परिंदे भी आसमान की असीमित गहराइयों को नापकर ज़मीन पर ही आते है क्योंकि वो जानते है कि सुकून भटकने में नही,,मिलता है,,इसलिए जो भी असीमित से सीमित में रहकर जीता है वो खुशी रहता है,,और यही जिन्दगी की सच्चाई है ,,हां ये जरूर है कि अगर आप भटकने की बजाय उसमे घुलने की कोशिश करेंगे,,या उसको जानने की कोशिश करेंगे तो बेहतर सीखेंगे भी ,,और ,,ये जानने की इच्छा हर किसी मे होनी चाहिए क्योंकि इच्छाएं अविष्कार की जननी है,,,पर उनमें धैर्य होना जरूरी है नाकि तीव्रता अथवा उत्तेजना,,क्योकि यही से हमारे पतन का मार्ग शुरू होता है ,,जो हमे निराशावादी बनाता है,,,इसलिए अपनी मंज़िलो को पहचानिये,, उनसे सम्बध्द आंकड़ों को संग्रहित कीजिये और,,उनका विश्लेषण कीजिये ततपश्चात,, किसी निष्कर्ष पर जाइये,,इनमे सबसे महत्वपूर्ण,, आपका ,,धैर्य,,संयम,,और ,,सुरक्षा है,,अगर इनके साथ आगे बढ़ेंगे तो जरूर मंजिल आपकी होगी।।।
इसलिए फिकर किस बात की प्यारे???
Nirmal Earthcarefoundation Vriksharopan Ekabhiyaan
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