्छल रूप से बसने की क्षमता रखते हो ऐसे हैं हमारे अटल जी,,,
आज सुबह समाचार देखा सहसा पता चला कि उनका स्वास्थ्य ठीक नही है जैसे आँखों मे नमी सी आ गयी क्योकि उनके चाहने वालों में मैं भी हूँ ,,,मुझे याद है मैं लगभग 13 वर्ष का था उस समय तुलसी उद्यान गीतापल्ली आलमबाग लखनऊ में एक सभा को संबोधित करने वो आये थे तभी मैने उनको सबसे करीब से देखा था उनके कहे हुए एक एक शब्द को सुना था बस तभी से जैसे एक आदर्श के रूप में मेरे जीवन मे वो विद्यमान हैं,,,
शायद मैं ही नही हर भरवासी उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करेगा।।।।
हे ईश्वर।।।।
Nirmal Earthcarefoundation Vriksharopan Ekabhiyaan
मेरा एक सपना ,,,कि मैं अपने देश की मिट्टी के काम आ सकूँ,, एक छोटी सी ख्वाइश,,कि मैं अपनों में जगह बना सकूँ,, बस ये तमन्ना है दिल की,,भारत का सम्मान बचा सकूँ,, बस एक चाहत अपने आखिरी लम्हों में,,,तिरंगे से लिपटकर मैं जा सकूँ,, ये विस्वास हो,, हर दिल मे आस हो,, जज़्बे आसमां से भी ऊंचे हो,, हर भारतीय के,, हर कँधे,, से,,,कंधे मिले,, जाति,, पात की दीवारें टूटे,, रिश्तों का बंधन हो अटूट,, ऐसे अटूट रिश्ते हम बना सके ये अखण्ड भारत।।। है एक भारत।।। मेरा श्रेष्ठ भारत।।। है जय हिंद भारत,, है अनेक वेश भूषा,, फिर भी दिलों में,, हो तिरंगा ऊँचा,, जय हिंद जय भारत,,, बस है यही ख्वाइश,, अपने सपनो का भारत बना सकूँ।।। मेरा एक सपना ,,,कि मैं अपने देश की मिट्टी के काम आ सकूँ,, एक छोटी सी ख्वाइश,,कि मैं अपनों में जगह बना सकूँ,, बस ये तमन्ना है दिल की,,भारत का सम्मान बचा सकूँ,, बस एक चाहत अपने आखिरी लम्हों में,,,तिरंगे से लिपटकर मैं जा सकूँ,,।।।।।।। Nirmal Awasthi EARTHCARE FOUNDATION NGO www.earthcarengo.org
मेरा एक सपना ,,,कि मैं अपने देश की मिट्टी के काम आ सकूँ,,
एक छोटी सी ख्वाइश,,कि मैं अपनों में जगह बना सकूँ,,
बस ये तमन्ना है दिल की,,भारत का सम्मान बचा सकूँ,,
बस एक चाहत अपने आखिरी लम्हों में,,,तिरंगे से लिपटकर मैं जा सकूँ,,
ये विस्वास हो,,
हर दिल मे आस हो,,
जज़्बे आसमां से भी ऊंचे हो,,
हर भारतीय के,,
हर कँधे,, से,,,कंधे मिले,,
जाति,, पात की दीवारें टूटे,,
रिश्तों का बंधन हो अटूट,,
ऐसे अटूट रिश्ते हम बना सके
ये अखण्ड भारत।।।
है एक भारत।।।
मेरा श्रेष्ठ भारत।।।
है जय हिंद भारत,,
है अनेक वेश भूषा,,
फिर भी दिलों में,,
हो तिरंगा ऊँचा,,
जय हिंद जय भारत,,,
बस है यही ख्वाइश,,
अपने सपनो का भारत बना सकूँ।।।
मेरा एक सपना ,,,कि मैं अपने देश की मिट्टी के काम आ सकूँ,,
एक छोटी सी ख्वाइश,,कि मैं अपनों में जगह बना सकूँ,,
बस ये तमन्ना है दिल की,,भारत का सम्मान बचा सकूँ,,
बस एक चाहत अपने आखिरी लम्हों में,,,तिरंगे से लिपटकर मैं जा सकूँ,,।।।।।।।
Nirmal Awasthi
EARTHCARE FOUNDATION NGO
www.earthcarengo.org
Saturday, August 11, 2018
Monday, July 30, 2018
