Friday, June 30, 2017

क्यूँ ना गुड्डे गुड़ियों की कहानी सुन लो तुम मुझसे,, फिर वही बच्चों की तरह कोई जिद कर लो तुम मुझसे,,,

क्यूँ ना गुड्डे गुड़ियों की कहानी सुन लो तुम मुझसे,,
फिर वही बच्चों की तरह कोई जिद कर लो तुम मुझसे,,,
वही अंजान सा लम्हा,,,जो बीते कल्पना से परे,,
हाँ पलको के झुरमुट मे,,, तुम मेरी आशाओं में,,,
सूर्य सी रश्मियों की तरहा,,, समाहित हो जाओ मन मे,,,
क्यूँ ना गुड्डे गुड़ियों की कहानी सुन लो तुम मुझसे,,
फिर वही बच्चों की तरह कोई जिद कर लो तुम मुझसे,,,

जैसे जैसे शाम ढलती थी,,,
मैं अपनी छत के कोने से,,,
बस यही देखता रहता ,,,,
कब तुम आओगे मिलने,,,
झलक इक पाने की खातिर,,,
चाँद भी जगता रहता था,,,
जाने कितनी बाते होती थी,,,
तकिये के सिरहाने पे तुम थी,,,
क्या थी कोई वास्तविकता,,,
या थी तुम म्रग मरीचिका,,,
मुझको तड़पाती रहती थी,,,
मुझको तरसाती रहती थी,,,
खोकर सपनो के आंगन में ,,,
मैं गुड्डा तुम गुड़िया बन जाती थी,,,
उसी अंदाज में इक बार,,,,i love you,,,, कहदो तुम मुझसे
क्यूँ ना गुड्डे गुड़ियों की कहानी सुन लो तुम मुझसे,,
फिर वही बच्चों की तरह कोई जिद कर लो तुम मुझसे,,,
Nirmal Earthcarefoundation Ngo

#LUVUHMESHAMYLUV

इक चोला तेरे नाम का, मैंने पहन लिया,, हर मजहब को भूल कर,मैंने तुझको ही याद किया। कभी तू मेरे रिश्तो में संग था,, कभी तो दोस्तों के रूप में, कभी बिन मांगी दुवा की तरह तू मुझको मिल गया,,, #iamonlyindian

इक चोला तेरे नाम का, मैंने पहन लिया,,
हर मजहब को भूल कर,मैंने तुझको ही याद किया।
कभी तू मेरे रिश्तो में संग था,,
कभी तो दोस्तों के रूप में,
कभी बिन मांगी दुवा की तरह
तू मुझको मिल गया,,,

#iamonlyindian

इनका बचपन कहाँ है,,, ना इनके लिए मोदीजी है ना कोई योगी जी है नाही कोई नेता

इनका बचपन कहाँ है,,,
ना इनके लिए मोदीजी है
ना कोई योगी जी है
नाही कोई नेता
ना हम
ना तुम
शर्म आती है हमे अपने आप पर जब ऐसे लाखों बचपनो को बिखरते देखते है
नम हो जाती है ये आँखें जब इनके सपनो को टूटते देखते है
मर जाती है मेरी सब इच्छाएं,,,जब कुछ रोटी के टुकड़ो के लिए इनको दर डर भटकते देखते है
ऐसे में नाही कोई संत मिलता है
नाही कोई मौलवी जो इनका भी निर्णय करे की इनकी क्या जात है क्या इनका धर्म है
क्योकि ये गरीब है
धर्म के ठेकेदारों को इनसे कोई फायदा नही

#ifeelshameful

हममे ही अल्लाह बसे,हममे ही है राम। बस इक सोच का फर्क है, मत मनुष्यता को करो बदनाम। Nirmal Earthcarefoundation Ngo

हममे ही अल्लाह बसे,हममे ही है राम।
बस इक सोच का फर्क है,
मत मनुष्यता को करो बदनाम।
Nirmal Earthcarefoundation Ngo

प्रेम का धागा पहन कर,,,,जात पात जाये भूल। हर आंगन में खुशियां आये,,मुस्काये हर फूल।। Nirmal Earthcarefoundation Ngo

प्रेम का धागा पहन कर,,,,जात पात जाये भूल।
हर आंगन में खुशियां आये,,मुस्काये हर फूल।।
Nirmal Earthcarefoundation Ngo

Wednesday, June 28, 2017

मोदी औ ट्रम्प मिलन से,घबराया है चीन। आतंक आकाओं के बैन से,पाक की बज गयी बीन। Nirmal Earthcarefoundation Ngo

मोदी औ ट्रम्प मिलन से,घबराया है चीन।
आतंक आकाओं के बैन से,पाक की बज गयी बीन।
Nirmal Earthcarefoundation Ngo

