Thursday, August 7, 2014

हर लम्हे को याद करके लिखता हु

हर लम्हे को याद करके लिखता हु 
यादो से बात करके लिखता हु 
कभी बेचैन हो जाता है मेरा दिल तुम बिन 
उसको संभाल के ये लिखता हु 
इसमें स्याही नही है कलम की सनम 
अपने लहू के आफताब से मै लिखता हु 
दर्द होता नही लहू के निकलने में 
उससे ज्यादा दर्द होता है तुमसे बिछड़ने में

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