कई वर्षों पुरानी इक कहानी याद आती है,,,,
जिसमे तुम राधिका और,,,मैं था तेरा,,,
बाँसुरिवाला,,,
हाँ दिल में हर बार ताज़ा हो जाती है,,,
जब तेरी प्यारी सी सूरत,,,
मैं थी इक गोपिका तेरी,,,
तू था मेरा साँवरा मतवाला,,,,
हम अनभिज्ञ थे,,,उससे
जिसे अब प्रेम कहते हैं,,,
तू रीझे और मैं हर बार ही तुझको मनाता था,,,
मनाने से जो ना माने,,,,तो मैं बंसी बजाता था,,
फिर वो मुरझाई सी कलियाँ,, भी जब झूम जाती थी,,,
घटाएं रिम झिम रिमझिम से कोई वो गीत गाती थी,,,
प्यार से तुमको मैं श्री राम,,,मैं तेरी सीते बन जाती थी,,,
हाँ तेरे ही पीताम्बर से मेरी चुनरी लहराती थी,,,
वही मैं राधिका और तुम मेरे घनश्याम बन जाओ,,,
वही मैं राधिका और तुम मेरे घनश्याम बन जाओ,,,
कई वर्षों पुरानी इक कहानी याद आती है,,,,
जिसमे तुम राधिका और,,,मैं था तेरा,,,
बाँसुरिवाला,,,
Nirmalearthcarefoundation
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