इतनी ईर्ष्या क्यों मन में,बन जा तू इंसान। लोभ मोह को छोड़कर,कर मानव कल्याण।। सियावर राम जय जय राम। Nirmal Earthcarefoundation Ngo

इतनी ईर्ष्या क्यों मन में,बन जा तू इंसान।
लोभ मोह को छोड़कर,कर मानव कल्याण।।
सियावर राम जय जय राम।
Nirmal Earthcarefoundation Ngo

Monday, June 19, 2017

इसलिए सुबह थोड़ी देर ईश्वर से बात कीजिये ईश्वर में लीन होकर देखिये,,,, हे ईश्वर।।।।।।

ईश्वर की उपासना हमे एक ऐसे संसार से परिचित कराती है जहाँ सबकुछ कल्पना से परे महसूस होता है,,,मात्र आँखे बंद करने से और उस निराकार परमेश्वर में लीन होने मात्र से जैसे ये संकुचित और असंतुष्ट जीवन किसी केंद्र पर जाकर ठहर जाता है और वह शून्य ही जो हमारे मन में केंद्र बनकर उभरता है वो सारे दैनिक सम्मोहन को नष्ट कर एक ऐसे आनंद की अनुभूति कराता है जिसका अनुभव हम भौतिक जीवन में रहकर कभी भी अनुभव नही कर सकते हैं,,,,,
इसके साथ ही हमारे शरीर के साथ साथ हमारे जीवन की नकारात्मक ऊर्जा का क्षय,,,और सकारात्मक ऊर्जा का प्रसार होने लगता है,,ये हमारे विस्वास को दृढता प्रदान करने के साथ ,,,जीवन में आने वाली हर कठिनाई से लड़ने के लिए मुस्कराता हुआ साहस प्रदान करता है,,,जिससे कैसी भी परिस्थिति आने पर मन संयमित रहता है ,,,अथवा विचलित नही होता,,,

इसलिए सुबह थोड़ी देर ईश्वर से बात कीजिये
ईश्वर में लीन होकर देखिये,,,,
हे ईश्वर।।।।।।

Nirmal Earthcarefoundation Ngo

Saturday, June 17, 2017

*प्रतिदिन स्मरण योग्य शुभ सुंदर मंत्र। संग्रह*

।। संस्कार ।।:--

*प्रतिदिन स्मरण योग्य शुभ सुंदर मंत्र। संग्रह*

1. प्रात: कर-दर्शनम्:--

कराग्रे वसते लक्ष्मी करमध्ये सरस्वती। करमूले तू गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम्॥

2. पृथ्वी क्षमा प्रार्थना:--

समुद्र वसने देवी पर्वत स्तन मंडिते। विष्णु पत्नी नमस्तुभ्यं पाद स्पर्शं क्षमश्वमेव॥

3. त्रिदेवों के साथ नवग्रह स्मरण:--

ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी भानु: शशी भूमिसुतो बुधश्च। गुरुश्च शुक्र: शनिराहुकेतव: कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम्॥

4. स्नान मन्त्र:--

गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती। नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु॥

5. सूर्यनमस्कार:--

ॐ सूर्य आत्मा जगतस्तस्युषश्च आदित्यस्य नमस्कारं ये कुर्वन्ति दिने दिने। दीर्घमायुर्बलं वीर्यं व्याधि शोक विनाशनम् सूर्य पादोदकं तीर्थ जठरे धारयाम्यहम्॥

ॐ मित्राय नम:
ॐ रवये नम:
ॐ सूर्याय नम:
ॐ भानवे नम:
ॐ खगाय नम:
ॐ पूष्णे नम:
ॐ हिरण्यगर्भाय नम:
ॐ मरीचये नम:
ॐ आदित्याय नम:
ॐ सवित्रे नम:
ॐ अर्काय नम:
ॐ भास्कराय नम:
ॐ श्री सवितृ सूर्यनारायणाय नम:

आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीदमम् भास्कर। दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तु ते॥

6. संध्या दीप दर्शन:--

शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यम् धनसंपदा। शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपकाय नमोऽस्तु ते॥ दीपो ज्योति परं ब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दनः। दीपो हरतु मे पापं संध्यादीप नमोऽस्तु ते॥

7. गणपति स्तोत्र:--

गणपति: विघ्नराजो लम्बतुन्ड़ो गजानन:। द्वै मातुरश्च हेरम्ब एकदंतो गणाधिप:॥ विनायक: चारूकर्ण: पशुपालो भवात्मज:। द्वादश एतानि नामानि प्रात: उत्थाय य: पठेत्॥ विश्वम तस्य भवेद् वश्यम् न च विघ्नम् भवेत् क्वचित्। विघ्नेश्वराय वरदाय शुभप्रियाय। लम्बोदराय विकटाय गजाननाय॥ नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय। गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते॥ शुक्लाम्बरधरं देवं शशिवर्णं चतुर्भुजं।
प्रसन्नवदनं ध्यायेतसर्वविघ्नोपशान्तये॥

