Sunday, November 27, 2016

कश्मीर से ,,कन्याकुमारी तक ,,, ,गूंजेगा जन गण मन ,,,

वीर भूमि ये भगत सिंह की 
वीर शिवाजी यही  हुए 
नेता जी सुभाष चन्द्र जी ,
भारत माता की जय जय जय 
नही झुका ,,,है ,,,नही झुकेगा,,,
कट जाए सर ,,,,कोई गम नही ,,,
कश्मीर से ,,कन्याकुमारी तक ,,,
,गूंजेगा जन गण मन ,,,
हो आतंक चाहे जितना ,,,
भ्रष्ट हो जाए चाहे राजतन्त्र,,
कश्मीर से ,,कन्याकुमारी तक ,,,
,गूंजेगा जन गण मन ,,,
साफ़ करेंगे ,,,न माफ़ करेंगे 
आजाद हिन्द के फौजी हम,,
है कतरे कतरे में भारत माँ ,,
मेरा रोम रोम गाये ,,,वन्दे मातरम ,,,
कश्मीर से ,,कन्याकुमारी तक ,,,
,गूंजेगा जन गण मन ,,,
कश्मीर से ,,कन्याकुमारी तक ,,,
,गूंजेगा जन गण मन ,,,

विरोध जल्द ही होगा ऐसे लोगों का ,,जो दो तरह के चश्मे लगाकर लोगो को बेवकूफ बना रहे है

विरोध जल्द ही होगा ऐसे लोगों का ,,जो दो तरह के चश्मे लगाकर लोगो को बेवकूफ बना रहे है

मन की बात

कभी कभी मन बहुत आहत होता है की मात्र कुछ नोटों के आ जाने से आदमी के अचार व्यवहार में परिवर्तन आ जाता है वो अभिमान के सागर  में जैसे नहा लेता है और ऐसा काला चस्मा उसकी आँखों पर चढ़ जाता है की उसके अपने ही उसे नही दिखाई देते है अपनों को ही बर्बाद करने की धमकी देने लगता है जब उसकी जिद पूरी नही होती है तो यही जिद उसके बदले की भावना में बदलने लगती है इसी से उस व्यक्ति विशेष में अहंकार से उत्पन्न माया ,,,मोह ,,,ईर्ष्या ,,और जलन का ऐसा तूफ़ान उठता है जिसमे अंततः वह खुद ही भष्म हो जाता है ,,,,और समय रहते उसे कितना भी समझाया जाए पर उसे समझ ही नही आता है इसीलिए लोगो ने सच ही कहा है की विनाश काले विपरीत बुद्धि 
ऐसे ही मेरे भी कुछ अपने है ,,,,जो समाज के सामने बहुत प्रतिष्ठित बनने का ढोंग रचाते है पर घरेलू स्तर पर नपुंसकता का परिचय देते है

रिश्तों का विखंडन है ,,,,ये या,,अटूट बंधन है,,, ये

रिश्तों का विखंडन है ,,,,ये
या,,अटूट बंधन है,,, ये
जो पल पल मुझे ,,,अन्दर ही अंदर
तोड़ते रहते है ,,,तो कभी कभी जोड़ते रहते है

मेरे ,,,शब्द,,,ही ,,मेरी ,,सहेली है ,,,,या ,,,मेरे सखा है ,,,

जब मन उदास होता है मेरा ,,,,
तो मेरे शब्द ही जैसे हथियार बन जाते है ,,,
जो मन में उठने वाले तूफानों को शांत करते है ,,,,,,,,,
जो मेरे ,,,सखा भी है ,,
मेरी सहेली भी है ,,,,
जिनसे मैं कुछ भी लिख सकता हूँ ,,,
जो भी मुझे अच्छा लगता है ,,,
इनसे मैं राम भी लिख सकता हूँ ,,,
और रहीम भी ,,,
ये मेरे हृदय की धडकनों से खेलते रहते है 
और मेरे मन के आकाश में 
बिना ठहरे स्वछन्द रूप से
बिचरते रहते है 
इसीलिए ,,जब मन उदास होता है मेरा ,,,,
तो मेरे शब्द ही जैसे हथियार बन जाते है ,,,
कुछ भी होता है 
वो अच्छा हो ,,,
या बुरा हो ,,,
मैं अपनी नुकीली कलम ,,,और स्याही भरी दवात 
कोने में रखी मेज,,,,धीमी धीमी जलती लालटेन के साथ 
घने रात एक अँधेरे को चीरते हुए 
एक अनजानी यात्रा पर निकल पड़ते है 
जहां चारो तरफ तन्हाई होती है ,,,
फिर भी मेरे शब्दों का अटूट साथ 
इसीलिए कोरे कागज की मांग
मैं नीली स्याही से भर देता हूँ ,,,
मेरे एहसास कुछ कुछ कहते है 
और मैं उनको सुनता हु 