कुछ तारिखों का हमेशा इंतज़ार रहता था वो हांथों से बना लिफ़ाफ़ा,, और उसमें दिल से उकेरी हुई भावनाएं,, जिसमे प्रेम से परिपूर्ण हर शब्द,,मन के आसपास होता था,, मन की असीमित गहराइयों की गूँज,,, अनन्त आकाश में विचरते वो भाव,, निश्छल,,स्नेहिल,,और बन्धनमुक्त,, वो प्यार था,,या कुछ और????? ये तो पता नहीं,,, पर अदभुत,, और मेरी कल्पनाओं से परे था,, चाहे जब या जिस क्षण,,मन होता ,, बस,,,, उड़ जाता सपनों के आकाश में,, जागती आँखों के वो ख़्वाब,, तब हकीकत से लगते थे,, तुम होते नहीं थे पास मेरे,, पर खुली आँखों से चाँद तारों के संग तुमसे बातें किया करते थे,, अब बदल गए मौसम,, बदल गए हम ,,तुम बदल गए जैसे,,दिल,, बदल गयी ये दुनिया,,, बस अब हम अधूरे,,है,,और,,मेरे शब्द भी,, जैसे तुमको ही तलाशते रहते है,, एक मृगमरीचिका सी लगती हो अब तुम,, दूर से दिखती हो पर,, पास जाने पर सब कुछ अदृश्य हो जाता है,,, फिर भी आज भी तुमको,, तलाश रहा ये प्यासा मन ,,शायद मेरी ,,,अधूरी कहानी,,जैसे बन गयी हो तुम,, बस उन्ही तारीखों में सिमट गई वो यादें,,, और जैसे सिमट गये है हम,,,,तुम,,, Nirmal Earthcarefoundation Vriksharopan Ekabhiyaan www.earthcarengo.org
Thursday, June 28, 2018
सब्र नही है रह गया,, ऐ क्रोधातुर इंसान,,, विवेकहीन,,,अज्ञानी तू,, हर रिश्ते से अंजान,, माँ बाप सब भूलकर,,, अपने आपे में खोय,,, देख परायी चूपड़ी,,, तू ललचाये जीव,,, मन तेरा गन्दा हो गया,, नही रह गया तू इंसान,, आज ये तू जानले,, ये है कलयुग की पहचान,, Nirmal Earthcarefoundation Ngo
सब्र नही है रह गया,,
ऐ क्रोधातुर इंसान,,,
विवेकहीन,,,अज्ञानी तू,,
हर रिश्ते से अंजान,,
माँ बाप सब भूलकर,,,
अपने आपे में खोय,,,
देख परायी चूपड़ी,,,
तू ललचाये जीव,,,
मन तेरा गन्दा हो गया,,
नही रह गया तू इंसान,,
आज ये तू जानले,,
ये है कलयुग की पहचान,,
Nirmal Earthcarefoundation Ngo
Sunday, June 17, 2018
परिंदे भी आसमान की असीमित गहराइयों को नापकर ज़मीन पर ही आते है इसलिए फिकर किस बात की प्यारे??? Nirmal Earthcarefoundation Vriksharopan Ekabhiyaan
परिंदे भी आसमान की असीमित गहराइयों को नापकर ज़मीन पर ही आते है क्योंकि वो जानते है कि सुकून भटकने में नही,,मिलता है,,इसलिए जो भी असीमित से सीमित में रहकर जीता है वो खुशी रहता है,,और यही जिन्दगी की सच्चाई है ,,हां ये जरूर है कि अगर आप भटकने की बजाय उसमे घुलने की कोशिश करेंगे,,या उसको जानने की कोशिश करेंगे तो बेहतर सीखेंगे भी ,,और ,,ये जानने की इच्छा हर किसी मे होनी चाहिए क्योंकि इच्छाएं अविष्कार की जननी है,,,पर उनमें धैर्य होना जरूरी है नाकि तीव्रता अथवा उत्तेजना,,क्योकि यही से हमारे पतन का मार्ग शुरू होता है ,,जो हमे निराशावादी बनाता है,,,इसलिए अपनी मंज़िलो को पहचानिये,, उनसे सम्बध्द आंकड़ों को संग्रहित कीजिये और,,उनका विश्लेषण कीजिये ततपश्चात,, किसी निष्कर्ष पर जाइये,,इनमे सबसे महत्वपूर्ण,, आपका ,,धैर्य,,संयम,,और ,,सुरक्षा है,,अगर इनके साथ आगे बढ़ेंगे तो जरूर मंजिल आपकी होगी।।।
इसलिए फिकर किस बात की प्यारे???
