Sunday, June 8, 2014

अध्यात्म

अध्यात्म हमारे जीवन का अभिन्न अंग है जो हमारे शरीर के प्रत्येक भाग में बसा हुआ है और इसमें खोकर अद्भुत आनंद की अनुभूति होती है ये हमारे ऋषि मुनियो के तेज का प्रतीक है प्राचीन काल से हम इस योग को करते चले आ रहे है लेकिन अब न जाने क्यों हमारी आज की पीढ़िया ये भूलती चली  जा  रही  है   अगर हम अपनी संस्कृति और सभ्यता को ऐसे  ही भूलते  रहे तो ये निश्चित है की ये विलुप्त हो जाएँगी और अगर ये विलुप्त हुई तो समझ  लो की श्रिष्टि का अंत निश्चित है
मेरा विनम्र निवेदन है इसको जीवित रखो  न सिर्फ अपने समाज में अपितु अपने तन में अपने मन में अपने जीवन में
जय श्री राधे कृष्णा