Thursday, March 9, 2017

परिवर्तन ही प्रकृति का नियम है,,,लेकिन परिवर्तन मात्र सार्थक दिशा होना चाहिए Nirmal Kumar Awasthi

परिवर्तन ही प्रकृति का नियम है,,,लेकिन परिवर्तन मात्र सार्थक दिशा होना चाहिए

Nirmal Kumar Awasthi

नाही दिन भर भगवान का नाम लेने से भगवान मिलते है,,,नाही दिन की पांचो नमाज अदा कर देने भर से अल्लाह मिल जाते है ,,,जब तक हमे एक दुसरे की इज्जत ,,,एक दुसरे का सम्मान,,,,और इंसानियत का मतलब ही ना पता हो ,,,,हर चीज का महत्त्व दिल से होता है और दिल से ही चाहत जन्म लेती है,,, ये दया,, करुणा,,, प्यार ,,,मुहब्बत ,,,चिल्लाने से नही बल्कि एहसास करने से मन में जन्म लेते है,,,, Nirmal Kumar Awasthi

नाही दिन भर भगवान का नाम लेने से भगवान मिलते है,,,नाही  दिन की पांचो नमाज अदा कर देने भर से अल्लाह मिल जाते  है ,,,जब तक हमे एक दुसरे की इज्जत ,,,एक दुसरे का सम्मान,,,,और इंसानियत का मतलब ही ना पता हो ,,,,हर चीज का महत्त्व दिल से होता है और दिल से ही चाहत जन्म लेती है,,,
ये दया,,
करुणा,,,
प्यार ,,,मुहब्बत ,,,चिल्लाने से नही बल्कि एहसास करने से मन में जन्म लेते है,,,,

Nirmal Kumar Awasthi

Sunday, March 5, 2017

क्यों भटके,,,तू मंदिर,,मस्जिद,, चर्च,, और,,गुरुद्वारे में,,

क्यों भटके,,,तू मंदिर,,मस्जिद,,
चर्च,, और,,गुरुद्वारे में,,
घर की माँ की फ़िक्र नही,,,
तुझ बिन तड़पे चौबारे में,,,
पूज ले इनके चरणों को,,,
इनसे दयावान है कोई नही,,
जो चाहेगा मिल जाएगा,,,
माँ के आंचल,,से सपनों के तारों में,,,

Thursday, March 2, 2017

नाही किसी को तोड़ना चाहिए,,, नाही खुद टूटना चाहिए,,, क्योकि टूटने के पश्चात मनुष्य बिखर जाता है,, वो चाहे,,,विस्वास हो,,, ,,,प्रेम हो,,, या,,घृणा,,,।

नाही किसी को तोड़ना चाहिए,,,
नाही खुद टूटना चाहिए,,,
क्योकि टूटने के पश्चात मनुष्य बिखर जाता है,,
वो चाहे,,,विस्वास हो,,,
,,,प्रेम हो,,,
या,,घृणा,,,।

Nirmal Kumar Awasthi