Nirmal Earthcarefoundation Vriksharopan Ekabhiyaan
Thursday, June 14, 2018
अत्यन्त ही भृमित हैं,,राहें जिंदगी की,, कि मंजिले ले जाये किस ओर,,
अत्यन्त ही भृमित हैं,,राहें जिंदगी की,,
कि मंजिले ले जाये किस ओर,,
हर क़दम,, क़दम दर क़दम,, बढ़ते जा रहें है,,
जैसे टूटती जा रही है प्रतिपल जीवन की डोर,,
अत्यन्त ही भृमित हैं,,राहें जिंदगी की,,
कि मंजिले ले जाये किस ओर,,
ना रुके हैं,,
ना थके हैं,,
ना झुके हैं,,
फिर भी विचलित है मन,,
ये आज का दौर,,
है निराशा चारों ओर,,
जैसे थके हुए है ये नयन,,
ना ही गाँव है,,
ना वो लगाव है,,
ना बचा रिश्तों में वो झुकाव है,,
बस इसीलिए मन भटके वन,,वन,,
हाँ चारों तरफ छा गयी घटाए घनघोर,,
अत्यन्त ही भृमित हैं,,राहें जिंदगी की,,
कि मंजिले ले जाये किस ओर,,
अब खेलों के मैदान भी सूने है,,
घरों में मकान भी सूने है,,
लोगों के दिलों में दरारें है,,
जिसमे फूलों की जगह काँटे है,,
हम लड़ना चाहते हैं,,
पर समझना नहीं,,
क्योकि दिलों में प्यार नही,,सिर्फ और सिर्फ़ द्वेष है
ना दादा ,,दादी की लोरी बची
ना दादी नानी की कहानियां,,
सब मिल जाता है छोटे से खिलोने में,,
जिसको मोबाइल हम कहते है,,
ये खिलौना है,,,या हम बन गए खिलौने,,
बस इसीलिए पदचिन्हों को देखकर,,
जाने बढ़ रहे किस ओर,,
अत्यन्त ही भृमित हैं,,राहें जिंदगी की,,
कि मंजिले ले जाये किस ओर,,
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दिल की मन्ज़िले भी अजीबोगरीब है कभी पास नज़र आती हैं तो कभी मीलों दूर निकल जाती है Nirmal Earthcarefoundation Vriksharopan Ekabhiyaan
दिल की मन्ज़िले भी अजीबोगरीब है कभी पास नज़र आती हैं
तो कभी मीलों दूर निकल जाती है
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Friday, June 8, 2018
जिनके आने कीख़ुशी में हम दो जहाँ लूटा देते है और वही अपने हमारे बुढ़ापे में हमारा सहारा बनने की बजाय हमे बोझ समझ कर निकाल देते है #ऐसा क्यों
जिनके आने कीख़ुशी में हम दो जहाँ लूटा देते है
और वही अपने हमारे बुढ़ापे में हमारा सहारा बनने की बजाय हमे बोझ समझ कर निकाल देते है
#ऐसा क्यों
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स्वार्थ,,,और परमार्थ में क्या अंतर है आज की दुनिया के लिए #एक जटिल प्रश्न
स्वार्थ,,,और
परमार्थ में क्या अंतर है
आज की दुनिया के लिए
#एक जटिल प्रश्न
Nirmal earthcarefoundation
आज की दुनिया में कोई भी मनुष्य परिपूर्ण नही है,,, कोई सच में,,,तो कोई सन्देहवस
आज की दुनिया में कोई भी मनुष्य परिपूर्ण नही है,,,
कोई सच में,,,तो कोई सन्देहवस
Nirmal earthcarefoundation
Sunday, May 13, 2018
