नाही दिन भर भगवान का नाम लेने से भगवान मिलते है,,,नाही दिन की पांचो नमाज अदा कर देने भर से अल्लाह मिल जाते है ,,,जब तक हमे एक दुसरे की इज्जत ,,,एक दुसरे का सम्मान,,,,और इंसानियत का मतलब ही ना पता हो ,,,,हर चीज का महत्त्व दिल से होता है और दिल से ही चाहत जन्म लेती है,,,
ये दया,,
करुणा,,,
प्यार ,,,मुहब्बत ,,,चिल्लाने से नही बल्कि एहसास करने से मन में जन्म लेते है,,,,
Nirmal Kumar Awasthi
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