छोटी सी चिरैया ,,आती थी कभी इस आंगन में,,
जब होते थे वो घास फूस वाले छप्पर,,
जिनमे बारिस में टिप टिप कर गिरता था पानी हर कोने से
उसमे हम भी तलासते रहते थे जगह छोटी सी,,
वो पोखरों में पानी भरकर,, जब आ जाता था पगडंडियों पर,,
सम्भलकर चलकर भी ,,फिसलकर गिर जाते थे कभी कभी,,
वो बगिया हरी भरी अमोली वाली,,
जिसको हम नाम से पुकारते थे गंगा बगिया,,
वो आम की डाली जो झूले की तरहा थी,,
जो जमीन को छूकर कभी उठ जाती थी हवा के झोंके के संग,,
वो तपती दोपहरी में घर से नमक रोटी ले जाकर,,
पकी अम्बिया के संग खाना,, छप्पनभोग से कम ना था,,
दिन के तीनों पहर पर हो जाते थे हंसी ठिठोली में,,
फिर घर पर आकर डाँट सुनते थे बड़ो की,,
जो चारो तरफ तालाबों से घिरा था मेरा गाँव,,
आज कुछ लोगों के कंक्रीट के महल बन गए है,,
ना आती अब वो चिरैया,,,
ना ही यारों के पास समय अब,,
अब हम भी अलग हो गए मैं में,,
ये अहम की दुनिया कैसी है,,,
इससे अच्छा तो अपना बचपन था,,,
जहाँ कुछ नही था पर अपनो के लिए समय तो था,,,
इससे अच्छा तो अपना बचपन था,,,
जहाँ कुछ नही था पर अपनो के लिए समय तो था,,,
Thursday, August 30, 2018
इससे अच्छा तो अपना बचपन था,,, जहाँ कुछ नही था पर अपनो के लिए समय तो था,,,
Wednesday, August 15, 2018
ऐसी प्रतिभा के धनी होना शायद हर किसी के लिए संभव नही ,,जो हर हृदय में रमने की क्षमता रखता हो,,जो हर किसी का आदर्श हो ,,फिर चाहे पक्ष हो या विपक्ष ,,अपना हो या पराया,,,जो हर किसी के मन मे निश्छल रूप से बसने की क्षमता रखते हो ऐसे हैं हमारे अटल जी,,, आज सुबह समाचार देखा सहसा पता चला कि उनका स्वास्थ्य ठीक नही है जैसे आँखों मे नमी सी आ गयी क्योकि उनके चाहने वालों में मैं भी हूँ ,,,मुझे याद है मैं लगभग 13 वर्ष का था उस समय तुलसी उद्यान गीतापल्ली आलमबाग लखनऊ में एक सभा को संबोधित करने वो आये थे तभी मैने उनको सबसे करीब से देखा था उनके कहे हुए एक एक शब्द को सुना था बस तभी से जैसे एक आदर्श के रूप में मेरे जीवन मे वो विद्यमान हैं,,, शायद मैं ही नही हर भरवासी उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करेगा।।।। हे ईश्वर।।।। Nirmal Earthcarefoundation Vriksharopan Ekabhiyaan
ऐसी प्रतिभा के धनी होना शायद हर किसी के लिए संभव नही ,,जो हर हृदय में रमने की क्षमता रखता हो,,जो हर किसी का आदर्श हो ,,फिर चाहे पक्ष हो या विपक्ष ,,अपना हो या पराया,,,जो हर किसी के मन मे निश्छल रूप से बसने की क्षमता रखते हो ऐसे हैं हमारे अटल जी,,,