माँ जैसी अनुपम रचना असंभव है,,,ये हर उस बच्चे के लिए अमूल्य उपहार है जो हमारे हर सुख दुख,,धूप,,छाव में हमारे साथ,,हमारी परछाई की तरह साथ रहती है,, माँ की ममता ,,अद्भुत,,अतुलनीय,,अकल्पनीय है इस सम्पूर्ण ब्रम्हाण्ड में,,इसलिए हर माँ को कोटि कोटि प्रणाम,, जो अपने जीवन के प्रत्येक पल में सोने की तरह तप कर अपना सर्वस्व जीवन अपने बच्चों के नाम कर देती है,,उसके हर सपने ,,,हर ख्वाब,,दिन हो ,,,चाहे राते,,सारी इच्छाएं सिर्फ अपने बच्चों की खिलखिलाहट में सिमटी रहती है,,,और हम ज्यादातर हर कदम पर बेईमान होते है ,,,पर माँ तो आखिर माँ होती है,इसलिए सिर्फ एक दिन नही प्रत्येक दिन ,,प्रत्येक क्षण माँ की खुशी के लिए हम सभी को हरसंभव प्रयास करना चाहिए बस इसी छोटी सी ख्वाइश के साथ mothers day की कोटि कोटि शुभकामनाएं Nirmal Earthcarefoundation Vriksharopan Ekabhiyaan EARTHCARE FOUNDATION NGO www.earthcarengo.org
माँ जैसी अनुपम रचना असंभव है,,,ये हर उस बच्चे के लिए अमूल्य उपहार है जो हमारे हर सुख दुख,,धूप,,छाव में हमारे साथ,,हमारी परछाई की तरह साथ रहती है,,
माँ की ममता ,,अद्भुत,,अतुलनीय,,अकल्पनीय है इस सम्पूर्ण ब्रम्हाण्ड में,,इसलिए हर माँ को कोटि कोटि प्रणाम,, जो अपने जीवन के प्रत्येक पल में सोने की तरह तप कर अपना सर्वस्व जीवन अपने बच्चों के नाम कर देती है,,उसके हर सपने ,,,हर ख्वाब,,दिन हो ,,,चाहे राते,,सारी इच्छाएं सिर्फ अपने बच्चों की खिलखिलाहट में सिमटी रहती है,,,और हम ज्यादातर हर कदम पर बेईमान होते है ,,,पर माँ तो आखिर माँ होती है,इसलिए सिर्फ एक दिन नही प्रत्येक दिन ,,प्रत्येक क्षण माँ की खुशी के लिए हम सभी को हरसंभव प्रयास करना चाहिए
बस इसी छोटी सी ख्वाइश के साथ mothers day की कोटि कोटि शुभकामनाएं
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EARTHCARE FOUNDATION NGO
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Thursday, May 3, 2018
प्राकृतिक प्रेम का जन्म आत्मिक होता है जो हमारे रिश्तों में जन्म जन्मांतर तक रहता है इसका वास हृदयतल से आरंभ होकर मन की विभिन्न इंद्रियों में विचरता रहता है जो एक ऐसे आनंद की अनुभूति करता है जो हमारे कृत्रिम सुखों से परे होता है वही आकर्षण पाशविक प्रकृति का होता है जो हमारी ईच्छा के अनुरूप प्रकट होता है ये क्षणिक होता है जिसका वास भी तमस से भरा है और ये हमे निरन्तर अंधकार की ओर घसीटता हुआ एक अंधकूप में ले जाता है जहां हमारे विवेक का क्षरण प्रारम्भ हो जाता है। विचार आपका,,,चुनाव आपका,,,,
प्राकृतिक प्रेम का जन्म आत्मिक होता है जो हमारे रिश्तों में जन्म जन्मांतर तक रहता है इसका वास हृदयतल से आरंभ होकर मन की विभिन्न इंद्रियों में विचरता रहता है जो एक ऐसे आनंद की अनुभूति करता है जो हमारे कृत्रिम सुखों से परे होता है वही आकर्षण पाशविक प्रकृति का होता है जो हमारी ईच्छा के अनुरूप प्रकट होता है ये क्षणिक होता है जिसका वास भी तमस से भरा है और ये हमे निरन्तर अंधकार की ओर घसीटता हुआ एक अंधकूप में ले जाता है जहां हमारे विवेक का क्षरण प्रारम्भ हो जाता है। विचार आपका,,,चुनाव आपका,,,,
