Friday, January 3, 2014

त्याग ही जीवन है

ये जीवन क्या है ,क्यों हम इसे जिए जा रहे है ,शायद कोई तो कारण है  जीने का ,कुछ अपने है कुछ पराये है ,तो कुछ सपने है ,कुछ हकीकत है ,लेकिन फिर भी जाने अनजाने में कोई न कोई रिश्ता तो है ही नही तो नाही ये काऱण होते  नाही डोर होती जो हमारे मन के पतली पतली डोरियो से बंधी होती है ,और शायद इसीलिए इनको छोड़ना।  इनसे दूर रहना बहुत ही मुस्किल होता है ,और शायद ये सोचना भी बहुत मुस्किल होता है कि हम अपनों को छोड़ने के  भी
लेकिन  क़भी  कभी ये  करना पड़ता है इसी का नाम तो त्याग है
इसीलिए  लिए कहते है की त्याग का नाम ही जीवन है। .

मन:स्थिति

एक अजीब सी परिस्थति ,अजीब सी कश्मकश , और ऐसा क्यों होता है ,क्यों कभी कभी हम खुद को नही समझ पाते है ,क्यों हमारे मन में अंतर्द्वंद चलता रहता है ,क्यों हम अपने ही मन से ,अपने ही विचारो से ,अपने  पास के माहौल से जो कि बहुत ही स्वार्थी है ,................ से लड़ता रहता है ,लोग कहते है की सबकुछ पास है फिर भी अधूरा पन  लगता है ,हम खुद को अकेला महसूस करते है , क्या हम ,हमारे अपने और ये समाज इतना स्वार्थी हो गया की हम अपने आप को भूल गए ,अपने आचरणों को भूल गए ,अपनी संस्कृति भूल गए ,अपनी सभ्यता भूल गए ,……………
                             और इन सबको भूलने के साथ साथ शायद हम अपने आपको भूल गए। .......
      शायद यही मेरे मन के अंतर्द्वंद का कारण है।
 हे प्रभु  मेरा मार्गदर्शन कीजिये। ………।

Thursday, January 2, 2014

प्यार एक अनछुआ एहसास है

प्यार करने के लिए ना ही  कुछ कहने की जरूरत होती है ,ना ही कुछ सुनने  की जरूरत होती है ,ना ही कुछ भी खोने की ना ही कुछ पाने की ,उसके लिए एक अनछुआ  प्यारा सा एहसास होना चाहिए ,जिसमे हम अपनी वास्तविक आँखों से नहीं अपितु अपने मन कि आँखों से देखने की शक्ति  होनी चाहिए ,तो हम  निशचल मन से जिसको भी चाहे प्यार कर सकते है ,वह कोई भी हो ,कही भी हो, चाहे हो वो हमारे पास हो ,चाहे वो हमसे दूर हो ,
चाहे इस जमी पर हो ,चाहे मीलो दूर उस आसमा पर………………  …… ……