तुम्हारे महलों की चकाचौंध से अच्छी तो हमारी झोंपड़ी की सुकून की दो जून की रोटी है,,,जिसमे सिर्फ प्रेम और अपनेपन का तड़का है,,,नाकि ईर्ष्या,,जलन,,और कलह,,,साहेब
फिर भी जाने क्यों लोग तुम्हे अमीर और मुझे,,गरीब कहते है
Nirmal earthcarefoundation ngo
तुम्हारे महलों की चकाचौंध से अच्छी तो हमारी झोंपड़ी की सुकून की दो जून की रोटी है,,,जिसमे सिर्फ प्रेम और अपनेपन का तड़का है,,,नाकि ईर्ष्या,,जलन,,और कलह,,,साहेब फिर भी जाने क्यों लोग तुम्हे अमीर और मुझे,,गरीब कहते है
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