आपको परमात्मा चाहिए
अथवा
परम,,आत्मा
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Monday, April 23, 2018
अतितॄष्णा न कर्तव्या तॄष्णां नैव परित्यजेत्। शनै: शनैश्च भोक्तव्यं स्वयं वित्तमुपार्जितम् ॥ Extra desires should be avoided but desires should not be given up totally. One should use self earned money gently. अधिक इच्छाएं नहीं करनी चाहिए पर इच्छाओं का सर्वथा त्याग भी नहीं करना चाहिए। अपने कमाये हुए धन का धीरे-धीरे उपभोग करना चाहिये॥
अतितॄष्णा न कर्तव्या तॄष्णां नैव परित्यजेत्।
शनै: शनैश्च भोक्तव्यं स्वयं वित्तमुपार्जितम् ॥
Extra desires should be avoided but desires should not be given up totally. One should use self earned money gently.
अधिक इच्छाएं नहीं करनी चाहिए पर इच्छाओं का सर्वथा त्याग भी नहीं करना चाहिए। अपने कमाये हुए धन का धीरे-धीरे उपभोग करना चाहिये॥
स हि भवति दरिद्रो यस्य तॄष्णा विशाला। मनसि च परितुष्टे कोर्थवान् को दरिद्रा:॥ The person with vast desires is definitely poor. For the one with satisfied mind, there is no distinction between rich and poor. जिसकी कामनाएँ विशाल हैं, वह ही दरिद्र है। मन से संतुष्ट रहने वाले के लिए कौन धनी है और कौन निर्धन॥
स हि भवति दरिद्रो यस्य तॄष्णा विशाला।
मनसि च परितुष्टे कोर्थवान् को दरिद्रा:॥
The person with vast desires is definitely poor. For the one with satisfied mind, there is no distinction between rich and poor.
जिसकी कामनाएँ विशाल हैं, वह ही दरिद्र है। मन से संतुष्ट रहने वाले के लिए कौन धनी है और कौन निर्धन॥
*दिल को छू लेने वाली लाइनें* --------------------------------------------------- 1. *हर किसी को दिल में उतनी ही जगह दो जितनी वो देता हैं.. वरना या तो खुद रोओगे, या वो तुम्हें रूलाऐगा* । 2. *खुश रहो लेकिन कभी संतुष्ट मत रहो* । 3. *अगर जिंदगी में सफल होना हैं तो पैसों को हमेशा जेब में रखना, दिमाग में नही* । 4. *इंसान अपनी कमाई के हिसाब से नही,अपनी जरूरत के हिसाब से गरीब होता हैं* । 5. *दुनिया में सबसे ज्यादा सपने तोड़े हैं इस बात ने,कि लोग क्या कहेंगे* । 6. *जब लोग अनपढ़ थे तो परिवार एक हुआ करते थे, मैने टूटे परिवारों में अक्सर पढ़े-लिखे लोग देखे हैं* । 7. *हर प्रॉब्लम के दो सोल्युशन होते हैं..* *भाग लो.. (run away)* *भाग लो..(participate)* *पसंद आपको ही करना हैं* । 