जब,,मन उदास होता है मेरा ,,,,
तो मेरे शब्द ही जैसे हथियार बन जाते है ,,,

जय हिन्द जय भारत

भारत बंद करने की ये राजनीती है ,,,राजनेताओ की ,,भले कुछ ही समय के लिए लेकिन बेचैनी तो है ही की अब क्या होगा ,,,,
मेरा सभी मित्रो से आग्रह है की भारत बंद का सहयोग कतई ना करे
जय हिन्द जय भारत

जन हित में जारी,,, #नोटबंदीएकसाहसिककदम

लेकिन इसमें कोई शक नही है की बैंक वालो ने काफी हद तक राजनेताओ और बड़े उद्योगपतियों का बड़ी इमानदारी से साथ दिया है तभी तो बड़ी बड़ी गाडिया कैश लेने के लिए देर रात बैंक के आस पास चक्कर लगाती दिखती है और हम लोग रोज बैंक के चक्कर काटते है और रोज एक ही जवाब की कैश नही है ,,,,फिर इन राजनेताओ और बड़े उद्योगपतियों के पास कैसे बड़ी बड़ी नोट आ गयी
जन हित में जारी

#नोटबंदीएकसाहसिककदम,,,,,कुछ भी हो लेकिन कुछ बैंक वाले जरूर ,,,जरूरत से ज्यादा काले धन को सफ़ेद करने में आगे निकले है ,,,,,क्या इनके लिए भी कोई जांच आयोग गठित होगा

कुछ भी हो लेकिन कुछ बैंक वाले जरूर ,,,जरूरत से ज्यादा काले धन को सफ़ेद करने में आगे निकले है ,,,,,क्या इनके लिए भी कोई जांच आयोग गठित होगा

#नोट बंदी ,,,,,,,,,,एकसाहसिककदम ,,,, जो लोग कल रोते थे की धंधे में घाटा हो रहा है ,,,,,वही आज कह रहे है अरे कोई तो ले लो एक -दो लाख रूपये ,,,आज नही साल बाद दे देना ,,,,इतना एहसान तो कर दो

जो लोग कल रोते थे की धंधे में घाटा हो रहा है ,,,,,वही आज कह रहे है अरे कोई तो ले लो एक -दो लाख रूपये ,,,आज नही साल बाद दे देना ,,,,इतना एहसान तो कर दो
#नोटबंदीएकसाहसिककदम

Friday, November 25, 2016

लेखक मन का कोई हिसाब किताब नही होता है ,,,,,जो मन को अच्छा लगता है वो भी लिख देता है ,,,,,,जो मन को व्यथित कर जाता है ,,,उसको भी अपनी संवेदनाओ में व्यक्त कर देता है ,,,,,शायद इसीलिए कभी कभी लोग इसे असहिष्णु भी कह देते है ,,, #निर्मलमनकीकल्पना

लेखक मन का कोई हिसाब किताब नही होता है ,,,,,जो मन को अच्छा लगता है वो भी लिख देता है ,,,,,,जो मन को व्यथित कर जाता है ,,,उसको भी अपनी संवेदनाओ में व्यक्त कर देता है ,,,,,शायद इसीलिए कभी कभी लोग इसे असहिष्णु भी कह देते है ,,,

#निर्मलमनकीकल्पना 

ये घटनाए भी अजीब होती है ,,,जब अपनों के साथ घटती है तो हम विलाप करते है ,,,,जब दूसरो के साथ तो प्रलाप,,,

कुछ हमारे अपनों के साथ होती है ,,,वो दुखी कर जाती है ,,,,तो कुछ दूसरो के साथ होती है ,,वो भी हमारे मन में कई असंकाओ को जन्म दे जाती है ,दुखी तो वो भी करती है ,,,पर ज्यादा फर्क हमे इसलिए नही पड़ता है ,,,की कौन सा वो अपने है ,,,,बस यही सोच कर हम भूलने की कोशिश मात्र करते है ,,,लेकिन भूल नही पाते है ,,,,इसीलिए कभी कभी लगता है की हम मन को छल रहे है या मन हमको
क्योकि देश भी एक है ,,,,,,
हम भी एक है ,,,,
हमारा मन भी एक है ,,
तो क्यों हम बटे है,,,
,,अपनी विचारधाराओ में,,,,
,,,,फिर क्यों बंटे है हम हिन्दू मुश्लिम में....
,,,,,फिर क्यों बटे है अपनी भाषाओ में ,,
अमीर गरीब में ....
क्यों ये जात पात का आडम्बर है
क्यों नही हम अपने देश की समस्याओ को अपनी नही समझते है
और फिर किस आधार पर हम ये कहते है की हम राष्ट्र निर्माण करेंगे
ये सब व्यर्थ नही लगता ,,,
ये सब देखकर सच में ये मन उदास हो जाता है ,,,,,की हम कितने स्वार्थी होते जा रहे है
और सच में ये विनाश का प्रथम चरण है
इसलिए कृपया भारत निर्माण के लिए आइये हम सब एक हो
ना हिन्दू
ना मुश्लिम
ना ईर्ष्या
ना जलन