8. आदिशक्ति वंदना:--

सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते॥

9. शिव स्तुति:--

कर्पूर गौरम करुणावतारं, संसार सारं भुजगेन्द्र हारं। सदा वसंतं हृदयार विन्दे, भवं भवानी सहितं नमामि॥

10. विष्णु स्तुति:--

शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम्। लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम् वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥

11. श्री कृष्ण स्तुति:--

कस्तुरी तिलकम ललाटपटले, वक्षस्थले कौस्तुभम। नासाग्रे वरमौक्तिकम करतले, वेणु करे कंकणम॥ सर्वांगे हरिचन्दनम सुललितम, कंठे च मुक्तावलि। गोपस्त्री परिवेश्तिथो विजयते, गोपाल चूडामणी॥ मूकं करोति वाचालं पंगुं लंघयते गिरिम्। यत्कृपा तमहं वन्दे परमानन्द माधवम्॥

12. श्रीराम वंदना:--

लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम्। कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये॥

13. श्रीरामाष्टक:--

हे रामा पुरुषोत्तमा नरहरे नारायणा केशवा। गोविन्दा गरुड़ध्वजा गुणनिधे दामोदरा माधवा॥ हे कृष्ण कमलापते यदुपते सीतापते श्रीपते। बैकुण्ठाधिपते चराचरपते लक्ष्मीपते पाहिमाम्॥

14. एक श्लोकी रामायण:--

आदौ रामतपोवनादि गमनं हत्वा मृगं कांचनम्। वैदेही हरणं जटायु मरणं सुग्रीवसम्भाषणम्॥ बालीनिर्दलनं समुद्रतरणं लंकापुरीदाहनम्। पश्चाद्रावण कुम्भकर्णहननं एतद्घि श्री रामायणम्॥

15. सरस्वती वंदना:--

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता। या वींणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपदमासना॥ या ब्रह्माच्युतशङ्करप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता। सा माम पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्याऽपहा॥

16. हनुमान वंदना:--

अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहम्। दनुजवनकृषानुम् ज्ञानिनांग्रगणयम्। सकलगुणनिधानं वानराणामधीशम्। रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि॥ मनोजवं मारुततुल्यवेगम जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं। वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणम् प्रपद्ये॥

17. स्वस्ति-वाचन:--

ॐ स्वस्ति न इंद्रो वृद्धश्रवाः स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः। स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्ट्टनेमिः स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु॥

18. शांति पाठ:--

ऊँ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमुदच्यते। पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते॥ ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्ष (गुँ) शान्ति:, पृथिवी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति:। वनस्पतय: शान्तिर्विश्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति:, सर्व (गुँ) शान्ति:, शान्तिरेव शान्ति:, सा मा शान्तिरेधि॥

॥ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:॥

Wednesday, June 14, 2017

ऐसे मौसम में दिल की सुननी ही चाहिए,,, जब टिप टिप करती बूंदे धरती का आलिंगन कर रही हो,,,और तपती हुई धरा के ताप से उठती हुई सोंधी सोंधी खुशबू हवा के आवेग के साथ उड़ती हुई चारों दिशाओं को अपनी खुशबू से उद्वेलित कर रही हो,,,फिर कैसे इस व्यग्र मन को रोके,,,सच में ये टिप टिप करती बूंदे धरती पर जैसे जैसे गिर कर छम छम सा गीत गुनगुना रही है और इनसे उत्पन्न बौछारे नृत्य करती हुई जैसे जैसे मुझे स्पर्श कर रही है वैसे वैसे मेरे ह्रदय का ताप कुछ कुछ तो कम हो ही रहा है बस सारी बंदिशे तोड़कर कर हम भी एक हो जाए इन नन्ही बूंदों के साथ,,,ये अनुभूति सत्य ही लाखों कृत्रिम सुखों से बढ़कर है हे ईश्वर।।।।। Nirmal earthcarefoundation ngo

ऐसे मौसम में दिल की सुननी ही चाहिए,,,
जब टिप टिप करती बूंदे धरती का आलिंगन कर रही हो,,,और तपती हुई धरा के ताप से उठती हुई सोंधी सोंधी खुशबू हवा के आवेग के साथ उड़ती हुई चारों दिशाओं को अपनी खुशबू से उद्वेलित कर रही हो,,,फिर कैसे इस व्यग्र मन को रोके,,,सच में ये टिप टिप करती बूंदे धरती पर जैसे जैसे गिर कर छम छम सा गीत गुनगुना रही है और इनसे उत्पन्न बौछारे नृत्य करती हुई जैसे जैसे मुझे स्पर्श कर रही है वैसे वैसे मेरे ह्रदय का ताप कुछ कुछ तो कम हो ही रहा है
बस सारी बंदिशे तोड़कर कर हम भी एक हो जाए इन नन्ही बूंदों के साथ,,,ये अनुभूति सत्य ही लाखों कृत्रिम सुखों से बढ़कर है