आज सुबह समाचार देखा सहसा पता चला कि उनका स्वास्थ्य ठीक नही है जैसे आँखों मे नमी सी आ गयी क्योकि उनके चाहने वालों में मैं भी हूँ ,,,मुझे याद है मैं लगभग 13 वर्ष का था उस समय तुलसी उद्यान गीतापल्ली आलमबाग लखनऊ में एक सभा को संबोधित करने वो आये थे तभी मैने उनको सबसे करीब से देखा था उनके कहे हुए एक एक शब्द को सुना था बस तभी से जैसे एक आदर्श के रूप में मेरे जीवन मे वो विद्यमान हैं,,,
शायद मैं ही नही हर भरवासी उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करेगा।।।।
हे ईश्वर।।।।
Nirmal Earthcarefoundation Vriksharopan Ekabhiyaan
मेरा एक सपना ,,,कि मैं अपने देश की मिट्टी के काम आ सकूँ,, एक छोटी सी ख्वाइश,,कि मैं अपनों में जगह बना सकूँ,, बस ये तमन्ना है दिल की,,भारत का सम्मान बचा सकूँ,, बस एक चाहत अपने आखिरी लम्हों में,,,तिरंगे से लिपटकर मैं जा सकूँ,, ये विस्वास हो,, हर दिल मे आस हो,, जज़्बे आसमां से भी ऊंचे हो,, हर भारतीय के,, हर कँधे,, से,,,कंधे मिले,, जाति,, पात की दीवारें टूटे,, रिश्तों का बंधन हो अटूट,, ऐसे अटूट रिश्ते हम बना सके ये अखण्ड भारत।।। है एक भारत।।। मेरा श्रेष्ठ भारत।।। है जय हिंद भारत,, है अनेक वेश भूषा,, फिर भी दिलों में,, हो तिरंगा ऊँचा,, जय हिंद जय भारत,,, बस है यही ख्वाइश,, अपने सपनो का भारत बना सकूँ।।। मेरा एक सपना ,,,कि मैं अपने देश की मिट्टी के काम आ सकूँ,, एक छोटी सी ख्वाइश,,कि मैं अपनों में जगह बना सकूँ,, बस ये तमन्ना है दिल की,,भारत का सम्मान बचा सकूँ,, बस एक चाहत अपने आखिरी लम्हों में,,,तिरंगे से लिपटकर मैं जा सकूँ,,।।।।।।। Nirmal Awasthi EARTHCARE FOUNDATION NGO www.earthcarengo.org
मेरा एक सपना ,,,कि मैं अपने देश की मिट्टी के काम आ सकूँ,,
एक छोटी सी ख्वाइश,,कि मैं अपनों में जगह बना सकूँ,,
बस ये तमन्ना है दिल की,,भारत का सम्मान बचा सकूँ,,
बस एक चाहत अपने आखिरी लम्हों में,,,तिरंगे से लिपटकर मैं जा सकूँ,,
ये विस्वास हो,,
हर दिल मे आस हो,,
जज़्बे आसमां से भी ऊंचे हो,,
हर भारतीय के,,
हर कँधे,, से,,,कंधे मिले,,
जाति,, पात की दीवारें टूटे,,
रिश्तों का बंधन हो अटूट,,
ऐसे अटूट रिश्ते हम बना सके
ये अखण्ड भारत।।।
है एक भारत।।।
मेरा श्रेष्ठ भारत।।।
है जय हिंद भारत,,
है अनेक वेश भूषा,,
फिर भी दिलों में,,
हो तिरंगा ऊँचा,,
जय हिंद जय भारत,,,
बस है यही ख्वाइश,,
अपने सपनो का भारत बना सकूँ।।।
मेरा एक सपना ,,,कि मैं अपने देश की मिट्टी के काम आ सकूँ,,
एक छोटी सी ख्वाइश,,कि मैं अपनों में जगह बना सकूँ,,
बस ये तमन्ना है दिल की,,भारत का सम्मान बचा सकूँ,,
बस एक चाहत अपने आखिरी लम्हों में,,,तिरंगे से लिपटकर मैं जा सकूँ,,।।।।।।।
Nirmal Awasthi
EARTHCARE FOUNDATION NGO
www.earthcarengo.org