हर लम्हे को याद करके लिखता हु
यादो से बात करके लिखता हु
कभी बेचैन हो जाता है मेरा दिल तुम बिन
उसको संभाल के ये लिखता हु
इसमें स्याही नही है कलम की सनम
अपने लहू के आफताब से मै लिखता हु
दर्द होता नही लहू के निकलने में
उससे ज्यादा दर्द होता है तुमसे बिछड़ने में
यादो से बात करके लिखता हु
कभी बेचैन हो जाता है मेरा दिल तुम बिन
उसको संभाल के ये लिखता हु
इसमें स्याही नही है कलम की सनम
अपने लहू के आफताब से मै लिखता हु
दर्द होता नही लहू के निकलने में
उससे ज्यादा दर्द होता है तुमसे बिछड़ने में
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