Monday, July 30, 2018
कुछ तारिखों का हमेशा इंतज़ार रहता था वो हांथों से बना लिफ़ाफ़ा,, और उसमें दिल से उकेरी हुई भावनाएं,, जिसमे प्रेम से परिपूर्ण हर शब्द,,मन के आसपास होता था,, मन की असीमित गहराइयों की गूँज,,, अनन्त आकाश में विचरते वो भाव,, निश्छल,,स्नेहिल,,और बन्धनमुक्त,, वो प्यार था,,या कुछ और????? ये तो पता नहीं,,, पर अदभुत,, और मेरी कल्पनाओं से परे था,, चाहे जब या जिस क्षण,,मन होता ,, बस,,,, उड़ जाता सपनों के आकाश में,, जागती आँखों के वो ख़्वाब,, तब हकीकत से लगते थे,, तुम होते नहीं थे पास मेरे,, पर खुली आँखों से चाँद तारों के संग तुमसे बातें किया करते थे,, अब बदल गए मौसम,, बदल गए हम ,,तुम बदल गए जैसे,,दिल,, बदल गयी ये दुनिया,,, बस अब हम अधूरे,,है,,और,,मेरे शब्द भी,, जैसे तुमको ही तलाशते रहते है,, एक मृगमरीचिका सी लगती हो अब तुम,, दूर से दिखती हो पर,, पास जाने पर सब कुछ अदृश्य हो जाता है,,, फिर भी आज भी तुमको,, तलाश रहा ये प्यासा मन ,,शायद मेरी ,,,अधूरी कहानी,,जैसे बन गयी हो तुम,, बस उन्ही तारीखों में सिमट गई वो यादें,,, और जैसे सिमट गये है हम,,,,तुम,,, Nirmal Earthcarefoundation Vriksharopan Ekabhiyaan www.earthcarengo.org
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