जय हिन्द
जय भारत

बहुत कुछ गलत हमारे सामने होता ,,,,पर परिस्थितिवस हम उसका विरोध नही कर पाते #एकजटिलप्रश्न

बहुत कुछ गलत हमारे सामने होता ,,,,पर परिस्थितिवस हम उसका विरोध नही कर पाते
#एकजटिलप्रश्न

Tuesday, November 8, 2016

विचार कीजिये,,,,,

थोड़ी शाम ढल चुकी थी मैं भी ड्यूटी से निकल चुका था हाँ याद आया की सब्जी भी लेनी है मैं पहुच गया बाज़ार में काफी चीजे लेली थी मैंने तभी एक बुजुर्ग औरत मेरे सामने आ गयी काफी बुजुर्ग थी चेहरे पर सिकन थी उन्होंने थोडा कांपते हुए स्वर में कहा बेटा ये साग ले लो भगवान् आपका भला करेगा मुझे भी थोडा अटपटा लगा पर पता नही क्यों एक अपनापन सा लगा मैंने ले लिया और पुछा अम्मा कितने पैसे दे दूं उन्होंने कहा दस रुपये और लेकर जैसे ही चला उन्होंने कहा भगवान आपका भला करे बेटा सच में वो शब्द जैसे मेरे मन को छू गये और मैं मन ही मन सोचने लगा की हे ईश्वर आप इतना मजबूर किसी को क्यों बनाते है, पर अब मैं जब भी जाता हु तो उन अम्मा के पास सब्जी जरूर लेता हूँ और सच में एक लगाव भी हो गया है उनसे जैसे इसीलिए कभी कभी लगता है की रिश्ते बनाने के लिए हमे किसी वजह की जरूरत नही होती है ,,होना चाहिए तो एहसास जो दुसरे के दुःख को अनुभव करके उसको दूर करके अपना बना सके ,,,,इसलिए सभी से मेरा हादिक आग्रह है की आप भी कई ऐसे सच्चे रिश्ते बना सकते है जो आपको तो सुकून देंगे,,,और नये रिश्ते भी ,,,और दूसरो की जरूरत भी पूरी हो जायेगी ,,,

 


विचार कीजिये,,,,,

Sunday, November 6, 2016

कहते है मुझको नारी,,,,,,, जो अपनों से है हारी ,,,,,,,,

मैं स्तब्ध हूँ ,,,,,,,

मैं निशब्द हूँ,,,,,

हाँ इक इंसान हूँ,,,,,

पर खुद से मैं अनजान हूँ ,,,,,,

हूँ मैं अबला,,,,

जिसको हर किसी ने छला,,,,

कहते है मुझको नारी,,,,,,,

जो अपनों से है हारी ,,,,,,,,,

कोई कहता बोझ मुझको,,,

कोई कहता शोक मुझको ,,,,,,,

मैं तो हु आँगन की चिड़िया,,,,,,,

पर नही पहचान कोई,,,,

मैं स्तब्ध हूँ ,,,,,,,

मैं निशब्द हूँ,,,,,

हाँ इक इंसान हूँ,,,,,

पर खुद से मैं अनजान हूँ ,,,,,,

किसी ने कब्जा करना चाहा मुझपर

तो कोई चाहा हथियाना

कोई जबरन मेरी इज्जत से खेलता

कोई मेरी अस्मिता को तार तार करता

नही मानी मैं बेचारी तो ,,,

एसिड अटैक कर जीवन बर्बाद किया

ये है प्रतिरोध ,,,

का कैसा प्रतिशोध ,,,

जिसमे दोषी कोई और,,

और सजा पाए निर्दोष ,,,

बस इसीलिए ,,,

मैं स्तब्ध हूँ ,,,,,,,

मैं निशब्द हूँ,,,,,

हाँ इक इंसान हूँ,,,,,

पर खुद से मैं अनजान हूँ ,,,,,,

हूँ मैं अबला,,,,

जिसको हर किसी ने छला,,,,

कहते है मुझको नारी,,,,,,,

जो अपनों से है हारी ,,,,,,,,,

 

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