क्यूँ ना गुड्डे गुड़ियों की कहानी सुन लो तुम मुझसे,,
फिर वही बच्चों की तरह कोई जिद कर लो तुम मुझसे,,,
वही अंजान सा लम्हा,,,जो बीते कल्पना से परे,,
हाँ पलको के झुरमुट मे,,, तुम मेरी आशाओं में,,,
सूर्य सी रश्मियों की तरहा,,, समाहित हो जाओ मन मे,,,
क्यूँ ना गुड्डे गुड़ियों की कहानी सुन लो तुम मुझसे,,
फिर वही बच्चों की तरह कोई जिद कर लो तुम मुझसे,,,
जैसे जैसे शाम ढलती थी,,,
मैं अपनी छत के कोने से,,,
बस यही देखता रहता ,,,,
कब तुम आओगे मिलने,,,
झलक इक पाने की खातिर,,,
चाँद भी जगता रहता था,,,
जाने कितनी बाते होती थी,,,
तकिये के सिरहाने पे तुम थी,,,
क्या थी कोई वास्तविकता,,,
या थी तुम म्रग मरीचिका,,,
मुझको तड़पाती रहती थी,,,
मुझको तरसाती रहती थी,,,
खोकर सपनो के आंगन में ,,,
मैं गुड्डा तुम गुड़िया बन जाती थी,,,
उसी अंदाज में इक बार,,,,i love you,,,, कहदो तुम मुझसे
क्यूँ ना गुड्डे गुड़ियों की कहानी सुन लो तुम मुझसे,,
फिर वही बच्चों की तरह कोई जिद कर लो तुम मुझसे,,,
Nirmal Earthcarefoundation Ngo
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