8. *अपनी सफलता का रौब माता पिता को मत दिखाओ, उन्होनें अपनी जिंदगी हार के आपको जिताया हैं* । 9. *यदि जीवन में लोकप्रिय होना हो तो सबसे ज्यादा ‘आप’ शब्द का, उसके बाद ‘हम’ शब्द का और सबसे कम ‘मैं’ शब्द का उपयोग करना चाहिए* । 10. *इस दुनिया मे कोई किसी का हमदर्द नहीं होता, लाश को शमशान में रखकर अपने लोग ही पुछ्ते हैं.. और कितना वक़्त लगेगा* । 11. *दुनिया के दो असम्भव काम- माँ की “ममता” और पिता की “क्षमता” का अंदाज़ा लगा पाना* । 12. *यदि कोई व्यक्ति आपको गुस्सा दिलाने मे सफल रहता हैं तो समझ लीजिये आप उसके हाथ की कठपुतली हैं* । 13. *यदि कोई तुम्हें नजरअंदाज कर दे तो बुरा मत मानना, Q कि लोग अक्सर हैसियत से बाहर मंहगी चीज को नजरंअदाज कर ही देते हैं* 14. *गलती कबूल़ करने और गुनाह छोङने में कभी देर ना करना, Q कि सफर जितना लंबा होगा वापसी उतनी ही मुशिकल हो जाती हैं* । 15. *कोई देख ना सका उसकी बेबसी जो सांसें बेच रहा हैं गुब्बारों मे डालकर* । 16. *हँसते रहो तो दुनिया साथ हैं, वरना आँसुओं को तो आँखो में भी जगह नही मिलती* । 17. *दुनिया में भगवान का संतुलन कितना अद्भुत हैं, 100 कि.ग्रा.अनाज का बोरा जो उठा सकता हैं वो खरीद नही सकता और जो खरीद सकता हैं वो उठा नही सकता* । 18. *जब आप गुस्सें में हो तब कोई फैसला न लेना और जब आप खुश हो तब कोई वादा न करना (ये याद रखना कभी नीचा नही देखना पड़ेगा)* । 19. *मुझे कौन याद करेगा इस भरी दुनिया में, हे ईशवर बिना मतल़ब के तो लोग तुझे भी याद नही करते* । --------------------------------------------------- उम्मीद करता हूँ की आप को ये खूबसूरत लाइन जरूर पसंद आयेगी औरआप की अंदरुनी खूबसूरती में हंसमुखी निखार आये ,बस यही प्रार्थना करता हूँ !!
*दिल को छू लेने वाली लाइनें*
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1. *हर किसी को दिल में उतनी ही जगह दो जितनी वो देता हैं.. वरना या तो खुद रोओगे, या वो तुम्हें रूलाऐगा* ।
2. *खुश रहो लेकिन कभी संतुष्ट मत रहो* ।
3. *अगर जिंदगी में सफल होना हैं तो पैसों को हमेशा जेब में रखना, दिमाग में नही* ।
4. *इंसान अपनी कमाई के हिसाब से नही,अपनी जरूरत के हिसाब से गरीब होता हैं* ।
5. *दुनिया में सबसे ज्यादा सपने तोड़े हैं इस बात ने,कि लोग क्या कहेंगे* ।
6. *जब लोग अनपढ़ थे तो परिवार एक हुआ करते थे, मैने टूटे परिवारों में अक्सर पढ़े-लिखे लोग देखे हैं* ।
7. *हर प्रॉब्लम के दो सोल्युशन होते हैं..*
*भाग लो.. (run away)*
*भाग लो..(participate)*
*पसंद आपको ही करना हैं* ।
8. *अपनी सफलता का रौब माता पिता को मत दिखाओ, उन्होनें अपनी जिंदगी हार के आपको जिताया हैं* ।
9. *यदि जीवन में लोकप्रिय होना हो तो सबसे ज्यादा ‘आप’ शब्द का, उसके बाद ‘हम’ शब्द का और सबसे कम ‘मैं’ शब्द का उपयोग करना चाहिए* ।
