मै नही समझ पा रहा हु जमाने को
या जमाना समझना नही चाहता मुझे
शायद मै गलत होऊ या मेरी सोच
लेकिन कैसे शांत करू इन विचारों को
कभी शांत था ये समंदर जो
तो कभी ये लहरो का सैलाब क्यों आया
क्या फटे पुराने कपडे पहनने वाला इंसान नही होता
या हमने टाई पैन्ट बूट पहन लिए तो इंसानियत हमारी जागीर हो गयी
कुछ लोग ये समझते तो मई कुछ और समझता हु
उप्पेर वाले ने ये दिवार नही बनाई
तो हम क्यों समझते है अपने को मै
मैंने सुना था ये मई नाम का शब्द अहम लाता है मन में
लेकिन सभी मैं कुटिल हो गए तो
उनका गुनाह है क्या
या जमाना समझना नही चाहता मुझे
शायद मै गलत होऊ या मेरी सोच
लेकिन कैसे शांत करू इन विचारों को
कभी शांत था ये समंदर जो
तो कभी ये लहरो का सैलाब क्यों आया
क्या फटे पुराने कपडे पहनने वाला इंसान नही होता
या हमने टाई पैन्ट बूट पहन लिए तो इंसानियत हमारी जागीर हो गयी
कुछ लोग ये समझते तो मई कुछ और समझता हु
उप्पेर वाले ने ये दिवार नही बनाई
तो हम क्यों समझते है अपने को मै
मैंने सुना था ये मई नाम का शब्द अहम लाता है मन में
लेकिन सभी मैं कुटिल हो गए तो
उनका गुनाह है क्या
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