Wednesday, June 14, 2017

ऐसे मौसम में दिल की सुननी ही चाहिए,,, जब टिप टिप करती बूंदे धरती का आलिंगन कर रही हो,,,और तपती हुई धरा के ताप से उठती हुई सोंधी सोंधी खुशबू हवा के आवेग के साथ उड़ती हुई चारों दिशाओं को अपनी खुशबू से उद्वेलित कर रही हो,,,फिर कैसे इस व्यग्र मन को रोके,,,सच में ये टिप टिप करती बूंदे धरती पर जैसे जैसे गिर कर छम छम सा गीत गुनगुना रही है और इनसे उत्पन्न बौछारे नृत्य करती हुई जैसे जैसे मुझे स्पर्श कर रही है वैसे वैसे मेरे ह्रदय का ताप कुछ कुछ तो कम हो ही रहा है बस सारी बंदिशे तोड़कर कर हम भी एक हो जाए इन नन्ही बूंदों के साथ,,,ये अनुभूति सत्य ही लाखों कृत्रिम सुखों से बढ़कर है हे ईश्वर।।।।। Nirmal earthcarefoundation ngo

ऐसे मौसम में दिल की सुननी ही चाहिए,,,
जब टिप टिप करती बूंदे धरती का आलिंगन कर रही हो,,,और तपती हुई धरा के ताप से उठती हुई सोंधी सोंधी खुशबू हवा के आवेग के साथ उड़ती हुई चारों दिशाओं को अपनी खुशबू से उद्वेलित कर रही हो,,,फिर कैसे इस व्यग्र मन को रोके,,,सच में ये टिप टिप करती बूंदे धरती पर जैसे जैसे गिर कर छम छम सा गीत गुनगुना रही है और इनसे उत्पन्न बौछारे नृत्य करती हुई जैसे जैसे मुझे स्पर्श कर रही है वैसे वैसे मेरे ह्रदय का ताप कुछ कुछ तो कम हो ही रहा है
बस सारी बंदिशे तोड़कर कर हम भी एक हो जाए इन नन्ही बूंदों के साथ,,,ये अनुभूति सत्य ही लाखों कृत्रिम सुखों से बढ़कर है

हे ईश्वर।।।।।

Nirmal earthcarefoundation ngo

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