10. *इस दुनिया मे कोई किसी का हमदर्द नहीं होता, लाश को शमशान में रखकर अपने लोग ही पुछ्ते हैं.. और कितना वक़्त लगेगा* ।
11. *दुनिया के दो असम्भव काम- माँ की “ममता” और पिता की “क्षमता” का अंदाज़ा लगा पाना* ।
12. *यदि कोई व्यक्ति आपको गुस्सा दिलाने मे सफल रहता हैं तो समझ लीजिये आप उसके हाथ की कठपुतली हैं* ।
13. *यदि कोई तुम्हें नजरअंदाज कर दे तो बुरा मत मानना, Q कि लोग अक्सर हैसियत से बाहर मंहगी चीज को नजरंअदाज कर ही देते हैं*
14. *गलती कबूल़ करने और गुनाह छोङने में कभी देर ना करना, Q कि सफर जितना लंबा होगा वापसी उतनी ही मुशिकल हो जाती हैं* ।
15. *कोई देख ना सका उसकी बेबसी जो सांसें बेच रहा हैं गुब्बारों मे डालकर* ।
16. *हँसते रहो तो दुनिया साथ हैं, वरना आँसुओं को तो आँखो में भी जगह नही मिलती* ।
17. *दुनिया में भगवान का संतुलन कितना अद्भुत हैं, 100 कि.ग्रा.अनाज का बोरा जो उठा सकता हैं वो खरीद नही सकता और जो खरीद सकता हैं वो उठा नही सकता* ।
18. *जब आप गुस्सें में हो तब कोई फैसला न लेना और जब आप खुश हो तब कोई वादा न करना (ये याद रखना कभी नीचा नही देखना पड़ेगा)* ।
19. *मुझे कौन याद करेगा इस भरी दुनिया में, हे ईशवर बिना मतल़ब के तो लोग तुझे भी याद नही करते* ।
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उम्मीद करता हूँ की आप को ये
खूबसूरत लाइन जरूर पसंद आयेगी
औरआप की अंदरुनी खूबसूरती में
हंसमुखी निखार आये ,बस यही
प्रार्थना करता हूँ !!
Tuesday, April 17, 2018
आज मन कुछ,,कुछ,,अजीब,, सा है,, शायद अपनो दूर है,,इसलिए कुछ कुछ गरीब है,,
आज मन कुछ,,कुछ,,अजीब,, सा है,, शायद अपनो दूर है,,इसलिए कुछ कुछ गरीब है,,
,
शायद अपनो से दूर है,,
इसलिए कुछ कुछ गरीब है,,
जहाँ हम धन,,वैभव,,संपदा के लिए एक दूसरे से लड़ते है,,उनका क्या जिनके पास बैठने को दो गज जमीन नही Nirmal Awasthi
जहाँ हम धन,,वैभव,,संपदा के लिए एक दूसरे से लड़ते है,,उनका क्या जिनके पास बैठने को दो गज जमीन नही
Nirmal Awasthi
इस छोटी सी दुनिया मे क्यो ना हम मुश्करा के जिए Nirmal Awasthi
इस छोटी सी दुनिया मे क्यो ना हम मुश्करा के जिए
Nirmal Awasthi
अंग्रेजों द्वारा बनाई गई व्यवस्था फूट डालो ,,और,,राज करो ,,का बहुत ही निष्ठा से अनुपालन हमारे नेता कर रहे है,,,जिसका शिकार आम जनता हो रही है
अंग्रेजों द्वारा बनाई गई व्यवस्था फूट डालो ,,और,,राज करो ,,का बहुत ही निष्ठा से अनुपालन हमारे नेता कर रहे है,,,जिसका शिकार आम जनता हो रही है
Nirmal awasthi
जाति,, धर्म,,मज़हब अंग्रेजों द्वारा बनाई गई ऐसी व्यवस्था है,,जिसकी वजह से हम आजतक आपस मे लड़ रहे है Nirmal Awasthi
