Friday, June 27, 2014

कुछ समंदर है आँखों में मेरे

कुछ समंदर है आँखों में मेरे
तो कुछ दिल   में रहते है हरदम
कुछ तूफां  लाते है विचारो  में मेरे
तो कुछ खामोश रहते है मन  में मेरे
कभी कभी ख़ामोशी  में भी बेचैनी सी होती है
तो कभी कभी बिन आंसुओ के रोती है  ये आँखे
कभी कभी नम हो जाता है जहन
जो सताती है  हर  पल  यादे  तेरी
मद्धम सी रफ़्तार  हो जाती  है  इस  दिल  के  मेरे
लेकिन ये समंदर है और हम तूफ़ान है
मुहब्बत है मेरी एक प्यासी नदी
है जो इस मन के सागर से मिलने चली
बचें ये भी तो
सायद हम भी कम नहीं
लेकिन देखते है वो कम है
या हम में है कमी

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