हे ईश्वर।।।।।

Nirmal earthcarefoundation ngo

Monday, June 12, 2017

हज़ारों मील दूर कर दिया जमाने ने हमे फिर भी हम तुम्हारे दिल में है,,और तुम हमारे,, Nirmal Earthcarefoundation Ngo

हज़ारों मील दूर कर दिया जमाने ने हमे फिर भी हम तुम्हारे दिल में है,,और तुम हमारे,,
Nirmal Earthcarefoundation Ngo

कोई तो है इस दिल के दरमियाँ, नही तो हर आवाज में एक ही आवाज क्यूँ सुनाई देती #feelingaboutlove

कोई तो है इस दिल के दरमियाँ,
नही तो हर आवाज में एक ही आवाज क्यूँ सुनाई देती
#feelingaboutlove

Saturday, June 3, 2017

कई वर्षों पुरानी इक कहानी याद आती है,,,, जिसमे तुम राधिका और,,,मैं था तेरा,,, बाँसुरिवाला,,,

कई वर्षों पुरानी इक कहानी याद आती है,,,,
जिसमे तुम राधिका और,,,मैं था तेरा,,,
बाँसुरिवाला,,,
हाँ दिल में हर बार ताज़ा हो जाती है,,,
जब तेरी प्यारी सी सूरत,,,
मैं थी इक गोपिका तेरी,,,
तू था मेरा साँवरा मतवाला,,,,
हम अनभिज्ञ थे,,,उससे
जिसे अब प्रेम कहते हैं,,,
तू रीझे और मैं हर बार ही तुझको मनाता था,,,
मनाने से जो ना माने,,,,तो मैं बंसी बजाता था,,
फिर वो मुरझाई सी कलियाँ,, भी जब झूम जाती थी,,,
घटाएं रिम झिम रिमझिम से कोई वो गीत गाती थी,,,
प्यार से तुमको मैं श्री राम,,,मैं तेरी सीते बन जाती थी,,,
हाँ तेरे ही पीताम्बर से मेरी चुनरी लहराती थी,,,
वही मैं राधिका और तुम मेरे घनश्याम बन जाओ,,,
वही मैं राधिका और तुम मेरे घनश्याम बन जाओ,,,

कई वर्षों पुरानी इक कहानी याद आती है,,,,
जिसमे तुम राधिका और,,,मैं था तेरा,,,
बाँसुरिवाला,,,

Nirmalearthcarefoundation

दबी इक बात दिल में है,,, की मन में कुछ कृत्रिम सा है,,, कई इक लब्ज है होठो पर,,, लेकिन अनकहे है वो,,,, फिर भी आँखे जाने क्यों,,, आशा के दीपक जलाकर बैठे रहते है,,,

दबी इक बात दिल में है,,,
की मन में कुछ कृत्रिम सा है,,,
कई इक लब्ज है होठो पर,,,
लेकिन अनकहे है वो,,,,
फिर भी आँखे जाने क्यों,,,
आशा के दीपक जलाकर बैठे रहते है,,,

है जो बात सीने में,,
दबी जैसे हो चिंगारी,,,
क्यू जो ख्वाब देखे थे,,,
वो अब तक जो,,,अधूरे हैं
दबी इक बात दिल में है,,,
की मन में कुछ कृत्रिम सा है,,,

था कुछ दूर ही चला वो,,,
कही पनघट यही पर था,,,
वही गलियां,,, वही नदियां,,,
फिर भी कुछ अवशेष सा था,,,
थे पनघट पर अब सब प्यासे,,,
नही थी अब घटा काली,,,
है बंजर रेत सा अब मन,,,
है अब सूखे से पत्ते,,,
नही है अब हरियाली,,
फिर भी जाने क्यूँ,,, मेरा मन
वही सपने सँजोता है,,,
तड़पता रहता है हर पल,,
कि,,, कोई सहमा रहता है,,,
दबी इक बात दिल में है,,,
की मन में कुछ कृत्रिम सा है,,,

दबी इक बात दिल में है,,,
की मन में कुछ कृत्रिम सा है,,,
कई इक लब्ज है होठो पर,,,
लेकिन अनकहे है वो,,,,
फिर भी आँखे जाने क्यों,,,
आशा के दीपक जलाकर बैठे रहते है,,,

Nirmalearthcarefoundation