जाति,, धर्म,,मज़हब अंग्रेजों द्वारा बनाई गई ऐसी व्यवस्था है,,जिसकी वजह से हम आजतक आपस मे लड़ रहे है
Nirmal Awasthi
Friday, March 30, 2018
हर मनुष्य को हृदय से सम्मान देना ईश्वर द्वारा दिया हुआ आशीर्वाद है,,जो उस मनुष्य को महान बनाने की पहली सीढ़ी है Nirmal Awasthi
हर मनुष्य को हृदय से सम्मान देना ईश्वर द्वारा दिया हुआ आशीर्वाद है,,जो उस मनुष्य को महान बनाने की पहली सीढ़ी है
Nirmal Awasthi
मत खेल जाति धर्म का खेल तू बन्दे क्यों खुद को खुद से तोड़ रहा तू,,, जय श्री राम Nirmal Awasthi
मत खेल जाति धर्म का खेल तू बन्दे
क्यों खुद को खुद से तोड़ रहा तू,,,
जय श्री राम
Nirmal Awasthi
मत बाँट मेरी किश्मत की लकीरों को,, डर लगता है टूट के बिखर ना जाऊ कहीं Nirmal Awasthi
मत बाँट मेरी किश्मत की लकीरों को,,
डर लगता है टूट के बिखर ना जाऊ कहीं
Nirmal Awasthi
Wednesday, March 28, 2018
मेरी बहुत नही बस कुछ इच्छाएं हैं,,जिंदगी को जीने के लिए नहीं लालसा मुझे चमक,,धमक की,, बस अपने माँ बाप के लिए श्रवण कुमार बन पाऊँ,,, नही उड़ना चाहता हूँ इस विशाल गगन में मैं,, इस धरा पर रहकर हर माता पिता के हृदय में बस जाऊ,, ना चाहिए मुझे गाड़ी बंगला,,ना शानो शौकत,, बस ऐसा बना दो मेरे मालिक मुझे,,,कि हर बेसहारे को अपना बना पाऊँ,,, नही किसी से नफ़रत करना मुझे,,ना मैं को अपने मे भरना मुझे,,, बस ऐसा बना दो मुझे,, किसी भूखें को रोटी खिला पाऊँ,, मैं ना जानू जाति,, धर्म,,मज़हब,, बस इतना करदो करम मुझपे,, किसी रोते हुए चेहरे को हँसा पाऊँ,,, जिस दिन ये दौलत मिल गयी मुझे,,,उस दिन मैं अपने आपको सबसे धनवान समझूँगा,,, और सच मे तू बनाता सबको है ,,,लेकिन,,मेरे ईश्वर,, उस दिन अपने आपको मैं एक सच्चा इंसान समझूँगा,,, हे ईश्वर।।।। विचार कीजिये ।।।।। www.earthcarengo.org Nirmal Awasthi
मेरी बहुत नही बस कुछ इच्छाएं हैं,,जिंदगी को जीने के लिए
नहीं लालसा मुझे चमक,,धमक की,,
बस अपने माँ बाप के लिए श्रवण कुमार बन पाऊँ,,,
नही उड़ना चाहता हूँ इस विशाल गगन में मैं,,
इस धरा पर रहकर हर माता पिता के हृदय में बस जाऊ,,
ना चाहिए मुझे गाड़ी बंगला,,ना शानो शौकत,,
बस ऐसा बना दो मेरे मालिक मुझे,,,कि
हर बेसहारे को अपना बना पाऊँ,,,
नही किसी से नफ़रत करना मुझे,,ना मैं को अपने मे भरना मुझे,,,
बस ऐसा बना दो मुझे,,
किसी भूखें को रोटी खिला पाऊँ,,
मैं ना जानू जाति,, धर्म,,मज़हब,,
बस इतना करदो करम मुझपे,,
किसी रोते हुए चेहरे को हँसा पाऊँ,,,
जिस दिन ये दौलत मिल गयी मुझे,,,उस दिन मैं अपने आपको सबसे धनवान समझूँगा,,,
और सच मे तू बनाता सबको है ,,,लेकिन,,मेरे ईश्वर,,
उस दिन अपने आपको मैं एक सच्चा इंसान समझूँगा,,,
हे ईश्वर।।।।
विचार कीजिये ।।।।।
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Nirmal Awasthi